शरीर में पाया जाने वाला एक आम प्रोटीन डायबिटीज के इलाज में बड़ी भूमिका निभा सकता है। जापान के दो मेडिकल संस्थानों ओकीनावा इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नॉलजी ग्रैजुएट यूनिवर्सिटी (ओआईएसटी) और रिकन सेंटर ऑफ इंटीग्रेटिव मेडिकल साइंसेज के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए शोध में पता चला है कि सीएनओटी3 नामक प्रोटीन ऐसे विशेष प्रकार के वंशाणुओं के सेट को शांत करने का काम करता है, जो इंसुलिन पैदा करने वाली कोशिकाओं को खराब कर सकते हैं। जानकार बताते हैं कि इस प्रक्रिया का संबंध डायबिटीज के डेवलेपमेंट से है। इस बीमारी में शरीर में ग्लूकोस का लेवल काफी ज्यादा हो जाता है। सीएनओटी3 प्रोटीन इस लेवल को नियंत्रित करने में बड़ी भूमिका निभाता है। इसके प्रभाव में विशेष जीन्स इंसुलिन को पैदा करने वाली कोशिकाओं में गड़बड़ी नहीं कर पाते और नतीजतन में शरीर में इंसुलिन पर्याप्त मात्रा में बना रहता है, जो डायबिटीज को रोकने से जुड़ा एक महत्वपूर्ण तथ्य है।

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  1. सीएनओटी3 प्रोटीन से बीटा सेल्स होते हैं सामान्य - डॉ. मोस्तफा
  2. सारांश

सामान्यतः इंसुलिन ऊर्जा के रूप में काम करने के लिए ग्लूकोस को कोशिका में जाने देता है। लेकिन इसकी अनुपस्थिति में ग्लूकोस खून में बनना शुरू हो जाता है। लेकिन इंसुलिन की कमी तब भी हो सकती है, जब अग्नायश के बीटा सेल्स ठीक से काम करना बंद कर देते हैं। अध्ययन में शामिल वैज्ञानिक डॉ. डीना मोस्तफा कहती हैं, 'हम जानते हैं कि बीटा सेल्स की इस कमजोरी के चलते रक्त में ग्लूकोस का लेवल काफी बढ़ जाता है, जो बाद में डायबिटीज के रूप में सामने आता है। हमारा अध्ययन कहता है कि सीएनओटी3 प्रोटीन की इसमें भूमिका है, जो बीटा सेल्स को सामान्य बनाए रखने में मदद करता है।'

सीएनओटी3 प्रोटीन शरीर के कई अंगों में पाया जाता है। उनके अलग-अलग ऊतकों में यह जीन्स को कई तरीकों से नियंत्रित करता है। लेकिन इसकी भूमिका का उद्देश्य मूलरूप से कोशिकाओं को जीवित और स्वस्थ रखने तथा ठीक से काम करने में मदद करने पर आधारित है। यह काम कई प्रकार के अलग-अलग मकैनिज्म के तहत होता है, मिसाल के लिए संबंधित अंग के लिए उपयुक्त प्रोटीन बनाना या विशेष प्रकार के वंशाणुओं को शांत रखना।

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ताजा शोध में शोधकर्ताओं ने अग्नाशय के ऊतकों की छोटी-छोटी (इसलेट) कोशिकाओं में सीएनओटी3 की कार्यप्रणाली का अध्ययन किया है। इसके लिए उन्होंने इन कोशिकाओं को चूहों में डाला। इसके बाद उन्होंने यह जानने की कोशिश की कि सीएनओटी3 वाले डायबीटिक चूहों और नॉन-डायबीटिक चूहों में किसी प्रकार का अंतर आता है या नहीं। इस दौरान उन्होंने पाया कि डायबीटिक इसलेट कोशिकाओं में सीएनओटी3 की संख्या तेजी से कम हुई थी, जबकि नॉन-डायबीटिक कोशिकाओं में ऐसा देखने को नहीं मिला था। प्रोटीन के बारे में और जानने के लिए वैज्ञानिकों ने सामान्य सेहत वाले चूहों के बीटा सेल्स में इसके प्रॉडक्शन को ब्लॉक कर दिया। चार हफ्तों तक इन जानवरों का मेटाबॉलिज्म सामान्य रहा। लेकिन आठवें हफ्ते में उनमें ग्लूकोस बढ़ने लगा और 12वें हफ्ते तक ये चूहे पूरी तरह डायबिटीज की चपेट में आ चुके थे।

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अध्ययन में शोधकर्ताओं ने जाना कि बीटा सेल्स में जो वंशाणु आमतौर पर सक्रिय नहीं रहते, वे सीएनओटी3 के नहीं होने पर काम करने लगते हैं और प्रोटीन का निर्माण करना शुरू कर देते हैं। सक्रिय होने के बाद ये बीटा सेल्स के लिए कई तरह की समस्याएं खड़ी कर देते हैं, जैसे ग्लूकोस लेवल के हिसाब से बीटा सेल्स को इंसुलिन को नियंत्रित करने से रोक देना। इस बारे में डॉ. मोस्तफा का कहना है, 'हम इन वंशाणुओं के बारे में अभी भी ज्यादा नहीं जानते कि उनके सामान्य कार्य क्या हैं और वे किस तरह शांत रहते हैं। इसलिए यह जान पाना अच्छा है कि सीएनओटी3 उन्हें असक्रिय बनाए रखने में महत्वपूर्ण फैक्टर साबित हो सकता है।'

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