टॉक्सिक हेपेटाइटिस लिवर में होने वाली सूजन है. टॉक्सिक हेपेटाइटिस के लक्षण में स्किन का पीला पड़ जाना, खुजली, थकान, पेट के ऊपरी दाहिने हिस्से में दर्द रहना, भूख का कम हो जाना शामिल है. कुछ खास तरह के केमिकल, ड्रग, शराब और दवाइयों के चलते टॉक्सिक हेपेटाइटिस की समस्या हो सकती है. टॉक्सिक हेपेटाइटिस के इलाज में केमिकल या ड्रग के एक्सपोजर से परहेज करना, शराब से दूरी बनाकर रखना आदि शामिल है.
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आज इस लेख में आप टॉक्सिक हेपेटाइटिस के लक्षण, कारण व इलाज के बारे में विस्तार से जानेंगे -
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टॉक्सिक हेपेटाइटिस के लक्षण
टॉक्सिक हेपेटाइटिस के हल्के रूप में कोई खास लक्षण नहीं दिखता है और इसे सिर्फ ब्लड टेस्ट द्वारा पकड़ा जा सकता है, लेकिन जब टॉक्सिक हेपेटाइटिस के लक्षण नजर आने लगते हैं, तो वो निम्न प्रकार से हो सकते हैं -
- त्वचा और आंखों का पीला पड़ना (जॉन्डिस)
- खुजली होना
- पेट के ऊपरी दाहिने हिस्से में दर्द होना
- थकान महसूस होना
- भूख का कम हो जाना
- जी मिचलाना और उल्टी
- स्किन पर रैश नजर आना
- बुखार होना
- वजन का कम हो जाना
- पेशाब का गहरे रंग का हो जाना
- डायरिया
- कभी-कभी जोड़ों में दर्द होना
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टॉक्सिक हेपेटाइटिस के कारण
टॉक्सिक हेपेटाइटिस कुछ खास तरह के केमिकल, दवा या शराब पीने से हो सकता है. आइए, टॉक्सिक हेपेटाइटिस के कारणों के बारे में विस्तार से जानते हैं -
केमिकल के संपर्क में आना
किसी भी तरह के केमिकल या सॉल्वेंट के संपर्क में आना टॉक्सिक हेपेटाइटिस का कारण बन सकता है. ऐसा केमिकल को सांस के जरिए अंदर लेने या स्किन के स्पर्श होने से भी हो सकता है.
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ओवर द काउंटर दवाओं का सेवन
कई ओवर द काउंटर दवाइयों का सेवन टॉक्सिक हेपेटाइटिस का कारण बन सकता है. इसमें आइबूप्रोफेन, डायक्लोफेनैक, नेप्रोक्सेन, एनेस्थेटिक्स, एंटी सीजर दवाइयां, एंटीडिप्रेसेंट, एंटी रयूमेटिक ड्रग शामिल हैं.
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कीमोथेरेपी
कैंसर का एक इलाज कीमोथेरेपी है. यह इलाज लिवर को प्रभावित करके टॉक्सिक हेपेटाइटिस का कारण बन सकता है. इस थेरेपी में जो दवाएं इस्तेमाल होती हैं, वो टॉक्सिक होती है और लिवर को प्रभावित कर सकती हैं.
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हर्बल सप्लीमेंट का सेवन
यह जानकर आश्चर्य होगा, लेकिन यह सच है कि कुछ हर्बल सप्लीमेंट भी टॉक्सिक हेपेटाइटिस का कारण बन सकते हैं. एलोवेरा, ब्लैक कोहोश, कॉम्फ्रे, इफेड्रा या कावा जैसे हर्बल सप्लीमेंट से यह समस्या हो सकती है.
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शराब का सेवन
शराब का सेवन लिवर को क्षतिग्रस्त कर सकता है, खाकसार तब जब शराब के साथ ड्रग्स को मिला लिया जाता है.
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टॉक्सिक हेपेटाइटिस का इलाज
फिजिकल एग्जाम, ब्लड टेस्ट, इमेजिंग टेस्ट और लिवर बायोप्सी से टॉक्सिक हेपेटाइटिस का पता चलता है. डॉक्टर पहले टॉक्सिक हेपेटाइटिस के कारण का पता लगाते हैं और फिर उसी के अनुसार इसका इलाज किया जाता है. आइए, टॉक्सिक हेपेटाइटिस के इलाज के बारे में विस्तार से जानते हैं -
केमिकल या ड्रग के एक्सपोजर से परहेज
अगर टेस्ट से पता चला है कि किसी केमिकल या ड्रग के एक्सपोजर से टॉक्सिक हेपेटाइटिस हुआ है, तो उससे दूर रहने के लिए कहा जाता है. फिर चाहे काम को ही क्यों न बदलना पड़े.
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शराब से दूरी
शराब से दूरी बनाना बेहद जरूरी हो जाता है, क्योंकि यह लिवर को धीरे-धीरे इतना डैमेज कर सकता है कि इसका इलाज कराना मुश्किल हो जाता है.
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दवाइयों का सेवन
जिन लोगों को टॉक्सिक हेपेटाइटिस का लक्षण बहुत गंभीर राहत है, उन्हें हॉस्पिटल में भर्ती कर लिया जाता है. वहां डॉक्टर की सलाह पर इंट्रावेनस के जरिए दवाइयां दी जाती हैं ताकि उल्टी बंद हो सके. डॉक्टर लिवर डैमेज की मॉनिटरिंग भी करते हैं.
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लिवर ट्रांसप्लांट
अगर लिवर सही तरीके से काम करना बंद करता है, तो उस स्थिति में डॉक्टर लिवर ट्रांसप्लांट की सलाह दे सकता है. लिवर ट्रांसप्लांट में खराब लिवर को हटाकर डोनर से मिले हेल्दी लिवर को लगा दिया जाता है.
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सारांश
टॉक्सिक हेपेटाइटिस रोग में लिवर में सूजन आ जाती है. इसके लक्षण के रूप में स्किन और आंखों का पीला पड़ जाना, स्किन में खुजली और रैश होना, उल्टी होना, थकान महसूस होना और भूख कम लगना शामिल है. टॉक्सिक हेपेटाइटिस के कारणों में शराब का ज्यादा सेवन, केमिकल या सॉल्वेन्ट से एक्सपोजर, कीमोथेरेपी और हर्बल सप्लीमेंट का सेवन शामिल है. फिजिकल एग्जाम और ब्लड टेस्ट जैसे कुछ तरीकों से टॉक्सिक हेपेटाइटिस का पता चल सकता है. इसके बाद इलाज की शुरुआत डॉक्टर द्वारा की जाती है.
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