स्यूडोएन्युरिज्म क्या है?
जब रक्त वाहिकाएं किसी कारण से क्षतिग्रस्त हो जाती हैं और आसपास के ऊतकों में रक्त बहने लग जाता है, तो इससे होने वाली समस्या को स्यूडोएन्युरिज्म कहा जाता है। स्यूजोएन्युरिज्म को फॉल्स एन्युरिज्म भी कहा जाता है। चूंकि, एन्युरिज्म (धमनीविस्फार) में धमनी या रक्त वाहिकाएं कमजोर हो जाती हैं, जिससे प्रभावित हिस्से का आकार बढ़ जाता है।
स्यूडोएन्युरिज्म आमतौर पर कार्डियक कैथीटेराइजेशन से होने वाली जटिलताओं के रूप में होती है। कार्डियक कैथीटराइजेशन एक मेडिकल प्रक्रिया है, जिसमें एक पतली व लचीली ट्यूब को जांघों के पास मौजूद एक धमनी (फेमोरल आर्टरी) में डाला जाता है। कार्डियक कैथीटेराइजेशन का उपयोग आमतौर पर विभिन्न हृदय रोगों का पता लगाने और इलाज करने के लिए किया जाता है। जहां पर कैथीटर लगाया गया था, यदि उस जगह पर रक्त जमा होने या रिसने लगता है तो स्यूडोएन्युरिज्म रोग हो जाता है।
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स्यूडोएन्युरिज्म के लक्षण क्या हैं?
स्यूडोएन्युरिज्म के लक्षण उसकी गंभीरता व अंदरूनी कारणों के अनुसार अलग-अलग हो सकते हैं। यदि स्यूडोएन्युरिज्म का आकार काफी छोटा है, तो हो सकता है कि आपको इससे कोई भी लक्षण दिखाई न दें। हालांकि, यदि प्रभावित हिस्से में अधिक सूजन, लालिमा, गांठ, छूने पर दर्द होना या गर्माहट महसूस हो रही है, तो जल्द से जल्द डॉक्टर को इस बारे में बता देना चाहिए।
स्यूडोएन्युरिज्म से ग्रस्त लोगों में आमतौर पर निम्न से जुड़े लक्षण देखे जा सकते हैं -
- शरीर के किसी विशेष हिस्से में सूजन व छूने पर दर्द होना (खासतौर पर कोई सर्जरी आदि होने के बाद)
- शरीर के किसी हिस्से पर हुई गांठ में दर्द रहना और छूने पर दर्द बदतर हो जाना
- जल्दी थकान होना
- रक्तचाप बढ़ना
- सीने में दर्द होना
स्यूडोएन्युरिज्म से ग्रस्त व्यक्ति का स्वास्थ्य पूरी तरह से प्रभावित हो जाता है, जिस कारण से उसमें कुछ अन्य लक्षण भी देखे जा सकते हैं, जिनमें निम्न शामिल हैं -
डॉक्टर को कब दिखाएं?
स्यूडोएन्युरिज्म एक आपातकालीन स्थिति है, जिसमें जल्द से जल्द डॉक्टर से मदद लेना अति आवश्यक है। यदि व्यक्ति की हाल ही में कोई सर्जरी हुई है और उपरोक्त में से कोई भी लक्षण महसूस हो रहा है, तो डॉक्टर से इस बारे में बात कर लेनी चाहिए।
स्यूडोएन्युरिज्म का जितना जल्दी इलाज शुरू किया जाए, उतना ही बेहतर रहता है। इसीलिए यदि आपको किसी भी वजह से स्यूडोएन्युरिज्म पर संदेह है तो डॉक्टर से बात कर लेनी चाहिए।
स्यूडोएन्युरिज्म के क्या कारण हैं?
स्यूडोएन्युरिज्म के कुछ मामलों में उसके कारण का सटीक रूप से पता नहीं लग पाता है। ऐसे मामलों में अचानक से ही स्यूडोएन्युरिज्म के लक्षण महसूस होने लगते हैं। जबकि कुछ अन्य ऐसे मामले भी हैं, जो निम्न के कारण हो सकते हैं -
- कार्डियक कैथीटेराइजेशन -
यह एक मेडिकल प्रक्रिया है, जिसका उपयोग स्वास्थ्य संबंधी विभिन्न बीमारियों का इलाज करने के लिए किया जाता है। यदि इस प्रक्रिया के दौरान किसी धमनी में छेद हो जाता है, तो उससे लगातार रक्तस्राव होने लगता है और स्यूडोएन्युरिज्म हो जाता है।
- चोट लगना -
सड़क दुर्घटना या किसी अन्य कारण से शारीरिक चोट लगने के परिणामस्वरूप एओर्टा धमनी क्षतिग्रस्त हो जाने पर भी रक्तस्राव होने लगता है। लगातार रक्तस्राव होने के कारण प्रभावित ऊतकों में स्यूडोएन्युरिज्म विकसित हो जाता है।
- सर्जरी संबंधी समस्याएं -
कई प्रकार की सर्जरी आदि के दौरान भी यदि गलती से किसी धमनी पर कट लग जाता है, तो वहां से रक्त बहने लगता है। ठीक उसी प्रकार रक्त आसपास के ऊतकों में जमा होने लगता है और स्यूडोएन्युरिज्म रोग हो जाता है।
- संक्रमण -
कुछ मामलों में संक्रमण के कारण भी स्यूडोएन्युरिज्म रोग हो जाता है। हालांकि, यह काफी दुर्लभ स्थिति है लेकिन फिर भी कुछ अध्ययनों में पाया गया है कि कुछ प्रकार के संक्रमण स्यूडोएन्युरिजम का कारण बन सकते हैं।
- एन्युरिज्म होना -
यदि किसी व्यक्ति को पहले एओर्टिक एन्युरिज्म या इसका कोई अन्य प्रकार है, तो भी स्यूडोएन्युरिज्म हो सकता है। ऐसा आमतौर पर तब होता है, जब एन्युरिज्म फट जाता है।
स्यूडोएन्युरिज्म होने का खतरा कब बढ़ता है?
कुछ कारक हैं, जो स्यूडोएन्युरिज्म होने के खतरे को बढ़ा देते हैं। इनमें से कुछ हैं -
- नशे की एंटीप्लेटलेट दवाएं लेना
- रक्त को पतला करने वाली या एंटी-कॉएग्युलेंट दवाएं लेना
- नशे में वाहन आदि चलाना (जिससे दुर्घटना होने का खतरा बढ़ जाता है)
स्यूडोएन्युरिज्म का परीक्षण कैसे किया जाता है?
स्यूडोएन्युरिज्म का मुख्य परीक्षण हृदय विशेषज्ञ डॉक्टरों के द्वारा या उनकी निगरानी में किया जाता है। परीक्षण के दौरान सबसे पहले मरीज के स्वास्थ्य लक्षणों की जांच की जाती है और साथ ही मरीज से उसके स्वास्थ्य संबंधी पिछली जानकारियों के बारे में पूछा जाता है। स्थिति की पुष्टि करने के लिए कुछ अन्य टेस्ट भी किए जा सकते हैं -
- अल्ट्रासोनोग्राफी -
स्यूडोएन्युरिज्म व इससे जुड़ी अन्य समस्याओं का पता लगाने के लिए अल्ट्रासोनोग्राफी टेस्ट को सबसे मुख्य माना जाता है।
- एंजियोग्राम -
यह एक प्रकार का एक्स रे टेस्ट होता है, जिसका उपयोग करके रक्त वाहिकाओं को और ध्यान से देखा जाता है। एंजियोग्राम में एक कैथीटर की मदद से रक्त वाहिकाओं में विशेष प्रकार की डाई डाली जाती है। यह डाई एक्स रे में अलग दिखाई देती है, जिससे रक्त वाहिकाएं स्पष्ट दिखने लगती हैं।
स्यूडोएन्युरिज्म का इलाज कैसे किया जाता है?
स्यूडोएन्युरिज्म का इलाज स्थिति की गंभीरता, उसके अंदरूनी कारण और शरीर का कौन सा हिस्सा प्रभावित हुआ है आदि पर निर्भर करता है। यदि स्यूडोएन्युरिज्म का आकार काफी छोटा है, तो डॉक्टर किसी प्रकार का इलाज शुरू न करके उस पर करीब से नजर रखते हैं। समय-समय पर अल्ट्रासाउंड करवा कर ऐसा किया जाता है। इस दौरान डॉक्टर मरीज को शारीरिक गतिविधियां करने से मना कर सकते हैं, जिनमें आमतौर पर निम्न शामिल हैं -
- सीढ़ियां चढ़ना
- तेज चलना या दौड़ना
- कोई वजन उठाना
- बार-बार झुकना या उठना-बैठना
यदि स्यूडोएन्युरिज्म का आकार बड़ा है, तो हो सकता है कि डॉक्टर उसका जल्द से जल्द इलाज शुरू कर दें। पहले के समय में ऐसी स्थिति का इलाज सिर्फ सर्जरी से ही संभव हो पाता था। हालांकि, अभी कई प्रकार की दवाओं से भी स्थिति को नियंत्रित किया जा सकता है। जबकि कुछ मामलों में अब भी सर्जरी ही सबसे उत्तम विकल्प माना जाता है।
हालांकि, कुछ अन्य उपचार विकल्प भी हैं, जिनमें चीरा आदि लगाने की आवश्यकता नहीं पड़ती या फिर बहुत ही छोटा चीरा लगाना पड़ता है। इन उपचार विकल्पों में आमतौर पर निम्न शामिल हैं -
- अल्ट्रासाउंड गाइडेड कॉम्प्रेशन -
यह इलाज प्रक्रिया आमतौर पर छोटे स्यूडोएन्युरिज्म के मामलों में इस्तेमाल की जाती है। ये स्यूडोएन्युरिज्म बहुत ही कम मामलों में लक्षण विकसित करते हैं, लेकिन इनका इलाज करना जरूरी होता है, ताकि इन्हें बढ़ने से रोका जा सके।
- अल्ट्रासाउंड गाइडेड थ्रोम्बिन इंजेक्शन -
इस प्रक्रिया में मरीज को इंजेक्शन दिया जाता है। यह प्रक्रिया भी साधारण ही होती है। हालांकि, कुछ लोगों को इसमें हल्का दर्द व अन्य तकलीफ हो सकती हैं।
ये दोनों प्रक्रियाएं अल्ट्रासाउंड की मदद से की जाती हैं।
सर्जरी
सर्जिकल प्रक्रिया की मदद से प्रभावित ऊतकों को हटा देना स्यूडोएन्युरिज्म की सबसे पुरानी इलाज प्रक्रिया है। हालांकि, इस इलाज से कई जटिलताएं विकसित होने का खतरा रहता है।
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