खेसारी एक प्रकार की फसल है, जिससे दाल बनाई जाती है. इसका बोटैनिकल नाम लेथाइरस सेटाइवस है. विश्व के कई देशों में इसकी खेती होती है. इसको विभिन्न नामों से भी जाना जाता है, जैसे अंग्रेजी में ग्रास पी या चिक्लिंग वेच. मराठी में इसे लाख, बिहार में तिवरी और पूर्वी-उत्तर प्रदेश में लतरी नाम से जाना जाता है.
खेसारी दाल स्वाद में थोड़ी कसैली और मीठी होती है. आयुर्वेद में खेसारी के पत्ते, बीज और बीज का तेल औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है. इस दाल में कई पोषक तत्व होते हैं और आंखों की बीमारियों के उपचार में भी कारगर है, लेकिन इसके अधिक उपयोग से कई गंभीर बीमारियां जैसे नर्वस सिस्टम सुन्न होना व ठंड लगना आदि समस्याएं हो सकती हैं.
आज इस लेख में खेसारी दाल के फायदे और नुकसान के बारे में जानेंगे.
खेसारी दाल के फायदे
कम कीमत में उपलब्ध होने और अन्य दालों से लगभग तीन गुना अधिक उपज देने के कारण खेसारी दाल की मांग ज्यादा है. इसके साथ ही यह दाल प्रदूषण से त्वचा की रक्षा करती है और पेट की समस्याओं से भी बचाती है. आइए, खेसारी दाल के फायदों के बारे में विस्तार से जानते हैं-
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आंखों के लिए खेसारी दाल के फायदे
यह दाल आंखों की परेशानियों, जैसे आंख में दर्द, रतौंधी, लाल आंख आदि में लाभ करती है. खेसारी के फल के रस से आंख में सूजन और जलन में आराम मिलता है. आयुर्वेद के अनुसार, खेसारी के पत्ते साग के रूप में खाने से आंख की कई गंभीर बीमारियां दूर होती हैं.
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स्किन के लिए खेसारी दाल के फायदे
कई बार अधिक कॉस्मेटिक इस्तेमाल करने या प्रदूषण के कारण त्वचा रूखी हो जाती है. ऐसा शरीर में पोषण की कमी से भी होता है. खेसारी दाल के बीजों का चूर्ण त्वचा का रूखापन कम करने में लाभकारी साबित हो सकता है.
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पेट के लिए खेसारी दाल के फायदे
यह दाल एसिडिटी खत्म करने में सहायता करती है और इसकी तासीर ठंडी होती है. इसलिए, शरीर में एसिड बढ़ने पर इसका सेवन परेशानी से राहत दिलाता है. खेसारी के बीज का सेवन करने से पेट, गले या आंत में होने वाले पेप्टिक अल्सर में दर्द से आराम मिलता है. साथ ही, यह अंदरूनी सूजन को भी कम करता है. इसका तेल लेक्सेटिव होने के कारण पेट साफ करता है. इससे पाचन तंत्र तंदुरुस्त रहता है और कई गंभीर बीमारी जैसे कब्ज, बवासीर और अल्सर से बचाता है.
हड्डियों के लिए खेसारी दाल के फायदे
बोन मिनरल डेंसिटी कम होने से हड्डियां कमजोर हो जाती हैं और ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या उत्पन्न होती है. ऐसे में फ्रैक्चर का खतरा बढ़ जाता है, लेकिन खेसारी दाल के सेवन से यह कमी नहीं होती है.
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गांठों के लिए खेसारी दाल के फायदे
कई बार शरीर का मेटाबॉलिज्म कमजोर होने से हाथ या पैरों में गांठ बन जाती हैं. पिसे हुए खेसारी के बीजों की पोटली बनाकर बांधने से गांठ से निजात प्राप्त होती है.
खेसारी दाल के नुकसान
जहां इस दाल के अनेक फायदे हैं, वहीं इसके कई दुष्परिणाम भी हैं. इसको बहुत ज्यादा खाने से सुनने की शक्ति पर असर पड़ सकता है और अन्य गंभीर रोग भी हो सकते हैं. आइए विस्तार में जानें, खेसारी दाल के नुकसानों के बारे में.
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नर्वस सिस्टम हो सकता है सुन्न
खेसारी दाल पोषण तो देती है, लेकिन यह जहरीली भी हो सकती है. इसमें बीटा एन ऑक्सिल डाईअमिनो प्रोपियोनिक एसिड नामक न्यूरोटोक्सिक एमिनो अम्ल होता है. इसके सेवन से कलायखंज नामक रोग होने का खतरा होता है. इस रोग में शरीर के निचले हिस्से में अपंगता आ सकती है या फिर पांव और नर्वस सिस्टम सुन्न हो जाते हैं.
गठिया की समस्या
खेसारी दाल में मौजूद टॉक्सिन से गठिया जैसे गंभीर रोग भी उत्पन्न हो सकते हैं. इसी कारण वर्ष 1961 में भारत सरकार ने इस दाल के उत्पादन और उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया था. हालांकि कुछ वर्ष पहले 2008 में भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद ने इस पर लगे प्रतिबंध को हटा लिया है. भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण इसके उपयोग की निगरानी कर रहा है.
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सारांश
खेसारी दाल को उगाने में बहुत कम लागत आती है और यह विपरीत परिस्थितियों, जैसे सूखा या बाढ़ में भी उग सकती है. साथ ही इसे खाने के अनेक फायदे भी हैं, लेकिन विभिन्न देशों में हुए कई शोधों में देखा गया है कि लंबे समय तक इस दाल का सेवन हानिकारक हो सकता है. दरअसल, इसमें मौजूद अवयवों से नर्व्स सिस्टम संबंधी समस्याएं भी हो सकती हैं. इसलिए, सीमित मात्रा में इसका सेवन करने से ये स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हो सकती है. इसके साइड-इफेक्ट्स को देखते हुए डायटीशियन से सलाह लेकर ही इस दाल को अपनी डाइट में शामिल करें.
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