बोसवेलिया पेड़ (Boswellia) एक बहुत ही लोकप्रिय जड़ी बूटी के रूप में जाना जाता रहा है। स्कॉटिश बॉटनिस्ट जॉन बोसवेल के नाम पर इस जड़ी बूटी का नाम है। यह पेड़ भारत, उत्तरी अफ्रीका और मध्य पूर्वी देशो के सूखे पहाड़ी इलाकों में पाया जाता है। लेकिन हर जगह बोसवेलिया की अलग अलग प्रजातियाँ पाई जाती हैं। बोसवेलिया की एक मुख्य प्रजाति बोसवेलिया सेरेटा (Boswellia Serrata) भारत में उगती है और यह ख़ासतौर से भारत और पाकिस्तान के पंजाब क्षेत्र में पाई जाती है। बोसवेलिया सेरेटा को संस्कृत में शल्लकी के नाम से भी जाना जाता है। इससे निकला गोंद राल भारतीय फ्रैंकिनस (indian frankincense) या लोबान, कुंदर, मकुंद कहलाता है जिसे औषधि के रूप में सदियों से आयुर्वेद चिकित्सा में जोड़ों के दर्द और सूजन के इलाज के लिए प्रयोग किया जाता रहा है।
शल्लकी एक मध्यम आकार का पेड़ है जिसकी राख के रंग जैसी छाल होती है। इसके पत्ते नीम के पौधे की तरह होते हैं जिन पर छोटे सफेद फूल लगे होते हैं। यह दो हज़ार वर्षों से भी अधिक एक गठिया विरोधी जड़ी बूटी के रूप में इस्तेमाल किया गया है।