ब्राह्मी, भारत की प्राचीन जड़ी बूटी है। इसे तंत्रिका तंत्र और दिमाग तेज करने वाले औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है। आयुर्वेदिक उपचार में ब्राह्मी को मेध्यरसायन का नाम दिया गया है एवं इसका अर्थ है नसों के लिए शक्तिवर्द्धक के रूप में कार्य करने वाली तथा पुनर्जीवित करने वाले तत्व से युक्त।
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ब्राह्मी ने तनाव को कम करने वाले तत्व के रूप में बहुत लोकप्रियता हासिल की है। पिछले 3000 वर्षों से भारतीय पारंपरिक औषधियों में ब्राह्मी का इस्तेमाल किया जा रहा है। भारत के प्राचीन ग्रंथों चरक संहिता और सुश्रुत संहिता में भी इस जड़ी बूटी का उल्लेख किया गया है। सुश्रुत संहिता में ब्राह्मी घृत और ब्राह्मी को ऊर्जा प्रदान करने वाली बताया गया है।
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि ब्राह्मी शब्द ब्राह्माण या हिंदू देवता ब्रह्मा से लिया गया है। इसलिए ब्राह्मी का मतलब है ब्रह्मा की शक्ति। ब्राह्मी तंत्रिका तंत्र को शक्ति देती है। ब्राह्मी का पौधा रसीला होता है। ये जमीन पर फैला होता है और इसमें अत्यधिक पानी को संग्रहित करने की क्षमता होती है। ब्राह्मी के फूल सफेद, गुलाबी और नीले रंग के होते हैं।
ब्राह्मी के बारे में तथ्य:
- वानस्पतिक नाम: बाकोपा मोनिएरी
- कुल: प्लांटेजिनेसी
- सामान्य नाम: ब्राह्मी, जलबूटी, जल ब्राह्मी, नीर ब्राह्मी, जल नेवरी
- संस्कृत नाम: ब्राह्मी
- उपयोगी भाग: पत्तियां, तना
- भौगोलिक विवरण: विश्व में प्रमुख तौर पर ब्राह्मी उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाई जाती है। भारत, नेपाल, पाकिस्तान, चीन और श्रीलंका में ब्राह्मी उगाई जाती है। भारत के पंजाब, राजस्थान, बिहार, दिल्ली, गोवा, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और केरल में ब्राह्मी पाई जाती है। कई अरब देशों जैसे कि यमन, सऊदी अरब और कुवैत में भी ब्राह्मी उगाई जाती है।
- गुण: शीतल