पिप्पली या छोटी पीपल या लोंग पेपर अनेक औषधीय गुणों से संपन्न होने के कारण आयुर्वेद की एक प्रमुख दवा है। बहुत से लोग इसे मसाले की सामग्री के रूप में जानते हैं किंतु इसके गुणों के बारे में नहीं जानते हैं।
पिप्पली की कोमल तनों वाली लताऐं 1-2 मीटर तक जमीन पर फैली होती है। इसके गहरे रंग के चिकने पत्ते 2-3 इंच लंबे और 1-3 इंच चौड़े, हृदय के आकार के होते हैं। इसके पुष्पदंड 1-3 इंच और फल 1 इंच से थोड़े से कम या अधिक लंबे शहतूत के आकार के होते हैं। कच्चे फलों का रंग हल्का पीलापन लिए और पकने पर गहरा हरा रंग और उसके बाद काला हो जाता है। इसके फलों को ही छोटी पिप्पली या लोंग पेपर कहा जाता है।
भारत के गर्म क्षेत्रों, केंद्रीय हिमालय से असम, पश्चिम बंगाल की पहाड़ियों, पश्चिमी घाट के सदाहरित जंगलों तक पायी जाती है। पिप्पली की नार्थ-ईस्ट और दक्षिण भारत में खेती भी की जाती है। आयुर्वेद में पिप्पली के कच्चे फलों को औषधीय रूप में प्रयोग करते हैं। यह सूर्य / चंदवा की किरणों के नीचे सूखाकर उपयोग किया जाता है। इसकी रूट सबसे अधिक उपयोग की जाती है।