सूखे मेवों की सबसे पुरानी किस्मों में पिस्ता का नाम भी शामिल है। काजू के परिवार से संबंधित पिस्ते का छोटा-सा पेड़ मध्य एशिया और मध्य पूर्व में पाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि हजारों सालों से मध्य पूर्व में पिस्ता उगाया जा रहा है। बाइबिल में भी पिस्ते का उल्लेख मिलता है। इसी से पता चलता है कि इतिहास में भी पिस्ते को कितना महत्व दिया गया था।
पुरातत्त्वविदों ने ये खुलासा किया है कि 6750 ई.पू. में पिस्ता के बीजों का सेवन किया जाता था। इटली और हिस्पानिया से पहले पिस्ता सीरिया में आया था। पुरातत्वविदों को पूर्वोत्तर इराक में खुदाई के दौरान ऐसे सबूत मिले हैं जो अटलांटिक पिस्ता के इस्तेमाल का संकेत देते हैं। आधुनिक पिस्ते की खेती सबसे पहले मध्य एशिया में कांस्य युग के दौरान की गई थी।
वर्तमान समय में संयुक्त राज्य अमेरिका में न्यू मैक्सिको और कैलिफोर्निया के साथ-साथ ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में व्यावसायिक रूप से पिस्ता की खेती की जाती है। यहां पर 1854 में सबसे पहले पिस्ता पेश किया गया था। वर्ष 2014 में ईरान और संयुक्त राज्य पिस्ता के प्रमुख उत्पादक हुआ करते थे। विश्व में पिस्ता के कुल उत्पादन का लगभग 76 फीसदी हिस्सा ये दोनों देश ही उत्पादित करते थे।
पिस्ता पोषक तत्वों, एंटीऑक्सीडेंट्स और हैल्दी प्रोटींस से भरपूर है। हृदय और मस्तिष्क की सेहत के लिए भी इसे फायदेमंद माना जाता है। पिस्ता में मौजूद डायट्री फाइबर वजन घटाने में मदद कर सकते हैं। पिस्ते को स्नैक के रूप में, ताजा या भूनकर नमक के साथ खा सकते हैं। इसे सलाद में या अन्य सूखे मेवों के साथ मिलाकर भी ले सकते हैं। पिस्ता आईस्क्रीम, कुल्फी, पिस्ता बटर, हलवा और चॉकलेट में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है।
पिस्ता के बारे में तथ्य:
- वान्सपतिक नाम: पिस्टेसिया वीरा
- कुल: काजू (आनाकार्द्यूम्)
- सामान्य नाम: पिस्ता
- उपयोगी भाग: पिस्ता फल के बीज
- भौगोलिक विवरण: ईरान, तुर्की, चीन, संयुक्त राज्य, अफगानिस्तान और सीरिया
- रोचक तथ्य: कहा जाता है कि 700 ईसा पूर्व बेबीलोन के हैंगिंग गार्डन में पिस्ता के पेड़ हुआ करते थे।