इमली के खट्टे-मीठे स्वाद के कारण इसका नाम लेते ही सभी के मुँह में पानी आ जाता है। इमली खाना सभी पसंद करते हैं। इसका पेड़ सभी जगह आसानी से मिल भी जाता है। इमली का प्रयोग कई चीज़ो में, जैसे पानीपुरी का पानी तैयार करने, खाद्य पदार्थो को खट्टा बनाने और चटनी बनाने आदि में किया जाता है। इमली दक्षिण भारतीय व्यंजनों में प्रयोग किये जाने वाले सबसे सामान्य मसालों में से एक है।
इमली का वैज्ञानिक नाम टैमॅरिन्ड है। इमली को भारत में कई नामों से जाना जाता है। इसे हिंदी में इम्ली, तेलुगू में चिंतपंडू, बंगाली में टेटुल, गुजराती में अम्ली, मराठी में चिंच, कन्नड़ में हंस और मलयालम में वालानपुली कहा जाता है। इमली का पेड़ अफ्रीका के ट्रॉपिकल (tropical) क्षेत्रों में पाया जाता है, विशेष रूप से सूडान (Sudan) में। लेकिन अब इसके पोषण और स्वाद के कारण दुनिया के लगभग सभी क्षेत्रों में इसकी खेती की जाती है। मेक्सिको और दक्षिण अमेरिका दुनिया में इमली के सबसे बड़े उपभोक्ता और उत्पादक हैं। खान-पान में इमली के महत्व को सभी जानते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसका प्रयोग हमारे शरीर को कई प्रकार के रोगों और बीमारियों से बचाने के लिए भी किया जाता है? इमली में एंटीसेप्टिक गुण होते हैं इसलिए इसका सेवन शरीर के लिए फायदेमंद होता है।
इमली कई प्रकार के पोषक तत्वों से भरपूर है, जैसे विटामिन सी और विटामिन ए। इसके अलावा इसमें कैल्शियम, फास्फोरस, आयरन, पोटैशियम, मैंगनीज और फाइबर जैसे खनिज तत्वों की भी अच्छी मात्रा होती है। यह पोषक तत्व हमारे शरीर को पीलिया की बीमारी, आँखो की समस्या, सर्दी-जुखाम और वजन कम करने आदि में सहायक होते हैं।
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