विटामिन बी समूह में विटामिन बी 6 को भी शामिल किया जाता है। मेडिकल जगत में विटामिन बी 6 को पायरीडॉक्सीन (Pyridoxine) नाम से भी जाना जाता है। विटामिन बी 6 शारीरिक और मानसिक कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता हैं। यह विटामिन आपके चयापचय (मेटाबॉलिज्म), तंत्रिका कार्यों, लीवर, त्वचा और आंखों सहित अन्य अंगों को स्वस्थ बनाने व शारीरिक ऊर्जा के स्तर में वृद्धि करने का काम करता है।

विटामिन बी 6 की इन विशेषताओं की वजह से आपको इसके विषय में विस्तार से बताया जा रहा है। आगे आप जानेंगे कि विटामिन बी 6 क्या है, विटामिन बी 6 के फायदे, विटामिन बी 6 की अधिकता, विटामिन बी 6 कितनी मात्रा में लेना चाहिए और विटामिन बी 6 के स्त्रोत क्या है।

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  1. विटामिन बी6 क्या है? - Vitamin B6 kya hai?
  2. विटामिन बी 6 के स्त्रोत - Vitamin B6 ke srot
  3. विटामिन बी 6 के फायदे - Vitamin B6 ke fayde
  4. विटामिन बी 6 की अधिकता से होने वाले नुकसान - Vitamin B6 ki adhikta
  5. विटामिन बी 6 कितनी मात्रा में लेना चाहिए? - Vitamin B6 kitni matra me lena chahiye
  6. सारांश

विटामिन बी 6, विटामिन बी के अन्य विटामिन की तरह ही पानी में घुलनशील होता है। इसके कई लाभ होते हैं, जो इस प्रकार हैं - 

  • यह एड्रेनल ग्रंथि के कार्यों में सहायक होता है
  • तंत्रिका तंत्र व चयापचय (मेटाबॉलिज्म) प्रक्रिया के लिए भी आवश्यक माना जाता है
  • विटामिन बी 6 कार्बोहाइड्रेट, वसा और प्रोटीन को भोजन से प्राप्त करने का महत्वपूर्ण कार्य करता है
  • यह रोगों को कम करने वाले एंटीबॉडीज का निर्माण करता है।
  • विटामिन बी 6​ हीमोग्लोबिन बढ़ाने का काम भी करता है। हीमोग्लोबिन रक्त में मौजूद ऑक्सीजन को ऊतकों तक पहुंचाने का काम करता है।
  • इसके अलावा विटामिन बी 6 रक्त शकर्रा का स्तर सही बनाए रखता है।

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विटामिन बी 6 की रोजाना जरूरत को आप अपने भोजन के माध्यम से भी ले सकते हैं। विटामिन बी 6 युक्त खाद्य पदार्थों को आगे बताया जा रहा है।

  1. दूध
    लगभग हर किसी के घर में रोजाना दूध आता है। दूध में कई पोषक तत्व मौजूद होते हैं, जो शरीर की आवश्यकताओं को पूरा करते हैं। गाय या बकरी का एक कप दूध पीने से विटामिन बी 6 की पांच प्रतिशत जरूरत पूरी होती है। इसके अलावा दूध से विटामिन बी 12 और कैल्शियम भी मिलता है।
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  2. मछली
    मछली की कुछ प्रजातियां ऐसी होती है जिनमें विटामिन बी 6 अधिक मात्रा में होता है। सैलमन मछली विटामिन बी 6 के अलावा अन्य पोषक तत्वों और कम वसा युक्त प्रोटीन का स्त्रोत मानी जाती है। इसके अलावा टूना मछली को भी विटामिन बी 6 प्रदान करने वाली मछली कहा जाता है। 
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  3. गाजर
    एक गाजर, एक कप दूध के बराबर विटामिन बी 6 प्रदान करती है। इसके अलावा गाजर में फाइबर और विटामिन ए भी अधिक मात्रा में होता है। इसको आप कच्ची या पकाकर भी खा सकते हैं। अपने आहार में इसको शामिल करने से आपको कई पोषक तत्व मिलते हैं। 
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  4. केला
    केले में विटामिन बी 6 की मात्रा पाई जाती है। इसके सेवन से कई ऐसे हार्मोन का निर्माण होता है, जो आपकी तंत्रिकाओं और मस्तिष्क को स्वस्थ रखते हैं। 
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  5. मटर
    मटर आपको बाजार में आसानी से मिल जाते हैं। मटर खाने से आपको विटामिन बी 6 के अलावा फाइबर, विटामिन ए और सी मिलते हैं। मटर को भोजन में मिलाकर आप अपने आहार में विटामिन बी 6 की मात्रा को आसानी से बढ़ा सकते हैं। 
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  विटामिन बी 6 युक्त अन्य आहार

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विटामिन बी 6 की पर्याप्त मात्रा लेने से शरीर को कई फायदे होते है। इससे संबंधित फायदों को नीचे विस्तार से बताया जा रहा है।

1. रक्त वाहिकाओं को स्वस्थ बनाए रखता है
खून में होमोसिस्टिन (homocysteine) नामक यौगिक के स्तर को नियंत्रित करने के लिए विटामिन बी 6 की आवश्यकता होती है। होमोसिस्टिन एमिनो एसिड का प्रकार होता है, जो मीट से प्राप्त होता है। होमोसिस्टिन की अधिक मात्रा होने से सूजन और हृदय रोग हो जाते हैं। इससे रक्त वाहिकाओं के रोग भी होते हैं, जो हार्ट अटैक के लिए जिम्मेदार होते हैं।

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विटामिन बी 6 कम लेने से होमोसिस्टिन शरीर में बनता है और रक्त वाहिकाओं की परतों को खराब कर देता है। अध्ययन से पता चला है कि विटामिन बी 6 को फोलेट के साथ लेने से होमोसिस्टिन का स्तर आसानी से कम हो जाता है। इसके अलावा यह रक्त वाहिकाओं को दोबारा ठीक करने का भी काम करता है। विटामिन बी 6 से ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रोल का स्तर सही रहता है।

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2. मस्तिष्क के कार्यों में सहायक होता है
विटामिन बी 6 मस्तिष्क के निर्माण और उसके कार्यों में सहायक होता है। अध्ययन से इस बात का पता लगा है कि विटामिन बी 6 की कमी मस्तिष्क को प्रभावित करती है और इससे याददाश्त संबंधी रोग, जैसे अल्जाइमर और डिमेंशिया (मनोभ्रंश), हो जाते हैं। विटामिन बी 6 के द्वारा होमोसिस्टन के स्तर को नियंत्रण में करके मस्तिष्क के कार्यों को ठीक किया जा सकता है। होमोसिस्टिन न सिर्फ हृदय रोगों के लिए जिम्मेदार होता है, बल्कि इसके कारण केंद्रिय तंत्रिका तंत्र पर भी दुष्प्रभाव पड़ता है। विटामिन बी 6 आपके शरीर में सेरोटोनिन और नोरएपिनेफ्रीन (Norepinephrine) नामक हार्मोन को बनाने में भी मदद करता है। यह दोनों हार्मोन आपके मूड, ऊर्जा और एकाग्रता को बनाए रखने के लिए जरूरी होते हैं। रिसर्च के अनुसार सेरोटोनिन के स्तर में कमी होने से बच्चों को एडीएचडी (ध्यानाभाव एवं अतिसक्रियता विकार) हो सकता है। 

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3. मूड को ठीक करने वाला होता है
मस्तिष्क में सेरोटोनिन के स्तर को बढ़ाने वाला विटामिन बी 6 आपको अवसाद से मुक्त करने वाली दवा की तरह ही महत्वपूर्ण होता है। रिसर्च में इस बात का पता चला है कि विटामिन बी 6 मस्तिष्क में सेरोटोनिन और अन्य संबंधित संकेतों को प्रभावित करता है। सेरोटोनिन मूड को ठीक करके आपके अवसाद, दर्द, थकान और चिंता को दूर करने का काम करता है। इसके साथ ही मस्तिष्क में बनने वाले हार्मोन से संबंधित होने के कारण विटामिन बी 6 को दवा के रूप में लेने से भी ऊर्जा के स्तर में आ रही कमी दूर किया जा सकता है और एकाग्रता को भी बढ़ाया जा सकता है।

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4. एनीमिया के बचाव में सहायक होता है
खून में हीमोग्लोबिन बनने के लिए विटामिन बी 6 की आवश्यकता होती है। हीमोग्लोबिन लाल रक्त कोशिकाओं के माध्यम से शरीर की अन्य कोशिकाओं को ऑक्सीजन और आयरन प्रदान करती है। एनीमिया के कारण जब लाल रक्त कोशिकाएं पर्याप्त मात्रा में नहीं बन पाती हैं, तो थकान, दर्द और पीड़ा जैसे लक्षण महसूस होते हैं। अध्ययनों से पता चला है कि विटामिन बी 6 को पर्याप्त रूप में लेने से एनीमिया के खतरे को कम किया जा सकता है। 

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5. आंखों के स्वास्थ्य के लिए जरूरी होता है
खराब डाइट और पोषक तत्व की कमी आंखों के रोग होने की मुख्य वजह होती है। अध्ययन से पता चला है कि विटामिन बी 6 को फोलिक एसिड व अन्य विटामिन के साथ लेने से आंखों के विकार और कम दिखाई देने की समस्या से बचा जा सकता है।
माना जाता है कि पर्याप्त मात्रा में विटामिन बी 6 लेने से बढ़ती उम्र के कारण आंखों में होने वाले मैकुलर डीजेनेरेशन नामक रोग की संभावनाएं भी काफी हद तक कम हो जाती है। 

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6. रूमेटाइड आर्थराइटिस से बचाव करता है
विटामिन बी 6 की कमी का संबंध रूमेटाइड आर्थराइटिस (गठिया का एक प्रकार) के लक्षणों से होता है। कुछ प्रारंभिक अध्ययनों में यह पता चला है कि रूमेटाइड आर्थराइटिस से पीड़ित लोगों को स्वस्थ व्यक्ति की तुलना में अधिक विटामिन बी 6 की आवश्यकता होती है। इस रोग में सूजन की वजह से मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द होने के कारण रोगी को विटामिन बी 6 की अधिक आवश्यकता होती है। गठिया के कारण जोड़ों और मांसपेशियों में होने वाले दर्द को कम करने के लिए विटामिन बी 6 को लिया जा सकता है।

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विटामिन बी 6 को शरीर की जरूरत के अनुसार लेना सुरक्षित माना जाता है। भोजन के माध्यम से विटामिन बी 6 की अधिकता हानिकारक नहीं होती है, लेकिन शरीर में इसकी अधिकता कुछ मामलों में परेशानी का भी कारण बन सकती है। विटामिन बी 6 की अधिकता होने पर आपको निम्न तरह के तरह के लक्षण हो सकते हैं।

  • मांसपेशियों के नियंत्रण में परेशानी आना या अपनी इच्छा के अनुसार अंगों का हिलाने में मुश्किल होना। जैसे – एटेक्सिया (Ataxia) (और पढ़ें - मांसपेशियों में खिंचाव घरेलू उपाय)
  • त्वचा पर घावों होना (और पढ़ें - घाव का इलाज)
  • गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल (Gastrointestinal) लक्षण, जैसे सीने में जलन और उल्टी 
  • सूरज की रोशनी से त्वचा पर जलन होना (प्रकाश संवेदनशीलता/ photosensitivity) 
  • अंग सुन्न होना
  • दर्द और तापमान को महसूस करने की क्षमता कम होना।

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किस उम्र में विटामिनी बी 6 की रोजाना कितनी आवश्यकता होती है, इसको नीचे बताया गया है।

आयु  मात्रा
शिशु 0-6 महीने 0.1 मिलीग्राम
शिशु 7-12 महीने 0.3 मिलीग्राम
बच्चे 1-3 साल 0.5 मिलीग्राम
बच्चे 4-8 साल 0.6 मिलीग्राम
9-13 साल के बच्चे 1 मिलीग्राम
14-50 साल (पुरुष) 1.3 मिलीग्राम
50 साल से अधिक (पुरुष) 1.7 मिलीग्राम
महिलाओं 14-18 साल 1.2 मिलीग्राम
महिलाओं 1 9-50 साल 1.3 मिलीग्राम
50 साल से अधिक महिलाओं 1.5 मिलीग्राम
गर्भवती महिलाओं 1.9 मिलीग्राम
स्तनपान कराने वाली महिलाओं 2 मिलीग्राम

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विटामिन बी 6, जिसे पाइरिडॉक्सीन भी कहते हैं, शरीर के लिए अत्यंत आवश्यक है। यह विटामिन खाद्य पदार्थों से प्राप्त होता है और उसे शरीर द्वारा पाइरिडॉक्साल फॉस्फेट में परिवर्तित किया जाता है, जो प्रोटीन, फैट और कार्बोहाइड्रेट मेटाबोलिज्म में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह विटामिन बी6 भी न्यूरोलॉजिकल फ़ंक्शन्स के लिए आवश्यक है। अन्य समस्याओं का कारण बन सकता है, इसलिए सही आहार से इसकी आवश्यकता को पूरा करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।

 


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