अल्फा -1 एंटीट्रीप्सिन की कमी एक आनुवंशिक स्थिति है, जिसका मतलब है कि यह माता-पिता से उनके बच्चों में पारित हुई है। इसमें फेफड़ों या लिवर से जुड़ी गंभीर समस्याएं बन सकती हैं। इसे एएटी की कमी भी कहा जाता है। इस स्थिति में लोगों को अक्सर सांस लेने में तकलीफ और पीलिया या पीली त्वचा जैसी समस्या हो सकती है। अल्फा -1 एंटीट्रीप्सिन की कमी के लिए कोई इलाज नहीं है, लेकिन उपचार का लक्ष्य लिवर और सांस लेने की समस्याओं पर फोकस करना है।
यह बीमारी तब होती है जब लिवर अल्फा -1 एंटीट्रीप्सिन या एएटी नामक प्रोटीन की पर्याप्त मात्रा नहीं बनाता है। बता दें, फेफड़ों की सुरक्षा के लिए एएटी जरूरी है। इसके बिना संक्रमण और इरिटेंट (दर्द या जलन पैदा करने वाले कारक) जैसे तंबाकू का धुआं, आपके फेफड़ों के कुछ हिस्सों को तेजी से खराब करने लगता है।
यदि आपमें एएटी की कमी है, तो 20 या 30 की उम्र तक सांस लेने में तकलीफ नहीं हो सकती है। लेकिन जब यह लक्षण शुरू होते हैं, तो आप किसी अस्थमा मरीज की तरह सांस लेने में तकलीफ या घरघराहट महसूस कर सकते हैं।
कुछ लोगों में एएटी की कमी से क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) हो सकती है, जिसमें अक्सर एम्फिसीमा के लक्षण दिखाई देते हैं। एम्फिसीमा फेफड़ों से जुड़ी स्थिति है, जिसमें सांस लेने में दिक्कत होती है।