मैलिगनेंट हाइपरथर्मिया क्या है?
एनेस्थीसिया के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं के रिएक्शन से मैलिगनेंट हाइपरथर्मिया (एमएच) की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। यदि इस स्थिति का समय रहते इलाज ना किया गया तो इसकी वजह से व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है। यह एक आनुवांशिक समस्या है। कई बार इस समस्या के संकेत और लक्षण तब तक पता नहीं चल पाते हैं जब तक व्यक्ति को एनेस्थीसिया न दिया जाए।
मैलिगनेंट हाइपरथर्मिया के लक्षण सामान्यतः संबंधित दवाओं के संपर्क में आने के एक घंटे के बाद दिखाई देने लगते हैं, जबकि कई मामलों में इसके लक्षण महसूस होने में 12 घंटों तक का भी समय लग सकता है। बच्चों और 30 से कम आयु के युवाओं में मैलिगनेंट हाइपरथर्मिया होने के अधिकतर मामले देखे जाते हैं।
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मैलिगनेंट हाइपरथर्मिया के लक्षण क्या हैं?
मैलिगनेंट हाइपरथर्मिया में शरीर के तापमान में तेजी से वृद्धि (तेज बुखार) होती है, कई बार व्यक्ति के शरीर का तापमान 113 डिग्री फारेनहाइट तक पहुंच जाता है। इसमें व्यक्ति की मांसपेशियां कठोर हो जाती है और उनमें दर्द होने लगता है। इसके साथ ही पसीना आना, दिल की धड़कने अनियमित व तेज होना, सांस लेने में परेशानी होना, भूरे रंग का पेशाब आना, लो बीपी, कुछ समझ न आना (confusion), मांसपेशियों में सूजन आदि समस्याएं होने लगती है।
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मैलिगनेंट हाइपरथर्मिया क्यों होता है?
आनुवांशिक रोग होने के चलते मैलिगनेंट हाइपरथर्मिया एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को हो सकता है। इसके अलावा कुछ अन्य प्रकार के आनुवांशिक रोग जैसे - मल्टीमिनीकोर मायोपैथी या संट्रेल कोर डिसीज, के साथ भी मैलिगनेंट हाइपरथर्मिया की समस्या हो सकती है।
मैलिगनेंट हाइपरथर्मिया का इलाज क्या है?
इस रोग का परीक्षण कुछ प्रकार के ब्लड टेस्ट करके किया जाता है, जिसमें ब्लड क्लोटिंग स्टडी और ब्लड कैमिस्ट्री पैनल को शामिल किया जाता है। इसके अलावा मसल बायोप्सी, जेनेटिक टेस्ट और यूरीन मायोग्लोबिन की जांच से इसका पता लगाया जाता है।
इस समस्या में डैनट्रोलिनी (Dantrolene) नामक दवा का उपयोग किया जाता है। इसके साथ ही बुखार और अन्य समस्याओं को कम करने के लिए रोगी के शरीर में विशेष रूप से तैयार ठंड़े कंबल को लपेट दें। इस दौरान किडनी के कार्यों को सुचारू रखने के लिए रोगी के शरीर में नसों के माध्यम से तरल पहुंचाया जाता है।
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