यह माइट्रल वॉल्व में होने वाली कुछ जटिलताओं के कारण हो सकता है, जिसे प्राइमरी माइट्रल वॉल्व रिगर्जीटेशन कहा जाता है। बाएं वेंट्रिकल में होने वाली जटिलताओं को सेकेंड्री या फंक्शनल माइट्रल वॉल्व रिगर्जिटेशन कहा जाता है।
माइट्रल वॉल्व प्रोलैप्स
माइट्रल वॉल्व प्रोलैप्स में माइट्रल वॉल्व के दोनों फ्लैप ठीक तरह से बंद ना होकर दाएं एट्रियम की तरफ उभरने लगते हैं। यह हृदय संबंधी एक सामान्य विकृति है जिसे “क्लिक मर्मर सिंड्रोम, बारलो सिंड्रोम या फ्लोपी वॉल्व सिंड्रोम भी कहा जाता है।
टिश्यू कोर्ड्स को नुकसान
माइट्रल वॉल्व को हार्ट वॉल (हृदय की परत) से जोड़ने वाले टिश्यू कोर्ड समय के साथ-साथ क्षतिग्रस्त (या घिस कर पतला होना) होने लगती हैं। ऐसा खासतौर पर माइट्रल वाल्व प्रोलैप्स में होता है। टिश्यू कोर्ड में किसी प्रकार का नुकसान (दरार या छेद आदि) होने और छाती में चोट लगने के कारण भी माइट्रल वाल्व में लीकेज (रिसाव) होने लग जाता है। इस स्थिति में माइट्रल वॉल्व को ठीक करने के लिए सर्जरी की जरूरत पड़ती है।
रूमेटिक फीवर
रूमेटिक फीवर एक ऑटोइम्यून इंफ्लामेट्री डिजीज है जो आमतौर पर स्ट्रेप थ्रोट इन्फेक्शन के बाद होता है। रूमेटिक फीवर के कारण हृदय के संयोजी ऊतकों, जोड़ों, रक्त वाहिकाओं और ऊतकों में सूजन व लालिमा पैदा होने लग जाती है। रूमेटिक फीवर माइट्रल वॉल्व को भी प्रभावित कर सकता है जिससे माइट्रल वॉल्व रिगर्जीटेशन होने का जोखिम बढ़ सकता है।
हार्ट फेलियर
हार्ट अटैक भी माइट्रल वॉल्व को प्रभावित कर सकता है और इसके परिणामस्वरूप वॉल्व का कार्य भी प्रभावित होता है। हार्ट अटैक के कारण अधिक नुकसान होने की स्थिति में अचानक माइट्रल वॉल्व रिगर्जीटेशन विकसित हो सकता है लेकिन स्थिति के बहुत ज्यादा बिगड़ जाने पर ही ऐसा होता है।
कार्डियोमायोपैथी
कार्डियोमायोपैथी की स्थिति में दिल की मांसपेशियां प्रभावित होती है. इसमें दिल शरीर के बाकी हिस्सों को सही तरीके से खून पंप नहीं कर पाता है. समय के साथ इसकी स्थिति और गंभीर होती जाती है.
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कॉन्जेनिटल हार्ट कंडीशन
अगर किसी बच्चे का जन्म हार्ट डिफेक्ट के साथ हुआ है, तो उसका दिल सही तरीके से काम नहीं करता है. इस डिफेक्ट की वजह से खून सामान्य तरह से फ्लो नहीं करता है और इससे दिल के विकास पर प्रभाव पड़ता है.
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एंडोकार्डिटिस
एंडोकार्डिटिस की समस्या अमूमन बैक्टीरियल इंफेक्शन की वजह से होती है, जो हार्ट वाल्व और इसके चेम्बर की लाइनिंग में सूजन का कारण बनता है.
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दिल का आकार बढ़ना
इसे लेफ्ट वेंट्रिकुलर हाइपरट्रॉफी कहा जाता है. इसमें दिल के मुख्य चेम्बर यानी लेफ्ट वेंट्रिकल की दीवारें मोटी हो जाती हैं.
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दिल के आकार में बदलाव
दिल में लगी चोट या ट्रॉमा के कारण दिल के आकार में बदलाव आ सकता है, जिससे लीक हार्ट वाल्व की समस्या हो सकती है.
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पल्मनरी हाइपरटेंशन
जब पल्मनरी आर्टरीज में हाई ब्लड प्रेशर हो जाता है, जो दिल से फेफड़ों तक बिना ऑक्सीजन के रक्त को ले जाता है.
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