शहद का स्वाद मीठा होता है एवं यह अर्ध तरल पदार्थ होता है। दुनियाभर में शहद को स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है। इसमें अनेक औषधीय गुण मौजूद होते हैं। कई लोग स्वीटनर के रूप में शहद का इस्तेमाल करते हैं।
शहद बनाने वाली मधुमक्खियों की उत्पत्ति अफ्रीका में हुई थी लेकिन ऐसा माना जाता है कि उनका अस्तित्व 10 करोड़ वर्ष पुराना है। इसलिए इस बात में कोई दो राय नहीं है कि दुनिया के हर हिस्से में शहद का इस्तेमाल किया जाता है। लगभग सभी प्राचीन सभ्यताओं की पौराणिक कथाओं और शास्त्रों में शहद का उल्लेख मिलता है। पौष्टिक गुणों के कारण बाइबिल तक में शहद का वर्णन किया गया है।
औषधीय गुणों से युक्त होने के कारण शहद को आयुर्वेद में भी महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। आधुनिक युग में भी इस बात को स्वीकार किया गया है कि शहद सेहत के लिए अमृत समान होता है। शहद की शुद्धता की पहचान इसके स्पष्ट और सुनहरी रंग से होती है। ये शहद गहरे रंग के मुकाबले ज्यादा महंगा होता है। ये स्वाद में भी ज्यादा मीठा होता है।
शहद कच्चे और संसाधित दोनों रूपों में उपलब्ध है। कच्चे शहद में सभी तरह के एंजाइम्स, परागकण और अन्य सूक्ष्म पोषक तत्व मौजूद होते हैं। कच्चे शहद को गर्म को इन सब चीजों को निकालकर संसाधित शहद तैयार किया जाता है। संसाधित शहद लंबे समय तक तरल रूप में रहता है जबकि कच्चा शहद जल्दी गाढ़ा हो जाता है।
शहद के बारे में तथ्य:
- सामान्य नाम: शहद, हनी
- संस्कृत नाम: मधु
- भौगोलिक विवरण: शहद के सबसे बड़े उत्पादक देशों में चीन, तुर्की, संयुक्त राज्य, रूस और भारत का नाम शामिल है।
- रोचक तथ्य: अगर शहद को एयरटाइट कंटेनर में भरकर रखा जाए तो इससे ये लंबे समय तक ठीक रहता है और खराब नहीं होता है।