दुनियाभर में केसर का नाम सबसे मूल्यवान मसालों में आता है। इसे ‘रेड गोल्ड‘ (लाल सोना) के नाम से भी जाना जाता है। क्रोकस सैटाइवस के फूल की वर्तिकाग्र (निशान) को केसर कहते हैं। केसर के पौधे का मूल स्थान भूमध्यसागरीय क्षेत्र है। ईरान, केसर का सबसे बड़ा उत्पादक है जो विश्व में केसर के कुल उत्पादन का 94 फीसदी उत्पादित करता है। भारत में जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में केसर की खेती की जाती है। भारत में जम्मू कश्मीर केसर का सबसे बड़ा उत्पादक है।
फूल से केसर निकालना काफी कठिन काम होता है। कुछ वर्षों में केवल एक बार ही केसर की फसल काटी जाती है। लगभग 1,60,000 से 1,70,000 छोटे फूलों से 1 कि.ग्रा केसर निकलता है। केसर की फसल काटने में बहुत मेहनत लगती है और यही कारण है कि केसर दुनिया के सबसे कीमती मसालों में शुमार है। लाल लंबे धागे की तरह दिखने वाले केसर को सबसे बेहतरीन माना जाता है। पानी या किसी अन्य तरल में केसर को मिलाने पर सुनहरी पीला रंग आता है तो इसका मतलब है कि वो केसर असली है।
मुगलई व्यंजनों में केसर का इस्तेमाल किया जाता है। मिठाई खासतौर पर खीर और पाइसम का स्वाद बढ़ाने के लिए केसर का प्रयोग किया जाता है। बिरयानी, केक और ब्रेड में भी केसर डाला जाता है। चूंकि केसर का पौधा खुशबूदार होता है इसलिए इसका इस्तेमाल परफ्यूम और कॉस्मेटिक बनाने में किया जाता है। कपड़ों को रंगने के लिए भी चीन और भारत में केसर लोकप्रिय है। यहां तक कि धार्मिक कार्यों में भी केसर उपयोगी है।
केसर एंटीऑक्सीडेंट्स से युक्त होता है और इसमें पौधों से प्राप्त अन्य कई घटक भी मौजूद होते हैं जो प्रतिरक्षा तंत्र को फायदा पहुंचाते हैं और स्वास्थ्य में सुधार लाते हैं। रोगाणुरोधक, पाचक, तनाव-रोधी और दौरे रोकने में भी केसर असरकारी है। इस मसाले में पोटेशियम, कैल्शियम, आयरन और विटामिन ए, विटामिन सी आदि प्रचुरता में मौजूद होता है।
केसर के बारे में तथ्य:
- वानस्पतिक नाम: क्रोकस सैटाइवस
- कुल: इरिडेसी
- सामान्य नाम: सैफ्रॉन, केसर, जाफरान
- उपयोगी भाग: क्रोकस सैटाइवस के फूल की वर्तिकाग्र को हाथ से निकाला जाता है और फिर उसे सुखाकर इस्तेमाल के लिए स्टोर कर के रख दिया जाता है।
- भौगोलिक विवरण: केसर की उत्पत्ति दक्षिण पश्चिम एशिया में मानी जाती है। सबसे पहले ग्रीस में इसकी खेती की गई थी। इसके बाद यूरेशिया, लैटिन अमेरिका और उत्तरी अफ्रीका में इसका विस्तार हुआ।
- रोचक तथ्य: भारतीय तिरंगे के तीन रंगों में से पहला रंग केसर के रंग से प्रेरित है।