तिल को तिलहन की सबसे पुरानी फसलों में से एक माना जाता है। तिल के तेल के ऊपर हाल ही में कई अध्ययन हुए हैं जिनमें ये बात साबित हुई है कि तिल का तेल सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इस वजह से अब तिल के तेल की लोकप्रियता काफी बढ़ गई है।
भारत, अफ्रीका, दक्षिणपूर्वी एशिया और मध्य पूर्व में कई वर्षों से खाने में तिले के तेल का इस्तेमाल किया जा रहा है। खाना पकाने के अलावा कॉस्मेटिक और दवाओं में भी इसका उपयोग किया जाता है। तिल के तेल से मालिश भी की जाती है।
सदियों से भूमध्यसागरीय और अन्य संस्कृतियों में तिल के तेल का बहुत महत्व है और आयुर्वेदिक उपचार में इसके तेल से मालिश की जाती है। शरीर पर इसका गर्म वार्मिंग और सुखदायक प्रभाव का पड़ता है।
विभिन्न संकर्षण (तिल के बीज से तेल निकालने की विधि) प्रक्रिया से तिल के तेल का स्वाद और रंग भी अलग हो जाता है। पश्चिमी देशों में हल्के पीले रंग जबकि भारत में सुनहरे रंग के तिल के तेल का इस्तेमाल किया जाता है। भुने हुए तिल के बीजों से तेल बनाने पर उसका रंग भूरा होता है और इस तेल का इस्तेमाल खाना पकाने के बजाय फ्लेवर देने के लिए किया जाता है।
पॉलीअनुसैचुरेटेड फैट होने की वजह से तिल का तेल सेहत के लिए फायदेमंद रहता है। इसमें विटामिन K, विटामिन बी कॉम्प्लेक्स, विटामिन डी, विटामिन ई और फास्फोरस प्रचुर मात्रा में होता है। तिल के तेल में बालों के लिए लाभकारी कुछ प्रोटीन होते हैं।
आयुर्वेद के अनुसार तिल का तेल वात को संतुलित करने में प्रभावी है और कफ दोष, तीन में से दो दोष या व्यक्ति की प्रकृति को नियंत्रित करने में उपयोग किया जा सकता है। स्वस्थ दांत और मसूड़ों के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाता है। आंतों को चिकना करने में तिल का तेल उपयोगी है।
तिल के तेल के बारे में तथ्य:
- वानस्पतिक नाम: सेसामम इंडिकम
- कुल: Pedaliaceae
- सामान्य नाम: तिल
- संस्कृत नाम: तिल
- भौगोलिक विवरण: वैसे तो तिल की खेती पूरे विश्व में की जाती है लेकिन म्यांमार तिल के तेल का अग्रणी उत्पादक है। यहां पर विश्व में तिल के तेल के कुल उत्पादन का 18.3 फीसदी पैदा किया जाता है। इसके बाद चीन और फिर भारत का नाम आता है।
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