खून में लिम्फोसाइट की मात्रा सामान्य से कम हो जाने की स्थिति को लिम्फोपेनिया कहा जाता है। इस स्थिति को लिम्फोसाइटोपेनिया के नाम से भी जाना जाता है। लिम्फोसाइट की मात्रा में बहुत अधिक कमी हो जाना संभावित संक्रमण या अन्य बीमारियों का संकेत हो सकती है। इस स्थिति में डॉक्टर से शीघ्र संपर्क करने की आवश्यकता होती है।
लिम्फोसाइट्स, सफेद रक्त कोशिका का एक प्रकार और प्रतिरक्षा प्रणाली का हिस्सा है। यह कोशिकाएं रक्त और लसीका द्रव में घूमती रहती हैं। हानिकारक वायरसों के संकेत को समझते हुए यह हमारे शरीर की रक्षा करती हैं। इसके अलावा पिछले संक्रमणों और टीकाकरण के माध्यम से शरीर की प्रतिरक्षा बनाने और प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने में भी इनकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
लिम्फोसाइट मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैं जो संक्रमण और अन्य बीमारी को पहचानकर उनसे एक साथ मुकाबला करते हैं।
- बी कोशिकाएं : ये एंटीबॉडी और सिग्नलिंग प्रोटीन बनाती हैं जो बैक्टीरिया, वायरस और विषाक्त पदार्थों पर हमला करने में मदद करती हैं
- टी कोशिकाएं : ये उन कोशिकाओं की पहचान कर उन्हें नष्ट करने का काम करती हैं जो संक्रमित हो गई हैं या कैंसरग्रस्त हैं
- नेचुरल किलर कोशिकाएं (एनके) : इन कोशिकाओं में ऐसे यौगिक पाए जाते हैं जो कैंसर ट्यूमर कोशिकाओं और वायरस से संक्रमित कोशिकाओं को नष्ट कर सकते हैं
टी कोशिकाओं या एनके कोशिकाओं के स्तर में कमी के कारण वायरल, फंगल और परजीवी संक्रमण होने का खतरा बहुत अधिक बढ़ जाता है। वहीं बी-सेल लिम्फोसाइटोपेनिया की स्थिति में हानिकारक और विभिन्न प्रकार के संक्रमणों का डर होता है।