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किसी भी महिला के लिए गर्भपात शारीरिक व मानसिक रूप से मुश्किल भरा होता है. वैसे तो ज्यादातर मामलों में महिलाएं गर्भपात के बाद एक सप्ताह में ही सामान्य दिनचर्या में लौट आती हैं. वहीं, कुछ महिलाओं को गर्भपात से विभिन्न तरह की शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है. इनमें सबसे आम समस्या ब्लीडिंग की होती है. आमतौर पर महिलाएं इस ब्लीडिंग को पीरियड की शुरुआत समझ लेती हैं, जबकि ऐसा नहीं है.

आज हम इस लेख में हम गर्भपात के बाद होने वाली ब्लीडिंग से जुड़ी बातों के बारे में विस्तार से जानेंगे -

(और पढ़ें - बार-बार मिसकैरेज से बचने के उपाय)

  1. अबॉर्शन के बाद ब्लीडिंग कब तक होती है?
  2. अबॉर्शन के बाद कितने दिन ब्लीडिंग होती है?
  3. अबॉर्शन के बाद ब्लीडिंग कैसे रोकें?
  4. गर्भपात के कितने दिन बाद ब्लीडिंग बंद हो जाती है?
  5. गर्भपात के बाद कितना बेड रेस्ट चाहिए?
  6. अबॉर्शन के बाद ब्लीडिंग ना रुके तो क्या करें?
  7. मेडिकल अबॉर्शन के कितने दिन बाद पीरियड आता है?
  8. गर्भपात के बाद शरीर को ठीक होने में कितना समय लगता है?
  9. गर्भपात की गोली लेने के बाद ब्लीडिंग क्यों नहीं होती?
  10. गर्भपात के बाद गर्भाशय को कैसे साफ करें?
  11. अगर गर्भपात के बाद मुझे खून नहीं आता है तो क्या होगा?
  12. MTP kit लेने के बाद ब्लीडिंग न हो तो क्या करें?
  13. Unwanted 72 लेने के कितने दिन बाद पीरियड आता है?
  14. गर्भपात के कितने दिन बाद प्रेगनेंसी टेस्ट करना चाहिए?
  15. अबॉर्शन के कितने दिन बाद संबंध बनाना चाहिए?
  16. पीरियड व अबॉर्शन की ब्लीडिंग में अंतर
  17. कब मिलें डॉक्टर से?
  18. सारांश
अबॉर्शन के बाद ब्लीडिंग कब तक होती है? के डॉक्टर

गर्भपात दो प्रकार के होते हैं. जब महिला ऑपरेशन से अपना अबॉर्शन करवाती है, तो उसे सर्जिकल अबॉर्शन कहा जाता है. वहीं, जब महिला का अबॉर्शन खुद ही किसी कारण से हो जाता है, तो उसे मेडिकल अबॉर्शन कहा जाता है. आइए, विस्तार से जानते हैं कि अबॉर्शन के बाद ब्लीडिंग कब तक होती है -

  • किसी भी तरह के अबॉर्शन होने के बाद महिलाओं की ब्लीडिंग एक हफ्ते से लेकर 15 दिन तक हो सकती है, जो पीरियड से बिल्कुल अलग होती है
  • सर्जिकल अबॉर्शन की तुलना में मेडिकल अबॉर्शन में महिला को ज्यादा ब्लीडिंग होती है. मेडिकल अबॉर्शन में ब्लीडिंग के साथ-साथ ब्लड क्लॉट्स भी आते हैं, जो लगभग 4 घंटे तक चलते हैं. अगर महिला को हर 2 घंटे में 2 से ज्यादा पैड बदलने पड़ रहे हों और ब्लीडिंग कम न हो रही हो, तो उसे डॉक्टर से तुरंत बात करनी चाहिए.
  • अबॉर्शन के बाद महिला को बहुत कम या बिल्कुल ही ब्लीडिंग न होना भी सही नहीं होता. ऐसे में यूट्रस में संक्रमण होने की आशंका हो सकती है. आमतौर पर अबॉर्शन के बाद महिला को ब्लीडिंग एक से दो हफ्ते तक होना जरूरी है. इसके बाद ब्लीडिंग स्पोटिंग में बदल जाती है या बिल्कुल बंद हो जाती है.

(और पढ़ें - एबॉर्शन के बाद कब हो सकती हैं गर्भवती)

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अबॉर्शन के बाद ब्लीडिंग कब तक होगी ? ये महिला के शरीर, प्रेग्नेंसी के समय  , महिला की उम्र और अबॉर्शन की प्रक्रिया (जैसे दवा से या सर्जरी से) पर निर्भर करती है। आमतौर पर, मेडिकल अबॉर्शन जो दवाओं से होता है के बाद ब्लीडिंग 7 से 14 दिन तक चल सकती है। कुछ महिलाओं में हल्की स्पॉटिंग 3 हफ्तों तक भी रह सकता है।

सर्जिकल अबॉर्शन (जैसे D&C) में ब्लीडिंग थोड़ी कम समय तक होती है, लगभग 3-7 दिन। शुरू में खून थोड़ा ज्यादा और गाढ़ा हो सकता है, जिसमें कुछ क्लॉट (थक्का) भी आ सकते हैं, जो नॉर्मल है। धीरे-धीरे ब्लीडिंग कम होकर ब्राउन डिस्चार्ज में बदल जाती है।

अगर ब्लीडिंग 2 हफ्ते से ज़्यादा चल रही है या बहुत ज्यादा है जिसके कारण आपको हर घंटे पैड बदलना पड़ रहा है , तो यह किसी कॉम्प्लिकेशन का संकेत हो सकता है, जैसे यूटरस में भ्रूण का कुछ हिस्सा बच गया हो या इंफेक्शन हो गया हो। ऐसे में तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए।

और पढ़ें - (कैसे पता करें कि अबॉर्शन पूरा हो गया है)

अबॉर्शन की जटिलताओं से संबंधित स्टडी 

इस स्टडी का नाम है  "Post-abortion Complications: A Narrative Review for Emergency Clinicians", जो गर्भपात के बाद होने वाली जटिलताओं और उनके आपातकालीन उपचार पर केंद्रित है। 

ये अध्ययन आपातकालीन चिकित्सकों के लिए गर्भपात के बाद की जटिलताओं की पहचान और प्रबंधन पर केंद्रित है। गर्भपात की प्रक्रिया के प्रकार, गर्भावस्था की अवधि, रोगी की अन्य परेशानियाँ , चिकित्सक का अनुभव, और सबसे महत्वपूर्ण, गर्भपात की सुरक्षा स्थिति (सुरक्षित या असुरक्षित) पर जटिलताओं की दर निर्भर करती है। सुरक्षित गर्भपात की तुलना में असुरक्षित गर्भपात में जटिलताओं की दर काफी अधिक होती है।

मुख्य जटिलताएँ

  • अत्यधिक रक्तस्राव (Hemorrhage): गर्भपात के बाद अत्यधिक रक्तस्राव हो सकता है, जो जीवन के लिए खतरा बन सकता है। यह स्थिति तत्काल चिकित्सा हस्तक्षेप की मांग करती है।
  • गर्भावस्था के अवशेष (Retained Products of Conception): - गर्भपात के बाद गर्भाशय में भ्रूण या प्लेसेंटा के अवशेष रह सकते हैं, जिससे संक्रमण या निरंतर रक्तस्राव हो सकता है।
  • गर्भाशय छिद्रण (Uterine Perforation): - गर्भपात की प्रक्रिया के दौरान उपकरणों के उपयोग से गर्भाशय में छेद हो सकता है, जिससे आंतरिक अंगों को नुकसान पहुंच सकता है।
  • एम्नियोटिक द्रव एम्बोलिज़्म (Amniotic Fluid Embolism): - यह एक दुर्लभ लेकिन गंभीर स्थिति है, जिसमें एम्नियोटिक द्रव रक्तप्रवाह में प्रवेश कर जाता है, जिससे तीव्र श्वसन और हृदय संबंधी समस्याएँ हो सकती हैं।
  • मिसोप्रोस्टोल विषाक्तता (Misoprostol Toxicity): - मिसोप्रोस्टोल की अधिक मात्रा लेने से विषाक्तता हो सकती है, जिससे उल्टी, दस्त, और पेट में दर्द हो सकता है।
  • एंडोमेट्राइटिस (Endometritis): -गर्भाशय की आंतरिक परत की सूजन, जो संक्रमण के कारण होती है, गर्भपात के बाद एक सामान्य जटिलता है।

निदान और प्रबंधन

  • इतिहास और शारीरिक परीक्षण: - रोगी का विस्तृत इतिहास और शारीरिक परीक्षण जटिलताओं की पहचान में सहायक होता है।
  • प्रयोगशाला परीक्षण: - रक्त परीक्षण, अल्ट्रासाउंड, और अन्य जांचें जटिलताओं की पुष्टि में मदद करती हैं।
  • चिकित्सा हस्तक्षेप: - संक्रमण के लिए एंटीबायोटिक्स, रक्तस्राव के लिए औषधियाँ, और आवश्यकतानुसार शल्य चिकित्सा की जाती है।

निष्कर्ष

गर्भपात के बाद की जटिलताओं की शीघ्र पहचान और उचित प्रबंधन रोगी के जीवन को बचाने में महत्वपूर्ण है। सुरक्षित गर्भपात प्रक्रियाओं और उचित चिकित्सा देखभाल से इन जटिलताओं की संभावना को कम किया जा सकता है।

PubMed Article

अबॉर्शन के बाद ब्लीडिंग एक नॉर्मल प्रोसेस है जिस से बॉडी की सफाई होती है। इसे जबरदस्ती रोकना ठीक नहीं है, क्योंकि शरीर गर्भाशय से गर्भ का टिशू बाहर निकाल रहा होता है। लेकिन अगर ब्लीडिंग ज़्यादा हो रही है या लंबे समय तक रुक ही नहीं रही, तो ये चिंता की बात हो सकती है। ऐसे में कुछ सावधानियां ज़रूरी हैं:

  • आराम करें: शारीरिक थकान और तनाव ब्लीडिंग बढ़ा सकते हैं।
  • गर्म चीज़ें न लें: जैसे हॉट वॉटर बैग या मसालेदार खाना, क्योंकि ये ब्लड फ्लो बढ़ाते हैं।
  • इंटरकोर्स, भारी सामान उठाना, या व्यायाम न करें।
  • आयरन युक्त भोजन लें ताकि शरीर खून की कमी से न थके।

अगर फिर भी ब्लीडिंग नहीं रुक रही है या बुखार, पेट दर्द हो रहा है, तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं। कभी-कभी मेट्रोनिडाज़ोल या ऑक्सीटोसिन जैसी दवाएं दी जाती हैं।

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आमतौर पर ब्लीडिंग 7-14 दिन में धीरे-धीरे बंद हो जाती है। शुरुआत में खून गाढ़ा और ज्यादा होता है, फिर हल्का और ब्राउनिश हो जाता है। अगर 2 हफ्तों से ज़्यादा ब्लीडिंग हो रही हो या एकदम बंद न हो, तो डॉक्टर को दिखाना चाहिए।

अबॉर्शन के बाद कम से कम 2-3 दिन का बेड रेस्ट जरूरी होता है। अगर ब्लीडिंग ज़्यादा हुई है या थकावट लग रही है, तो एक हफ्ते तक आराम करें। इस दौरान भारी काम, सेक्स, ट्रैवल या व्यायाम से बचना चाहिए।

मानसिक रूप से भी आराम ज़रूरी है — कई महिलाओं को इमोशनल स्ट्रेस होता है, ऐसे में परिवार और पार्टनर का सपोर्ट बहुत मायने रखता है।

अगर ब्लीडिंग 2 हफ्तों से ज़्यादा हो जाए, बहुत भारी हो, या उसमें बदबू, बुखार और तेज़ पेट दर्द हो — तो यह abnormal bleeding हो सकती है। ऐसी स्थिति में डॉक्टर द्वारा अल्ट्रासाउंड करवाना ज़रूरी है ताकि पता चले गर्भाशय में कुछ बाकी तो नहीं रह गया। उपचार में कुछ आयुर्वेदिक दवाएं भी दी जाती हैं जैसे अशोकघन वटी या ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन, लेकिन बिना डॉक्टर की सलाह न लें।

अबॉर्शन के 4 से 6 हफ्तों के बीच अगला पीरियड आना नॉर्मल है। कभी-कभी ये देर से आता है, या पहले पीरियड में खून थोड़ा ज़्यादा या कम हो सकता है। अगर 6 हफ्तों तक पीरियड न आए, तो दोबारा प्रेग्नेंसी या हार्मोनल इम्बैलेंस की जांच करवाएं।

शारीरिक तौर पर 1-2 हफ्तों में शरीर काफी हद तक रिकवर हो जाता है, लेकिन पूरी तरह से रिकवरी में 4-6 हफ्ते लग सकते हैं। अगर महिला को खून की कमी या थकावट हो, तो रिकवरी में थोड़ा और समय लग सकता है। इसे ठीक करने के लिए आयरन और कैल्शियम युक्त भोजन करें। अगर महिला डिप्रेशन, गिल्ट या अकेलेपन में महसूस कर रही हो, तो डॉक्टर या काउंसलर से बात करें।

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अगर मिफेप्रिस्टोन और मिसोप्रोस्टोल लेने के 24-48 घंटे बाद भी ब्लीडिंग शुरू नहीं हुई, तो संभव है कि दवा का असर नहीं हुआ या गर्भ बहुत कम उम्र का हो। अल्ट्रासाउंड से कन्फर्म किया जाता है कि गर्भ बना भी था या नहीं।

कुछ मामलों में डॉक्टर दूसरी डोज़ देते हैं या सर्जिकल तरीका अपनाते हैं।

गर्भाशय की सफाई अपने आप होती है, लेकिन यदि टिशू बाहर नहीं निकला हो, तो मिसोप्रोस्टोल की दूसरी डोज़ या D&C सर्जरी की ज़रूरत पड़ सकती है। आयुर्वेद में भी कुछ जड़ी-बूटियां दी जाती हैं, लेकिन इनका उपयोग डॉक्टर की सलाह से करें।

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ब्लीडिंग न होना इस बात का संकेत हो सकता है कि दवा ने असर नहीं किया या गर्भाशय की मांसपेशियां कुछ रिऐक्ट नहीं कर रही हैं। इस स्थिति में तुरंत डॉक्टर से मिलें ताकि अल्ट्रासाउंड द्वारा स्थिति स्पष्ट की जा सके। 

अगर MTP kit लेने के 48 घंटे बाद भी ब्लीडिंग शुरू नहीं हुई, तो यह failed abortion हो सकता है। डॉक्टर दूसरी डोज़ दे सकते हैं या सर्जिकल उपाय कर सकते हैं। घर पर बैठकर इंतज़ार करना ठीक नहीं — तुरंत महिला रोग विशेषज्ञ को दिखाएं।

Unwanted 72 एक इमरजेंसी कॉन्ट्रासेप्टिव है, और इसे लेने के बाद पीरियड आमतौर पर समय पर या 5-7 दिन जल्दी/देर से आ सकता है। अगर 10 दिन से ज़्यादा देरी हो तो प्रेगनेंसी टेस्ट करना ज़रूरी है।

अबॉर्शन के 2-3 हफ्ते बाद प्रेगनेंसी टेस्ट करना चाहिए ताकि यह कन्फर्म हो जाए कि गर्भपात पूरी तरह सफल हुआ या नहीं। ब्लड टेस्ट (β-hCG) ज़्यादा सटीक होता है।

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कम से कम 2 हफ्ते तक यौन संबंध से बचना चाहिए, जब तक ब्लीडिंग पूरी तरह बंद न हो जाए। गर्भाशय उस समय सेन्सिटिव होता है और संक्रमण का खतरा रहता है। डॉक्टर की जांच के बाद ही इंटिमेसी दोबारा शुरू करें।

गर्भपात के बाद और पीरियड्स दोनों में ही ब्लीडिंग होती है, लेकिन गर्भपात के बाद ब्लीडिंग ज्यादा होती है. साथ ही इस प्रकार की ब्लीडिंग में ब्लड क्लोट्स भी ज्यादा होते हैं. आइए, पीरियड फ्लो और गर्भपात के बाद होने वाली ब्लीडिंग के बीच का फर्क जानते हैं -

  • अबॉर्शन के बाद होने वाली ब्लीडिंग 7 दिन से लेकर 15 दिन तक हो सकती है, जबकि पीरियड के दौरान होने वाली ब्लीडिंग 5-7 दिन तक मानी जाती है.
  • पीरियड में आमतौर पर दूसरे और तीसरे दिन ब्लीडिंग ज्यादा होती है, जो 5वें दिन तक कम हो जाती है, जबकि अबॉर्शन के बाद होने वाली ब्लीडिंग में ऐसा कुछ पैटर्न नहीं होता है.
  • पीरियड में होने वाली स्पोटिंग पीरियड आने से 1-2 दिन पहले से शुरू होती है और खत्म होने के 1-2 दिन बाद बंद हो जाती है. वहीं, अबॉर्शन के बाद महिला में ब्लीडिंग कम होने के बाद अगले पीरियड के आने तक स्पोटिंग चल सकती है.
  • अबॉर्शन के बाद होने वाली ब्लीडिंग के समय महिला को पेट के निचले हिस्सेकमर में दर्द होता है, जबकि पीरियड फ्लो के दौरान पेट में क्रेम्प्स ज्यादा होते हैं.

(और पढ़ें - एबॉर्शन के कितने दिन बाद पीरियड आते हैं?)

महिलाओं के स्वास्थ के लिए लाभकारी , एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन जैसे हार्मोंस को कंट्रोल करने , यूट्रस के स्वास्थ को को ठीक रखने , शरीर के विषाक्त पदार्थों को बाहर निकाल कर सूजन को कम करने में लाभकारी माई उपचार आयुर्वेद द्वारा निर्मित अशोकारिष्ठ का सेवन जरूर करें ।  

गर्भपात के बाद निम्न प्रकार के लक्षण नजर आने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए -

  • अगर गर्भपात के बाद 15 दिन या इससे अधिक भी ब्लीडिंग हो रही है.
  • सिर हल्का लग रहा है और चक्कर आ रहे हैं.
  • यदि महिला को रुक-रुक कर ब्लीडिंग या स्पोटिंग या ब्लड क्लोट्स आ रहे हैं, तो उसे तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए, क्योंकि इसका अर्थ हो सकता है कि यूट्रस में अभी भी भ्रूण का कुछ भाग बचा हुआ है, जिससे इन्फेकशन का खतरा बढ़ जाता है.
  • अगर पेट और कमर के निचले हिस्से में तेज दर्द होता है, जो सूप पीने या हॉट वॉटर बॉटल से सिकाई करने पर भी कम न हो.
  • यदि महिला को ब्लीडिंग के साथ-साथ उल्टी, दस्त, हल्का बुखार, ठंड लगना, पसीना आने की शिकायत हो.
  • यदि महिला को पेल्विक क्षेत्र में अत्यधिक दर्द, हरा/पीले रंग का डिस्चार्ज, डिस्चार्ज में दुर्गंध आए.
  • गर्भपात के बाद 4-8 सप्ताह के भीतर पीरियड शुरू न हों.

(और पढ़ें - गर्भपात के कितने दिन बाद सेक्स करें?)

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गर्भपात के बाद होने वाली ब्लीडिंग की वजह से महिला के शरीर में कमजोरी और शक्ति की कमी हो जाती है. इसका असर पूरे स्वास्थ्य पर पड़ता है. इसलिए, महिला को यह जानना चाहिए कि अबॉर्शन के बाद एक हफ्ते से लेकर 15 दिन तक ब्लीडिंग होना आम बात है, लेकिन यदि उसके बाद भी ब्लीडिंग हो, तो डॉक्टर से तुरंत सलाह लेनी चाहिए.

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