एस्पर्जर सिन्ड्रोम - Asperger Syndrome in Hindi

Dr. Ayush PandeyMBBS,PG Diploma

July 21, 2018

March 18, 2021

एस्पर्जर सिन्ड्रोम
एस्पर्जर सिन्ड्रोम

एस्पर्जर सिंड्रोम क्या है?

एस्पर्जर्स सिंड्रोम से पीड़ित बच्चा अन्य बच्चों की तरह ही होता है। वो दिमागी तौर पर तेज़ होता है परन्तु उसे दूसरों से घुलने-मिलने अथवा बात करने में परेशानी होती है। वो पूरे समय एक ही विषय पर बात करता रहता है और एक ही चीज़ को बार-बार दोहराता है।

आजकल एसपरजर सिंड्रोम को अपने आप में एक बीमारी नहीं समझा जाता है। ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसॉर्डर (ए.एस.डी.) के अंतर्गत ही एसपरजर्स सिंड्रोम का उपचार किया जाता है। एसपरजर्स सिंड्रोम, ए.एस.डी. का एक कम गंभीर रूप माना जाता है।

(और पढ़ें - आटिजम क्या है?) 

एस्पर्जर सिन्ड्रोम के लक्षण - Asperger Syndrome Symptoms in Hindi

एस्पर्जर्स सिंड्रोम के लक्षण क्या होते हैं?

  • एस्पर्जर्स सिंड्रोम के लक्षण बच्चों में बचपन से ही दिखना शुरू हो जाते हैं। बच्चा किसी से भी नज़रें मिला कर बात नहीं करता है और ज़्यादा लोगों में घुल-मिल नहीं पाता। और अगर कोई उससे बात करना चाहे तो उसका जवाब नहीं दे पाता।
  • एस्पर्जर्स सिंड्रोम से पीड़ित बच्चा लोगों के चेहरे के भाव और शारीरिक हाव-भाव नहीं समझ पाता।
  • बच्चा अपनी भावनाएं प्रकट नहीं कर पाता। आम बच्चों की तरह बात न करके वो रोबोट जैसी आवाज़ में बात करता है।
  • बच्चा पूरे समय अपने बारे में ही बात करता रहता है, किसी और से उसे कोई मतलब नहीं होता। उसे किसी एक विषय में बहुत दिलचस्पी होती है और वो उसके बारे में पढ़ना और बात करना पसंद करता है। कई बार वो काफी समय तक उसी विषय पर बात करता रहता है। 
  • वो एक ही हरकत को दोहराता रहता है।
  • एस्पर्जर्स सिंड्रोम से पीड़ित बच्चे को अपनी जीवन शैली में परिवर्तन पसंद नहीं। जैसे, वो हर दिन एक जैसा नाश्ता करना चाहता है या फिर स्कूल में एक क्लास से दूसरी क्लास में जाने में उसे परेशानी होती है।  
  • जिन बच्चों को एस्पर्जर्स सिंड्रोम होता है उन्हें चलने या भागने में भी परेशानी होती है। इनके शारीरिक अंगों का आपस में इतना अच्छा समन्वय नहीं होता जिससे इन्हें सीढ़ियां चढ़ने में या फिर साइकिल चलाने में भी समस्या आती है।  

(और पढ़ें - ओसीडी का उपचार)

एस्पर्जर सिन्ड्रोम के कारण - Asperger Syndrome Causes in Hindi

एस्पर्जर्स सिंड्रोम क्यों होता है?

एस्पर्जर्स सिंड्रोम के लक्षण दिमाग में कुछ परिवर्तन आने की वजह से दिखते हैं। परन्तु आज तक डॉक्टर इन परिवर्तनों का कारण जान नहीं पाए हैं। माना गया है कि वायरस और केमिकल्स से पर्यावरण में होने वाले बदलाव और जेनेटिक फैक्टर्स (माता-पिता से बच्चों में आने वाले गुण), एस्पर्जर्स सिंड्रोम बढ़ाने के मुख्य कारक हो सकते हैं। एस्पर्जर्स सिंड्रोम होने की सम्भावना लड़कों में लड़कियों से ज़्यादा होती है।  

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एस्पर्जर सिन्ड्रोम के बचाव के उपाय - Prevention of Asperger Syndrome in Hindi

एस्पर्जर्स सिंड्रोम से कैसे बचें? 

आप जन्म से अपने बच्चे को ऑटिस्टिक डिसऑर्डर से नहीं बचा सकते परन्तु अपनी जीवनशैली में निम्नलिखित बदलाव लाकर उसे एसपरजर्स सिंड्रोम होने की संभावनाएं कम कर सकते हैं-

  • स्वस्थ जीवनशैली - 
    समय-समय पर अपना चेक-अप कराते रहना चाहिए, संतुलित भोजन का सेवन करना चाहिए और व्यायाम करना चाहिए। औरतों को गर्भावस्था में अच्छे से अपनी देखभाल करनी चाहिए और डॉक्टर द्वारा बताई गयी विटामिन्ज़ और अन्य गोलियों का समय पर सेवन करना चाहिए।
     
  • गर्भावस्था के दौरान बिना डॉक्टर की बताई गयी दवाइयाँ ना लें - 
    आपके डॉक्टर ने आपको जिन दवाइयों को लेने के लिए बोला है केवल उन्हें ही समय पर लेते रहें, बिना उनसे पूछे किसी दवाई को ना लें। खासकर दौरे पड़ने के दौरान खाई जाने वाली दवाइयों से विशेष रूप से बचें। (और पढ़ें- गर्भावस्था में देखभाल)
     
  • शराब का सेवन न करें -
    गर्भावस्था के दौरान शराब के सेवन से बचें। (और पढ़ें - शराब छोड़ने के घरेलू उपाय)
     
  • पहले से होने वाली बिमारियों का इलाज कराएं - 
    अगर आप पहले से किसी बिमारी से ग्रस्त हैं तो अपने डॉक्टर से सलाह लेते रहें।
     
  • बिमारियों के खिलाफ टीकाकरण कराएं - 
    गर्भावस्था से पहले "जर्मन मीसल्स"(रूबेला) का टीका ज़रूर लगवाएं। ये आपके बच्चे को रूबेला से होने वाले आटिजम से बचा सकता है।

एस्पर्जर सिन्ड्रोम का निदान - Diagnosis of Asperger Syndrome in Hindi

एस्पर्जर्स सिंड्रोम का पता कैसे लगाएं?

एस्पर्जर्स सिंड्रोम का पता लगाने के लिए कोई एक टेस्ट नहीं है। बहुत सारे मामलों में माता-पिता अपने बच्चों का सही समय पे विकास न होने पर और असामान्य व्यव्हार दिखने पर डॉक्टर के पास जाते हैं। अगर आपका बच्चा स्कूल जाता है तो उसके शिक्षक भी उसके विकास में विलम्ब डालने वाली परेशानियों की तरफ ध्यान देंगे। 

एस्पर्जर्स सिंड्रोम से पीड़ित बच्चे को उसके शिक्षक इन भावों पर जांच सकते हैं :

  • पढ़ने-लिखने और बातचीत करने की क्षमता
  • लोगों के साथ बोल-चाल 
  • बात करते समय चेहरे के भाव 
  • दूसरों के साथ घुलने-मिलने में दिलचस्पी 
  • किसी बदलाव की तरफ रवैया 
  • शारीरिक गतिविधियों के लिए मांसपेशियों का ताल-मेल न बैठ पाना (motor skills and motor development)

डॉक्टर भी कुछ तरह की जांच कर सकते हैं, जो इस प्रकार हैं -

  • मनोवैज्ञानिक - मनोवैज्ञानिक आपके बच्चे की भावनाओं और व्यवहार से सम्बंधित परेशानियों का निदान करते हैं और उनका इलाज करते हैं।  
  • बच्चों का दिमागी डॉक्टर - ये दिमाग से सम्बंधित परेशानियों का इलाज करते हैं। 
  • मनोचिकित्सक - इनकी मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों में विशेषज्ञता होती है। ये स्वस्थ मानसिक स्थिति बनाये रखने के लिए दवाइयां देते हैं।  

(और पढ़ें - मानसिक रोग के लक्षण)

एस्पर्जर सिन्ड्रोम का उपचार - Asperger Syndrome Treatment in Hindi

एस्पर्जर्स सिंड्रोम का इलाज कैसे करें?

हर बच्चा एक जैसा नहीं होता। एसपरजर्स सिंड्रोम का कोई पूर्ण रूप से उपचार नहीं है। परन्तु, कई इलाज हैं जो एसपरजर्स सिंड्रोम के लक्षण घटाकर आपके बच्चो को उसकी पूरी क्षमता तक पहुंचा सकते हैं। 

  • सामाजिक बर्ताव सुधारने के लिए ट्रेनिंग -
    चिकित्सक आपके बच्चे को एक समूह में या फिर अकेले में सिखाते हैं कि लोगों से बात कैसे की जाए और अपने भाव कैसे प्रकट किये जाएँ।  
     
  • बच्चे की भाषण और भाषा समस्या हेतु थेरेपी - 
    ये थेरेपी आपके बच्चे की वार्तालाप करने की क्षमता सुधारती है। रोबोट जैसी आवाज़ में बात न करके उसकी टोन को सुधारा जाता है। उसे वार्तालाप करना सिखाया जाता है, हाथों की मुद्राओं को समझाया जाता है और आँखों के इशारे पहचानना सिखाया जाता है।
     
  • व्यवहार थेरेपी और मनोचिकित्सा (Cognitive Behavioral Therapy) -
    ये थेरेपी आपके बच्चे के सोचने के तरीके को बदलती है जिससे वो अपनी भावनाओं पर काबू पा सके और बार-बार दोहराने वाले व्यवहार ठीक कर सके। (और पढ़ें- एडीएचडी के लिए व्यवहार थेरेपी)
     
  • माता-पिता को शिक्षित करना और ट्रेनिंग देना - 
    जो तकनीक बच्चों को सिखाई जा रही हो वही तकनीक माता-पिता को भी सिखाई जाती है ताकि घर पे वो अपने बच्चे की मदद कर सकें।
     
  • व्यावहारिक ज्ञान - 
    ये तकनीक आपके बच्चे को समाज में घुलने-मिलने और बात करने के लिए प्रेरित करती है। थेरेपिस्ट आपके बच्चे को को कुछ अच्छा करने पर शाबाशी देते हैं और प्रेरित करते हैं जिससे उसका मनोबल बढे और वो जल्दी चीज़ें सीखे।
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संदर्भ

  1. Tony Attwood. The Complete Guide to Asperger's Syndrome. Jessica Kingsley Publishers, 2007. 397 pages
  2. National institute of neurological disorders and stroke [internet]. US Department of Health and Human Services; Asperger Syndrome Information
  3. U.S. Department of Health & Human Services. What is Autism Spectrum Disorder?. Centre for Disease Control and Prevention
  4. Priya Sreedaran, M. V. Ashok. Asperger Syndrome in India: Findings from a Case-Series with Respect to Clinical Profile and Comorbidity. Indian J Psychol Med. 2015 Apr-Jun; 37(2): 212–214. PMID: 25969609
  5. Department of Health. Asperger syndrome. Government of Western Australia; [internet]