ऑटोइम्यून थायरोडिटिस क्या है?
थायराइड गले के अगले हिस्से में स्थित तितली के आकार की छोटी ग्रंथि है। थायराइड एक प्रकार की एंडोक्राइन ग्रंथि (नलिकाहीन ग्रन्थियां) है, जो हार्मोन बनाती है।। थायराइड ग्रंथि द्वारा बनने वाले हार्मोन को थायराइड हार्मोन कहा जाता है। जब थायराइड ग्रंथि इस हार्मोन को पर्याप्त मात्रा में नहीं बना पाती है, तो इससे शरीर के बाकी अंगों को ठीक तरह से काम करने में दिक्कत आती है। इसका असर एनर्जी लेवल, मूड और वजन पर पड़ सकता है। यदि थायराइड ग्रंथि में सूजन आ जाए तो इस स्थिति को थायरोडिटिस कहते हैं। कभी-कभी ऐसा तब होता है जब शरीर एंटीबॉडी बनाने लगता है, जो गलती से थायराइड पर ही अटैक करने लगते हैं। इस स्थिति को ऑटोइम्यून थायरोडिटिस, क्रोनिक लिम्फोसाईटिक थायरोडिटिस, हाशिमोटो का थायरोडिटिस या हाशिमोटो डिजीज कहा जाता है।
ऑटोइम्यून थायरोडिटिस के लक्षण
पहली बार में इस बीमारी के लक्षण या संकेत दिखाई नहीं देते हैं या फिर आपको गले के सामने वाले हिस्से में सूजन दिख सकती है। आमतौर पर यह बीमारी कई सालों में धीरे-धीरे बढ़ती है और थायराइड ग्रंथि को बुरी तरह से नुकसान पहुंचाती है जिससे खून में थायराइड हार्मोन लेवल गिरने लगता है।
ऑटोइम्यून थायरोडिटिस के लक्षण और संकेतों में शामिल हैं:
- थकान और सुस्ती
- ज्यादा ठंड लगना
- कब्ज
- पीली, रूखी त्वचा होना
- चेहरे पर सूजन (पफी फेस)
- नाखूनों का कमजोर होना
- बाल झड़ना
- जीभ का बढ़ना
- बेवजह वजन बढ़ना
- मांसपेशियों में दर्द, अकड़न और छूने पर दर्द महसूस होना
- जोड़ों में दर्द और जकड़न
- मांसपेशियों की कमजोरी
- डिप्रेशन (अवसाद)
- कमजोर याददाश्त
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ऑटोइम्यून थायरोडिटिस के कारण
डॉक्टर अभी तक इस बात को पूरी तरह से समझ नहीं पाएं हैं कि इम्यून सिस्टम गलती से थायराइड ग्लैंड पर अटैक क्यों कर देता है। यह किसी दोषपूर्ण जीन, वायरस या किसी और वजह से हो सकता है या फिर कई कारण मिलकर इस स्थिति को पैदा कर सकते हैं।
ऑटोइम्यून थायरोडिटिस का इलाज
आमतौर पर इसके लिए डॉक्टर लेवोथायरोक्सिन नामक दवा देते हैं। यह दवा वही काम करती है जो कि थायराइड ग्लैंड को करना चाहिए। डॉक्टर आपकी स्थिति पर नजर रखते हैं और जरूरत पड़ने पर दवा की खुराक में बदलाव कर सकते हैं। हालांकि इस समस्या में व्यक्ति को जीवनभर दवा लेनी होती है। कुछ खाद्य पदार्थ जैसे उच्च फाइबर युक्त आहार या सोया उत्पाद लेवोथायरोक्सिन के प्रभाव पर असर डाल सकते हैं। यदि कोई व्यक्ति निम्न चीजों का सेवन करता है तो उसे ये बात डॉक्टर को बतानी चाहिए:
- आयरन सप्लीमेंट
- कोलेस्टेरामाइन नामक कोलेस्ट्रॉल की दवा
- एंटासिड जिसमें एल्यूमीनियम हाइड्रॉक्साइड हो
- सुक्रालफेट (कैराफेट) जो कि अल्सर की दवा है
- कैल्शियम सप्लीमेंट