किसी व्यक्ति के रक्त प्रवाह में बैक्टीरिया की उपस्थिति को बैक्टीरीमिया कहा जाता है। हिन्दी भाषा में इसे जीवाणुरक्तता कहा जाता है, जिसका मतलब होता है कि रक्त में जीवाणुओं की उपस्थिति होना। कई मामलों में डॉक्टर इस स्थिति को ब्लड पॉइजनिंग (रक्त विषाक्तता) भी कहते हैं। हालांकि, यह कोई चिकित्सीय शब्द नहीं है।
कुछ मामलों में बैक्टीरीमिया से किसी प्रकार के लक्षण पैदा नहीं होते हैं, जिसे एसिम्पटोमेटिक बैक्टीरीमिया कहा जाता है। जबकि कुछ मामलों में इससे गंभीर लक्षण पैदा हो जाते हैं और अन्य गंभीर समस्याएं पैदा होने का खतरा भी बढ़ जाता है।
कई बार लोग बैक्टीरीमिया और सेप्टीसीमिया को एक समान स्थिति समझ लेते हैं। वैसे तो ये दोनों स्थितियां एक दूसरे से संबंधित होती है, लेकिन सेप्टीसीमिया रक्त में होने वाला संक्रमण होता है। यह तब होता है जब बैक्टीरिया रक्त में अपनी संख्या लगातार बढ़ाने लगते हैं। जबकि बैक्टीरीमिया रक्त में सिर्फ बैक्टीरिया की उपस्थिति होती है।
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