परिचय
जब टांग के अंदर की एक या एक से अधिक हड्डियां टूट जाती हैं, तो इस स्थिति को टांग में फ्रैक्चर कहा जाता है। घुटने से नीचे की टांग (पिंडली) में दो हड्डियां होती है, जिसके एक हिस्से को फिबुला (fibula) तथा दूसरे हिस्से को टिबिया (tibia) कहा जाता है। घुटने के ऊपरी हिस्से की टांग (जांघ) में स्थित हड्डी को फेमुर (femur) कहा जाता है, जो शरीर की सबसे लंबी हड्डी होती है।
टांग में फ्रैक्चर आमतौर पर किसी दुर्घटना खेल के दौरान लगने वाली चोटों के कारण होती है। जब टांग पर सामान्य से ज्यादा वजन या दबाव पड़ जाता है, तो टांग की हड्डी टूट या फट सकती है। टांग में फ्रैक्चर के लक्षणों में मुख्य रूप से टांग में तीव्र दर्द होना, टांग का रूप बिगड़ जाना, खड़ा ना हो पाना और पैर को महसूस ना कर पाना आदि शामिल है।
(और पढ़ें - टांग में दर्द का कारण)
इस स्थिति का परीक्षण डॉक्टर के द्वारा किया जाता है। डॉक्टर प्रभावित टांग के एक्स रे और शारीरिक परीक्षण के आधार पर इस स्थिति की जांच करेंगे। यदि टांग में अधिक गंभीर चोट है, तो ऐसी स्थिति में डॉक्टर सीटी स्कैन करवाने का ऑर्डर भी दे सकते हैं। कुछ बातों का ध्यान रख कर टांग में फ्रैक्चर होने से बचा जा सकता है जैसे सड़क नियमों का पालन करना और खेल कूद के दौरान उचित सेफ्टी उपकरण लगाकर रखना आदि।
यदि टांग का फ्रैक्चर गंभीर नहीं है, तो उसके लिए सामान्य इलाज (बिना ऑपरेशन) किया जाता है जिसमें टांग पर 6 से 8 हफ्तों तक प्लास्टर लगा कर रखा जाता है। यदि टांग का फ्रैक्चर गंभीर है, तो उसका इलाज करने के लिए टांग का ऑपरेशन करना पड़ता है। टांग में फ्रैक्चर से कई समस्याएं पैदा हो सकती हैं, जैसे व्यक्ति की चाल बिगड़ जाना, टांग जल्दी व सही से ठीक ना हो पाने के कारण फिर से इलाज करवाना आदि।
(और पढ़ें - कूल्हे के जोड़ों की सर्जरी)