इंफेक्शन, एलर्जी, डस्ट से नाक की लाइनिंग में आई सूजन के कारण नाक के अंदर जलन हो सकती है. इस समस्या से निपटने के लिए एंटी-हिस्टामाइन स्प्रे या फिर एंटी-बायोटिक्स का प्रयोग किया जा सकता है. आइए, नाक में जलन के कारण व इलाज के बारे में विस्तार से जानते हैं -
मौसम बदलना
मौसम बदलने के साथ नाक में जलन बढ़ सकती है. आमतौर पर मौसम के बदलाव के साथ ही हवा ड्राई हो जाती है. इस ड्राइनेस से शरीर के अंदर की नमी वाष्पित हो जाती है. इससे नाक की म्यूकस मेंब्रेन से भी मॉइश्चर खत्म हो जाता है. इस ड्राइनेस के कारण कई बार नाक से खून आ सकता है.
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एलर्जिक राइनाइटिस
एलर्जिक राइनाइटिस के दौरान वातावरण में मौजूद प्रदूषण और अन्य एलर्जन के कारण नाक में खुजली व जलन होती है. इससे छींके आने लगती हैं. मौसम बदलने के समय यह लक्षण बहुत ज्यादा देखने को मिलते हैं. खांसी और गले में दर्द भी इस स्थिति का संकेत हैं.
नेजल इंफेक्शन
साइनोसाइटिस जैसे नेजल इंफेक्शन से भी नाक में जलन महसूस होती है. इस तरह के इंफेक्शन में म्यूकस नाक के खुले छिद्रों में फंस जाता है. इस फंसे हुए म्यूकस में बैक्टीरिया पनप सकते हैं और इनसे इंफेक्शन हो सकता है, जिससे दर्द और साइनस का प्रेशर भी महसूस हो सकता है.
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दवाइयों का सेवन
एंटी-हिस्टामाइन और डिकंजेस्टेंट जैसी दवाएं नाक में जलन और खुजली को ठीक कर सकती हैं. वहीं, इन दवाओं के अधिक प्रयोग से नाक में सूखापन बढ़ सकता है, जिससे स्थिति और गंभीर हो सकती है.
धुआं व प्रदूषण
सांस लेते समय धुआं और हवा में मौजूद टॉक्सिंस शरीर के अंदर पहुंच सकते हैं. केमिकल और प्रदूषण के कारण राइनाइटिस और नाक में जलन होनी जैसी स्थिति हो सकती हैं. तंबाकू का धुआं, इंडस्ट्री केमिकल, क्लोरीन, हाइड्रोजन क्लोराइड व अमोनिया जैसी गैस और धूल-मिट्टी नाक में खुजली व संवदेनशीलता को बढ़ा सकती है.
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