कैल्सिफिक टेंडोनाइटिस क्या है?
कैल्सिफिक टेंडोनाइटिस एक ऐसा रोग है, जो व्यक्ति की मांसपेशियों और टेंडनों में कैल्शियम जमा होने के कारण होता है। यदि कैल्शियम किसी हिस्से में जमा होने लगता है, तो व्यक्ति को उस जगह पर दर्द व अन्य तकलीफें महसूस होने लगती हैं।
वैसे तो यह स्थिति शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकती है, लेकिन ज्यादातर मामलों में रोटेटर कफ में या उससे आसपास के भागों में ही कैल्शियम जमा होता है। रोटेटर कफ कई मांसपेशियों और टेंडनों का एक समूह होता है जो कंधों व बाहों के ऊपरी हिस्सों को मजबूती व स्थिरता प्रदान करता है।
केल्सिफिक टेंडोनाइटिस के क्या लक्षण हैं?
अधिकतर लोगों को कैल्सिफिक टेंडोनाइटिस होने पर कंधे में दर्द व अन्य तकलीफें महसूस होती हैं। कैल्सिफिक टेंडोनाइटिस से होने वाला दर्द आमतौर पर व्यक्ति को कंधे के आगे व पीछे वाले हिस्से में महसूस होता है कुछ मामलों में यह बांह के निचले हिस्से में भी महसूस हो सकता है। कुछ लोगों को गंभीर लक्षण महसूस होते हैं, जिसके कारण वे अपने प्रभावित अंग को हिला-ढुला भी नहीं पाते हैं और न ही रात को ठीक से सो पाते हैं।
जैसा कि टेंडनों में कैल्शियम अलग-अलग मात्रा में जमा होती है, इसलिए इससे होने वाले लक्षण अचानक से विकसित हो सकते हैं या फिर धीरे-धीरे महसूस होने लगते हैं।
टेंडन में जमा कैल्शियम की मात्रा के अनुसार कैल्सिफिक टेंडोनाइटिस के लक्षण भी अलग-अलग हो सकते हैं -
- प्री-कैल्सिफिकेशन -
इस दौरान शरीर के उस भाग की कोशिकाओं में कुछ बदलाव होने लगते हैं, जहां बाद में कैल्शियम जमा होना है।
- कैल्सिफिक स्टेज -
इस चरण में कोशिकाओं से कैल्शियम निकलने लगता है और टेंडनों में जमा होने लगता है। इस स्टेज के दौरान शरीर जमा हुई कैल्शियम को फिर से अवशोषित करने लगता है, जिस दौरान अत्यंत दर्द होने लगता है।
- पोस्टकैल्सिफिक स्टेज -
इस चरण में जमा हुई कैल्शियम गायब होने लगती है और इसकी जगह पर स्वस्थ टेंडन बनने लग जाते हैं।
हालांकि, यह भी संभव है कि कैल्सिफिक टेंडोनाइटिस में किसी प्रकार के भी लक्षण दिखाई न दें।
कैल्सिफिक टेंडोनाइटिस क्यों होता है?
कैल्सिफिक टेंडोनाइटिस के कारण के बारे में डॉक्टर अभी तक किसी निश्चित निर्णय पर नहीं पहुंच पाए हैं। इस पर अब भी शोध चल रहा है कि कुछ लोगों में अन्य लोगों की तुलना में केल्सिफिक टेंडोनाइटिस होने का खतरा अधिक क्यों रहता है।
कैल्सिफिक टेंडोनाइटिस आमतौर पर 40 साल से 60 साल की उम्र के लोगों में देखा जाता है। महिलाओं में यह रोग पुरुषों से अधिक देखा गया है।
टेंडन में कैल्शियम जमा होने के कारण निम्न स्थितियों में जुड़े हो सकते हैं -
- बढ़ती उम्र
- टेंडन क्षतिग्रस्त होना
- टेंडन में ऑक्सीजन की कमी होना
- आनुवंशिक
- थायराइड ग्रंथि असाधारण रूप से काम करना
- कोशिकाएं असाधारण रूप से बढ़ना
- सूजन को ठीक करने के लिए शरीर द्वारा बनाया गया केमिकल
- डायबिटीज व अन्य मेटाबॉलिक रोग
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कैल्सिफिक टेंडोनाइटिस का परीक्षण कैसे किया जाता है?
यदि आपको लंबे समय से लगातार कंधे में दर्द महसूस हो रहा है, तो आपको डॉक्टर से एक बार इस बारे में बात अवश्य कर लेनी चाहिए। डॉक्टर परीक्षण के दौरान सबसे पहले आपके लक्षणों की जांच करते हैं और आपके स्वास्थ्य से संबंधी पिछली जानकारी लेते हैं।
इसे अलावा कुछ प्रकार के इमेजिंग टेस्ट भी किए जा सकते हैं, जिनमें टेंडन में किसी प्रकार की असामान्यता या कैल्शियम के जमाव का पता लगाया जाता है। कैल्सिफिक टेंडोनाइटिस का परीक्षण करने के लिए आमतौर पर निम्न टेस्ट किए जा सकते हैं -
इमेजिंग टेस्ट से प्राप्त रिजल्ट के अनुसार ही रोग के लिए ट्रीटमेंट प्लान तैयार किया जाता है।
कैल्सिफिक टेंडोनाइटिस का इलाज कैसे किया जाता है?
अधिकतर मामलों में कैल्सिफिक टेंडोनाइटिस के इलाज के लिए कुछ प्रकार की दवाओं व अन्य नॉन-सर्जिकल उपचारों का उपयोग किया जाता है। कुछ गंभीर मामलों में जमा हुई कैल्शियम को हटाने के लिए सर्जरी भी करनी पड़ सकती है -
दवाएं
नोनस्टेरॉयडल एंटी-इन्फ्लामेटरी दवाओं को कैल्सिफिक टेंडोनाइटिस का सबसे प्रमुख इलाज माना जाता है। ये दवाएं आमतौर पर निम्न के रूप में मिलती हैं -
- एस्पिरिन
- आइबुप्रोफेन
- नेप्रोक्सेन
कुछ गंभीर मामलों में डॉक्टर दर्द व सूजन को कम करने के लिए कोर्टिकोस्टेरॉयड का इंजेक्शन भी लगा सकते हैं।
नॉन-सर्जिकल व सर्जिकल प्रक्रियाएं
दवाओं के अलावा डॉक्टर कुछ अन्य इलाज प्रक्रियाओं की मदद भी ले सकते हैं। इन्हें नॉन-सर्जिकल प्रोसीजर्स कहा जाता है, जिसका मतलब है कि इन प्रक्रियाओं में सर्जरी का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। इनमें निम्न शामिल है -
- एक्सट्रा कार्पोरल शॉक-वेव थेरेपी (ESWT)
- रेडियल शॉक-वेव थेरेपी (RSWT)
- थेराप्यूटिक अल्ट्रासाउंड
- परक्यूटेनियस नीडलिंग
यदि स्थिति गंभीर है और अत्यधिक मात्रा में कैल्शियम जमा हो गया है, तो डॉक्टर सर्जरी करने पर विचार कर सकते हैं। सर्जरी की मदद से टेंडन में जमा हुई कैल्शियम को निकाल दिया जाता है।
(और पढ़ें - टेंडन में चोट का इलाज)