कैरसिनोइड सिंड्रोम क्या है?
कैरसिनोइड सिंड्रोम कुछ ऐसे लक्षणों का समूह है जो तब हो सकते हैं जब किसी को कैरसिनोइड ट्यूमर हो जाता है। यह एक प्रकार का कैंसर होता है। ट्यूमर के द्वारा रक्त में कैमिकल स्त्रावित करने से यह सिंड्रोम शुरू होता है।
आमतौर पर कैरसिनोइड ट्यूमर पेट व आंतों में होता है, लेकिन यह आपके फेफड़ों व पेनक्रियाज, और बहुत कम मामलों में वर्षण व अंडकोष में भी हो सकता है। अगर किसी को कैरसिनोइड सिंड्रोम हो चुका है तो इसका मतलब है कि कैरसिनोइड का ट्यूमर शरीर के अन्य भागों में फैल चुका है, जैसे फेफड़ों और लीवर में।
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कैरसिनोइड सिंड्रोम के लक्षण क्या हैं?
कैरसिनोइड सिंड्रोम के संकेत और लक्षण कैरसिनोइड ट्यूमर से निकलने वाले कैमिकल के खून में मिलने की स्थिति पर निर्भर करते हैं। इसके मुख्य लक्षण में स्किन फ्लशिंग (skin flushing: चेहरे और सीने की त्वचा में जलन और रंग में बदलाव होना), चेहरे की त्वचा में घाव के निशान होना, दस्त, सांस लेने में मुश्किल और दिल की धड़कने अनियमित होने को शामिल किया जाता है।
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कैरसिनोइड सिंड्रोम क्यों होता है?
कैरसिनोइड ट्यूमर जब सिरोटोनिन हार्मोन व अन्य कैमिकल को अधिक मात्रा में स्त्रावित करने लगता है, तब इस हार्मोन्स की वजह से रोगी की नसें खुलने लगती है और यही कैरसिनोइड सिंड्रोम का कारण होता है।
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कैरसिनोइड सिंड्रोम का इलाज कैसे होता है?
ऑपरेशन से ट्यूमर को आसानी से हटाया जा सकता है। यदि ट्यूमर पूरी तरह से निकल जाए तो रोगी को स्थायी रूप से आराम मिल जाता है। वहीं ट्यूमर यदि लीवर में फैल जाए तो आपको लीवर के प्रत्यारोपण की आवश्यकता हो सकती है। ट्यूमर ज्यादा बढ़ जाने की स्थिति में सर्जरी से निकालना मुश्किल हो जाता है, ऐसे में रोगी को इंजेक्शन दिए जाते हैं।
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