कार्डियोटॉक्सिसिटी - Cardiotoxicity in Hindi

Dr. Nabi Darya Vali (AIIMS)MBBS

November 14, 2022

April 03, 2023

कार्डियोटॉक्सिसिटी
कार्डियोटॉक्सिसिटी

कैंसर एक गंभीर बीमारी है. इसका इलाज समय पर करवाना जरूरी होता है. कैंसर के इलाज के लिए रेडिएशन थेरेपी और कीमोथेरेपी की जाती है. रेडिएशन और कीमोथेरेपी कैंसर सेल्स को नष्ट करने में मदद करते हैं. इससे व्यक्ति कैंसर से तो बच जाता है, लेकिन कैंसर का इलाज हृदय को प्रभावित कर सकता है.

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जी हां, कैंसर का इलाज करवाने वाले लोगों में हृदय रोग विकसित होने की आशंका रहती है. इस अवस्था को कार्डियोटॉक्सिसिटी कहा जाता है. कीमोथेरेपी, दवाइयां और सीने में रेडिएशन थेरेपी वाले कैंसर रोगियों में हृदय संबंधी समस्याएं देखने को मिल सकती है. कैंसर के उपचार के कई वर्षों बाद हृदय रोग विकसित हो सकते हैं.

आज इस लेख में आप कैंसर के इलाज से हृदय पर पड़ने वाले असर के बारे में विस्तार से जानेंगे -

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क्या कैंसर के इलाज से हृदय रोग हो सकते हैं? - Can Cancer Treatment Cause Cardiotoxicity in Hindi

जी हां, कैंसर के इलाज से हृदय रोग हो सकते हैं. कैंसर के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली कुछ कीमोथेरेपी दवाइयां हृदय समस्याओं के जोखिम को बढ़ा सकती हैं. इसके अलावा कैंसर की गोलियां, रेडिएशन थेरेपी लेने से भी हृदय की समस्याएं हो सकती हैं. एक अध्ययन के अनुसार, कीमोथेरेपी और रेडियो थेरेपी से कैंसर का इलाज कराने से 1 से 25 प्रतिशत लोगों को हार्ट फेलियर का सामना करना पड़ सकता है.

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कार्डियोटॉक्सिसिटी के लक्षण - Cardiotoxicity Symptoms in Hindi

जब किसी व्यक्ति में कैंसर के इलाज के बाद हृदय रोग विकसित होते हैं, तो उसे कुछ लक्षणों का अनुभव हो सकता है -

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कार्डियोटॉक्सिसिटी के कारण - Cardiotoxicity Causes in Hindi

कुछ खास तरह के कैंसर ट्रीटमेंट कार्डियोटॉक्सिसिटी का कारण बन सकते हैं, जिनमें प्रमुख कारण निम्न प्रकार से हैं -

  • एन्थ्रासाइक्लिन कीमोथेरेपी - एंथ्रासाइक्लिन एक प्रकार की कीमोथेरेपी है. यह कीमोथेरेपी हृदय की बीमारियों का कारण बन सकती है.
  • ट्रास्टुजुमब - आमतौर पर इस कैंसर दवा का उपयोग ब्रेस्ट कैंसरपेट के कैंसर या गैस्ट्रोओसोफेगल जंक्शन के कैंसर के इलाज में किया जाता है. अगर इसे एंथ्रासाइक्लिन दवा के साथ दिया जाता है, ताे यह कार्डियोमायोपैथी होने की आशंका सबसे ज्यादा होती है.
  • रेडिएशन थेरेपी - अगर कैंसर के इलाज के लिए छाती में रेडिएशन थेरेपी ली जाती है, तो इससे भी हृदय रोग हो सकते हैं.

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कैंसर के इलाज से होने वाली हृदय समस्याएं - Heart problems caused by cancer treatment in Hindi

कैंसर के इलाज की वजह से हृदय बुरी तरह से प्रभावित हो सकता है. इसकी वजह से हृदय को सामान्य से लेकर गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है. कैंसर के इलाज से होने वाली हृदय संबंधी कुछ समस्याएं इस प्रकार हैं -

कार्डियोमायोपैथी

कैंसर का इलाज करने वाली कीमोथेरेपी दवाएं हृदय की मांसपेशियों को कमजोर कर देती हैं. इसकी वजह से हृदय को क्षति पहुंचती है. इस स्थिति में हृदय रक्त को अच्छी तरह से पंप करने में असमर्थ हो जाता है. इसमें शरीर के अंगों को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाती है. इसे कंजेस्टिव हार्ट फेलियर कहा जाता है.

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अतालता

कैंसर के इलाज के बाद व्यक्ति को अतालता रोग भी हो सकता है. इसकी वजह से व्यक्ति को दिल का दौरा पड़ सकता है. हार्ट फेलियर हो सकता है. इतना ही नहीं कैंसर का इलाज स्ट्रोक का कारण भी बन सकता है. 

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रक्त के थक्के

कैंसर के इलाज के बाद व्यक्ति को रक्त के थक्के बनने की समस्या भी हो सकता है. दरअसल, कीमोथेरेपी एजेंट हृदय और रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचा सकते हैं. इसकी वजह से रक्त के थक्के बन सकते हैं. लिपिड की समस्या भी पैदा हो सकती है.

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दिल में सूजन

कैंसर का इलाज दिल की सूजन का कारण भी बन सकता है. इसकी वजह से दिल की धड़कन प्रभावित हो सकती है. व्यक्ति को कोरोनरी आर्टरी डिजीज का भी सामना करना पड़ सकता है. हृदय की रक्त वाहिकाओं में रुकावट आ सकती है.

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हृदय वाल्व को नुकसान

कैंसर के इलाज के बाद हृदय वॉल्व संकीर्ण और सख्त हो जाते हैं. इसके अलावा, कैंसर का इलाज हाई ब्लड प्रेशर और हृदय वाल्व रोग का कारण बन सकता है.

इनके अलावा, कैंसर के इलाज की वजह से दिल के चारों ओर द्रव का निर्माण हो सकता है. हृदय गति धीमी हो सकती है और हृदय की परत मोटी हो सकती है. इसलिए, अगर किसी को पहले से ही कोई हृदय समस्या है, तो डॉक्टर के संपर्क में जरूर रहना चाहिए. 

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कार्डियोटॉक्सिसिटी का इलाज - Cardiotoxicity Treatment in Hindi

अगर कैंसर के इलाज के बाद कोई भी सामान्य या गंभीर हृदय रोग होता है, तो इसका समय पर इलाज करवाना जरूरी होता है. हेल्दी डाइट के साथ ही कुछ दवाइयां लेने से हृदय रोगों को कम करने में मदद मिल सकती है. हृदय रोगों का इलाज करने वाली दवाइयां इस प्रकार हैं -

  • एसीई अवरोधक - एसीई अवरोधक जैसे- लिसिनोप्रिल व फोसिनोप्रिल सोडियम हृदय रोगों का इलाज कर सकते हैं. ये धमनियों को खोलने और रक्त प्रवाह में सुधार करने में मदद कर सकते हैं.  
  • बीटा-ब्लॉकर्स - बीटा ब्लॉकर्स जैसे- मेटोप्रोलोल व एटेनोलोल भी हृदय संबंधी समस्याओं को ठीक करने में मदद कर सकते हैं. बीटा ब्लॉकर्स रक्त के प्रवाह को बढ़ा सकते हैं. 
  • डिजॉक्सिन - डिजॉक्सिन हृदय की गति को सामान्य करने में मदद कर सकता है.
  • वेसोडिलेटर्स - वेसोडिलेटर्स जैसे- आइसोसोरबाइड डिनिट्रेट रक्त वाहिकाओं को खोलने यानी फैलाने में मदद करती है. इससे रक्त का प्रवाह बेहतर होता है.

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सारांश – Summary

कैंसर के उपचार से हृदय रोग विकसित होने की आशंका हो सकती है. कैंसर के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवाइयां, कीमोथेरेपी और रेडिएशन थेरेपी की वजह से हृदय रोग हो सकते हैं. जिन लोगों को पहले से ही कोई हृदय रोग है, उनमें कैंसर के इलाज के बाद हृदय संबंधी समस्याएं अधिक बढ़ सकती हैं. जब कैंसर के इलाज के बाद कोई हृदय रोग होता है, तो इसे कार्डियोटॉक्सिसिटी कहा जाता है. इस स्थिति में लगातार डॉक्टर के संपर्क में रहना जरूरी होता है.

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