क्लैमाइडिया - Chlamydia in Hindi

Dr. Ajay Mohan (AIIMS)MBBS

July 11, 2017

August 08, 2024

क्लैमाइडिया
क्लैमाइडिया

क्लैमाइडिया क्या है?

क्लैमाइडिया सबसे सामान्य यौन संचारित रोग (एसटीडी रोग) है। यह संक्रमण क्लैमाइडिया ट्रैकोमैटिस नामक बैक्टीरिया के कारण फैलता है। क्लैमाइडिया के लक्षण और संचरण के तरीके गोनोरिया रोग से बहुत मिलते-जुलते हैं।

क्लैमाइडिया से संक्रमित होने वाले बहुत से लोगों (महिलाएं और पुरुष) में कोई लक्षण दिखाई नहीं देते हैं और उन्हें अपने संक्रमित होने के बारे में कोई जानकारी नहीं होती है। यह रोग महिलाओं के गर्भाशय ग्रीवा (Cervix), मलाशय (Rectum) या गले में और पुरुषों के मूत्रमार्ग (लिंग के अंदर), मलाशय या गले में हो सकता है।

क्लैमाइडिया संक्रमण महिलाओं की गर्भाशय नलिकाओं (फैलोपियन ट्यूब) को स्थायी नुकसान पहुंचा सकता है और भविष्य में बांझपन का कारण भी बन सकता है। इसके साथ ही, एक्टोपिक गर्भावस्था (जब भ्रूण का निर्माण गर्भाशय में होने के बजाय उसके बाहर खासतौर पर फेलोपियन ट्यूब में हो जाता है) का खतरा बढ़ सकता है। गर्भावस्था के दौरान क्लैमाइडिया संक्रमण से पीड़ित महिला को अपरिपक्व प्रसूति (Preterm Labor) और जन्म के समय बच्चे के अत्यधिक कम वजन का खतरा भी बढ़ा सकता है। 

(और पढ़ें - गर्भावस्था में देखभाल)

एक बार क्लैमाइडिया से संक्रमित होने का पता चलने  के बाद इसका इलाज मुश्किल नहीं है। क्लैमाइडिया के उपचार के लिए एंटीबायोटिक दवाओं की या तो कई खुराक या सिर्फ एक खुराक खाने के लिए दी जाती है। इसके लिए निर्धारित की गयी सभी दवायें लेनी चाहिए। क्लैमाइडिया के उपचार के लिए बहुत लंबा इंतजार करना गंभीर जटिलताओं का कारण बन सकता है। अगर इस रोग को अनुपचारित छोड़ दिया जाता है, तो इससे अधिक गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।

क्लैमाइडिया के लक्षण - Chlamydia Symptoms in Hindi

क्लैमाइडिया के संकेत एवं लक्षण (Signs and Symptoms of Chlamydia​): 

कई लोग 'क्लैमाइडिया' के लक्षणों को पहचान नहीं पाते हैं। ज्यादातर लोगों में कोई लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। यदि लक्षण दिखाई देते हैं, तो ऐसा आमतौर पर संक्रमित होने के एक से तीन सप्ताह के बाद होता है।

'क्लैमाइडिया' से संबंधित सबसे आम लक्षणों में निम्नलिखित शामिल हैं:

  1. पेशाब करने में जलन महसूस होना, (और पढ़ें - पेशाब में जलन के घरेलू नुस्खे)
  2. लिंग या योनि से पीले या हरे रंग का द्रव निकलना, (और पढ़ें - योनि स्राव)
  3. पेट के निचले हिस्से में दर्द, (और पढ़ें - पेट दर्द का उपचार)
  4. अंडकोष में दर्द,
  5. संभोग करने के दौरान या उसके बाद भयंकर दर्द का होना (डिस्परेयूनिया)। (और पढ़ें - सेक्स करने में दर्द)

कुछ महिलाओं में 'क्लैमाइडिया' का संक्रमण फैलोपियन ट्यूब्स में फैल सकता है, जिसके कारण पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज (पीआईडी) हो सकती है। पीआईडी एक आपातकालीन चिकित्सकीय स्थिति है। पीआईडी के लक्षण निम्न हैं –

  1. बुखार,
  2. श्रोणि (पेल्विक) में गंभीर दर्द,
  3. जी मिचलाना, (और पढ़ें - मतली को रोकने के घरेलू उपाय)
  4. मासिक धर्म के दौरान योनि से असामान्य रक्तस्राव का होना। (और पढ़ें - पीरियड का ज्यादा आना)

इसके साथ ही साथ गुदा में भी क्लैमाइडिया संक्रमण होना संभव है। इस मामले के मुख्य लक्षणों में अक्सर गुदा में दर्द होना और गुदा से खून बहना शामिल हैं।

यदि आप इस रोग से संक्रमित किसी व्यक्ति के साथ ओरल सेक्स (Oral sex) करते हैं, तो आपके गले में भी यह संक्रमण हो सकता है। आप गले में खराश, खांसी या बुखार महसूस कर सकते हैं। यह भी संभव है कि आपके गले में बैक्टीरिया पहुँच जाये और आपको इसके बारे में पता भी न चले।

पुरुषों और महिलाओं में एसटीआई के लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं, इसलिए यदि आप उपरोक्त लक्षणों में से किसी का अनुभव करते हैं तो डॉक्टर से बात करना महत्वपूर्ण है।

क्लैमाइडिया के कारण - Chlamydia Causes in Hindi

क्लैमाइडिया क्यों होता है?

क्लैमाइडिया एक संक्रमण है, जो क्लैमाइडिया ट्रैकोमैटिस बैक्टीरिया के द्वारा फैलता है। जब संक्रमण होता है, तो बैक्टीरिया संक्रमित व्यक्ति के गर्भाशय ग्रीवा, मूत्रमार्ग, योनि और मलाशय में मौजूद हो सकता है। यह गले में भी रह सकता है। संक्रमित व्यक्ति के साथ किसी भी प्रकार के यौन संपर्क (योनि, गुदा या मौखिक) के कारण यह संक्रमण फैल सकता है। युवा व्यक्ति जो यौन सम्बन्ध बनाने में सक्रिय होते हैं, उनमें 'क्लैमाइडिया' का अधिक खतरा होता है। 

(और पढ़ें - एनल सेक्स और sex kaise kare)

एक संक्रमित माँ बच्चे के जन्म के समय बच्चे में संक्रमण फैला सकती है, जब बच्चा योनि की नली (Vaginal Canal) से गुजरता है। नवजात शिशु में होने वाली क्लैमाइडिया का सबसे आम प्रभाव नेत्र क्षति और निमोनिया होता हैं।

'क्लैमाइडिया' के इलाज के बाद किसी व्यक्ति में दोबारा संक्रमण होना संभव है। क्लैमाइडिया में संक्रमण का बार-बार होना आम है।

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क्लैमाइडिया से बचाव - Prevention of Chlamydia in Hindi

क्लैमाइडिया से बचाव:

क्लैमाइडिया संक्रमण के खतरे को कम करने के लिए निम्नलिखित उपाय करना चाहिए –

  1. हर बार सेक्स करते समय कंडोम का उपयोग करें। (और पढ़ें - सुरक्षित संभोग)
  2. अत्यधिक लोगो के साथ यौन सम्बन्ध न बनाएं।
  3. अपनी यौन इच्छाओं पर संयम रखने का प्रयास करें या सिर्फ एक असंक्रमित साथी के साथ ही यौन संपर्क बनाएं।
  4. अगर आपको लगता है कि आप संक्रमित हैं, तो यौन संपर्क से बचें और डॉक्टर को दिखाएं।

कोई भी लैंगिक लक्षण, जैसे कि डिस्चार्ज या पेशाब करने के दौरान जलन या एक असामान्य छाला या चकत्ता इस बात का संकेत है कि आपको सेक्स नहीं करना चाहिए और तत्काल एक डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए। यदि आपको बताया गया है कि आपको क्लैमाइडिया या कोई अन्य यौन संचारित बीमारी है और आप उसका उपचार कराते हैं, तो इसके बारे में अपने सेक्स पार्टनर को सूचित करना चाहिए ताकि वे डॉक्टर से जांच और इलाज करवा सकें।

चूंकि क्लैमाइडिया अक्सर लक्षणों के बिना होता है, इसलिए जिन लोगों को ये बीमारी होती है, वे अनजाने में अपने सेक्स पार्टनर को संक्रमित कर सकते हैं। कई डॉक्टर परामर्श देते हैं कि लक्षण मौजूद न होने पर भी एक से अधिक लोगों के साथ यौन सम्बन्ध बनाने वाले सभी व्यक्तियों को नियमित रूप से क्लैमाइडिया के लिए परीक्षण कराना चाहिए।

(और पढ़ें - सुरक्षित सेक्स के तरीके)

क्लैमाइडिया का परीक्षण - Diagnosis of Chlamydia in Hindi

क्लैमाइडिया का निदान/परीक्षण:

क्लैमाइडिया का निदान करने के लिए शारीरिक लक्षणों, जैसे कि डिस्चार्ज की स्थिति को देखने के लिए एक शारीरिक परीक्षण किया जा सकता है। इसके साथ ही इसमें लिंग, गर्भाशय ग्रीवा, मूत्रमार्ग, गले या मलाशय से नमूना या मूत्र का नमूना भी लिया जा सकता है।

(और पढ़ें - लैब टेस्ट)

क्लैमाइडिया स्क्रीनिंग

चूंकि क्लैमाइडियल संक्रमण में अक्सर लक्षण मौजूद नहीं होते हैं,इसलिए अधिकांश देशों में स्वास्थ्य अधिकारियों ने कुछ लोगों के लिए स्क्रीनिंग की सिफारिश की है। सीडीसी ने क्लैमाइडिया स्क्रीनिंग की सिफारिश इनके लिए भी की है –

  1. 25 साल से कम उम्र की महिलाएं,
  2. गर्भवती महिलाएं,
  3. उच्च जोखिम वाले पुरुष और महिलाएं।

क्लैमाइडिया स्क्रीनिंग कैसे की जाती है?

  1. महिलाएं – महिलाओं को घर पर या लैब में इस प्रक्रिया से गुजरना पड़ सकता है। इस प्रक्रिया के अंतर्गत मूत्र का नमूना या योनि के निचले हिस्से से एक नमूना लिया जा सकता है। नमूने को कंटेनर में रखा जाता है और लैब में भेज दिया जाता है।
  2. पुरुष – आमतौर पर इनका सबसे अधिक मूत्र परीक्षण किया जाता है।

प्रत्येक व्यक्ति की स्थिति के लिए आवश्यक परीक्षण के बारे में डॉक्टर से परामर्श करना बेहतर है। कुछ लोगों में, खासकर एचआईवी पॉजिटिव लोगों में गुदा या गले का परीक्षण किया जा सकता है।

क्लैमाइडिया का इलाज - Chlamydia Treatment in Hindi

क्लैमाइडिया का उपचार -

क्लैमाइडिया को एंटीबायोटिक थेरेपी द्वारा आसानी से ठीक किया जा सकता है। एंटीबायोटिक्स को एकल खुराक या 7 दिन की अवधि के लिए दिया जा सकता है।

महिलाओं को एंटीबायोटिक दवाओं के 7 दिन के कोर्स के दौरान या एकल खुराक (Single Dose) के उपचार के 7 दिनों तक सेक्स करने से बचना चाहिए, ताकि दूसरों को संक्रमण न हो।

आमतौर पर क्लैमाइडिया संक्रमण के इलाज के लिए एजिथ्रोमाइसिन और डॉक्सीसाइक्लिन (Doxycycline) एंटीबायोटिक का उपयोग किया जाता है, लेकिन अन्य एंटीबायोटिक दवाएं भी सफलतापूर्वक इस्तेमाल की जा सकती हैं।

क्लैमाइडिया से संक्रमित गर्भवती महिलाओं का उपचार एंटीबायोटिक दवाओं (उदाहरण के लिए, एजिथ्रोमाइसिन, एमोक्सिसिलिन और इरिथ्रोमाइसिन एथिल स्यूसिनेट, लेकिन डॉक्सीसाइक्लिन नहीं) के साथ सुरक्षित रूप से किया जा सकता है।

क्लैमाइडिया से ग्रसित व्यक्ति के सेक्स पार्टनर को भी पुन: संक्रमण और आगे होने वाले प्रसार से बचाने के लिए उसका परीक्षण और इलाज किया जाना चाहिए। जिन महिलाओं के यौन साझेदारों का इलाज नहीं किया गया है, उनमें पुन: संक्रमण के विकास का उच्च जोखिम रहता है।

 

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क्लैमाइडिया के जोखिम और जटिलताएं - Chlamydia Risks & Complications in Hindi

क्लैमाइडिया के जोखिम कारक (Risk factors of Chlamydia​):

क्लैमाइडिया ट्रैकोमैटिस के जोखिम को बढ़ाने वाले कारकों में निम्नलिखित शामिल हैं –

  1. 25 वर्ष की उम्र से पहले यौन सम्बन्ध बनाना,
  2. एक वर्ष के भीतर अनेक व्यक्तियों के साथ सेक्स करना,
  3. कंडोम का लगातार उपयोग न करना, 
  4. पूर्व यौन संचारित संक्रमण का इतिहास

क्लैमाइडिया की जटिलताएं:

क्लैमाइडिया ट्रैकोमैटिस को निम्न के साथ जोड़ा जा सकता है –

  1. अन्य यौन संचारित संक्रमण – क्लैमाइडिया ट्रैकोमैटिस बैक्टीरिया से संक्रमित लोगों में गोनोरिया और एचआईवी (वायरस जो कि एड्स का कारण बनता है) सहित अन्य एसटीआई होने का भी अधिक खतरा है। 
  2. पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज (पीआईडी) – पीआईडी ​​गर्भाशय और फैलोपियन ट्यूब का संक्रमण है, जो कि श्रोणि (पेल्विक) में दर्द और बुखार का कारण बनता है। गंभीर संक्रमण में इन्ट्रावेनस (Intravenous) एंटीबायोटिक दवाओं के लिए अस्पताल में भर्ती कराने की आवश्यकता पड़ सकती है। पीआईडी ​​गर्भाशय ग्रीवा सहित फैलोपियन ट्यूब, अंडाशय और गर्भाशय को नुकसान पहुंचा सकता है।
  3. अंडकोष के पास संक्रमण (एपीडीडीमिटिस) – क्लैमाइडिया संक्रमण प्रत्येक अंडकोष (एपिडिडमिस) के पास स्थित कुंडलित ट्यूब (Coiled tube) में जलन उत्पन्न कर सकता है। संक्रमण के परिणाम स्वरूप बुखार, अंडकोष में सूजन और दर्द हो सकता है। (और पढ़ें - अंडकोष में दर्द)
  4. प्रोस्टेट ग्रंथि संक्रमण क्लैमाइडिया जीव एक पुरुष की प्रोस्टेट ग्रंथि में फैल सकता है। प्रोस्टेटाइटिस के कारण सेक्स के दौरान या बाद में भयंकर दर्द, बुखार और ठंड लगना, पेशाब करने में दर्द और पीठ के निचले हिस्से में दर्द हो सकता है।
  5. नवजात शिशुओं में संक्रमण – क्लैमाइडिया संक्रमण प्रसव के दौरान योनि की नली से आपके बच्चे तक प्रेषित हो सकता है, जिससे निमोनिया या आँख में गंभीर संक्रमण हो सकता है।
  6. बांझपन – क्लैमाइडिया संक्रमण जो कि कोई संकेत या लक्षण उत्पन्न नहीं करते हैं, फैलोपियन नलियों को क्षति पहुंचा सकते हैं और उनमें रुकावट पैदा कर सकते हैं। इसके कारण महिलाएं बांझ बन सकती हैं।
  7. प्रतिक्रियात्मक (रिएक्टिव) गठिया – क्लैमाइडिया ट्रैकोमैटिस से संक्रमित लोगों में रिएक्टिव गठिया के विकास का अधिक खतरा होता है, जिसे रीइटर सिंड्रोम (Reiter's syndrome) भी कहा जाता है। यह स्थिति आमतौर पर जोड़ों, आँखों और मूत्रमार्ग (नली जो मूत्राशय से मूत्र को आपके शरीर के बाहर ले जाती है) को प्रभावित करती है।

क्लैमाइडिया में परहेज़ - What to avoid during Chlamydia in Hindi?

इनसे परहेज करें: 

  1. एंटीबायोटिक्स लेने के दौरान शराब के सेवन से बचें। (और पढ़ें – शराब की लत से छुटकारा पाने के तरीके)
  2. यदि डॉक्सीसाइक्लिन ले रहे हैं, तो दूध और डेयरी उत्पाद से बचें।
  3. असुरक्षित यौन संबंध से होने वाले संक्रमण के खतरे को कम करने के लिए कंडोम का उपयोग करें।
  4. इसके साथ ही साथ क्लैमाइडिया संक्रमण के दौरान आपको निम्न भोजन या पेय पदार्थों से बचना चाहिए –

क्लैमाइडिया में क्या खाना चाहिए? - What to eat during Chlamydia in Hindi?

क्लैमाइडिया संक्रमण के दौरान ये खाएं –

  1. लहसुन यह जीवाणुरोधी होता है, इसलिए क्लैमाइडियल संक्रमण को कम करता है।
  2. दही  यह शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार करता है और क्लैमाइडिया से बचाता है।
  3. जैतून का तेल क्लैमाइडियल संक्रमण को कम करने में मदद करता है।
  4. हल्दी यह जीवाणुरोधी और संक्रमण विरोधी एजेंट के रूप में काम करती है और क्लैमाइडियल संक्रमण को कम करने में मदद करती है।
  5. विटामिन सी युक्त खाद्य पदार्थ, जैसे – संतरे, नींबू, आंवला
  6. पत्तेदार सब्जियां
  7. बादाम
  8. साबुत अनाज
  9. फलियां (और पढ़ें - सेम की फली के फायदे)
  10. अदरक
  11. सरसों (और पढ़ें - सरसों के फायदे)
  12. फल इत्यादि।


संदर्भ

  1. Elwell C et al. Chlamydia cell biology and pathogenesis.. Nat Rev Microbiol. 2016 Jun;14(6):385-400. PMID: 27108705
  2. Marc O. Beem et al. Respiratory-Tract Colonization and a Distinctive Pneumonia Syndrome in Infants Infected with Chlamydia trachomatis. The New England Journal of Medicine; February 10, 1977
  3. Catherine M. O’Connell et al. Chlamydia trachomatis Genital Infections. Microb Cell. 2016 Sep 5; 3(9): 390–403. PMID: 28357377
  4. MedlinePlus Medical Encyclopedia: US National Library of Medicine; Chlamydia Infections
  5. Kalpana Betha et al. Prevalence of Chlamydia trachomatis among Childbearing Age Women in India: A Systematic Review. Infect Dis Obstet Gynecol. 2016; 2016: 8561645. PMID: 27672303