खंजता को अंग्रेजी भाषा में क्लौडिकेशन कहा जाता है और सामान्य रूप से इसका मतलब होता है लंगड़ापन होना। लेकिन मेडिकल भाषा में क्लौडिकेशन का मतलब होता है टांग, जांघ कूल्हे में गंभीर दर्द होना जो व्यक्ति को अक्षम बना देता है। यह आमतौर पर प्रभावित क्षेत्र में पर्याप्त खून ना पहुंच पाने के कारण होता है। इतना ही नहीं खंजता बांह में भी हो सकता है, हालांकि यह काफी दुर्लभ मामलों में देखा जाता है।
क्लौडिकेशन को पेरिफेरल आर्टरी डिजीज (PAD) का एक मुख्य लक्षण माना जाता है, क्योंकि पीएडी ग्रस्त लगभग 20 प्रतिशत लोगों को यह समस्या होती है। पीएडी रोग वाहिकाओं के रोगों से संबंधित तीसरा सबसे बड़ा रोग है, जिससे लगभग 200 मिलियन लोग प्रभावित हैं।
किसी व्यक्ति के चलने या कोई एक्सरसाइज करने के दौरान उसे बार-बार क्लौडिकेशन की समस्या हो सकती है। जब व्यक्ति शारीरिक क्रिया करना बंद कर देता है और उसकी टांगों को आराम मिलता है, तो खंजता के लक्षण भी कम होने लग जाते हैं। हालांकि जैसे ही क्लौडिकेशन के लक्षण बढ़ते हैं, मरीज को पेरिफेरल धमनियों में आराम करने के दौरान भी दर्द व ऐंठन महसूस होने लग जाती है। समय के साथ-साथ दर्द काफी गंभीर हो जाता है, जिसके कारण मरीज थोड़ी सी दूर भी नहीं चल पाता है।
जब पेरिफेरल रक्त वाहिकाओं में किसी प्रकार की रुकावट आ जाती है, तो इसके कारण क्लौडिकेशन हो जाता है। ऐसी स्थिति में मरीज की टांग में खून की सप्लाई कम हो जाती है और पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल पाती है। मांसपेशियों को एक्सरसाइज करने के दौरान लगभग 30 गुना ज्यादा मात्रा में ऑक्सीजन की आवश्यकता है। पर्याप्त ऑक्सीजन ना मिल पाने पर रुकी हुई नस से अगले भाग में सूजन व जलन पैदा करने वाले पदार्थ जमा होने लग जाते हैं। इसके परिणामस्वरूप मरीज को टांग में दर्द, कमजोरी, थकान व ऐंठन होने लग जाती है और साथ ही मरीज चल पाने में भी सक्षम नहीं रह पाता है, इसी स्थिति को क्लौडिकेशन कहा जाता है।
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