क्लब फुट क्या है?
क्लब फुट पैरों में होने वाली एक जन्मजात असामान्यता है। इसे मुद्गरपाद भी कहा जाता है। इसमें बच्चे का एक या दोनों पैर अंदर या बाहर की तरफ मुड़े हुए होते हैं। क्लब फुट को टेलिप्स भी कहा जाता है, यह एक या दोनों पैरों को प्रभावित कर सकता है। आमतौर पर इस बीमारी में मांसपेशियों को हड्डी से जोड़ने वाले ऊतक (टेंडन) सामान्य से छोटे होते हैं।
क्लब फुट के मामले सामान्य से लेकर गंभीर हो सकते हैं। इस बीमारी से ग्रस्त लगभग आधे बच्चों के दोनों पैर मुड़े होते हैं। यदि किसी बच्चे को क्लब फुट है, तो उसे ठीक से चलने में मुश्किल आएगी, इसलिए डॉक्टर जन्म के तुरंत बाद इसका इलाज करने की सलाह देते हैं। डॉक्टर सर्जरी के बिना इस बीमारी का सफलतापूर्वक इलाज कर सकते हैं, हालांकि कुछ मामलों में सर्जरी की आवश्यकता होती है।
इस बीमारी का उपचार तुरंत शुरू कर देने से इस स्थिति को गंभीर रूप लेने से रोकने में मदद मिलती है। हालांकि, यह बीमारी दर्दनाक नहीं होती है, लेकिन उपचार न किए जाने की स्थिति में यह दर्दनाक हो सकती है और साथ ही चलने में भी दिक्कत आ सकती है।
क्लब फुट के लक्षण
यदि कोई बच्चा क्लब फुट से ग्रस्त है, तो उसमें निम्न लक्षण दिख सकते हैं:
- पैर के आगे का हिस्सा नीचे व अंदर की ओर मुड़ना
- पैरों का इतना ज्यादा मुड़ जाना कि वह उल्टा दिखने लगे
- प्रभावित पैर का सामान्य से थोड़ा छोटा दिखना
- प्रभावित पैर की पिंडली की मांसपेशियां अविकसित होना
- असामान्य दिखने के बावजूद दर्द न होना
- पैर को ठीक तरह से हिलाने या चलाने में दिक्कत आना
क्लब फुट का कारण
इस बीमारी का सही कारण अभी तक पता नहीं चल पाया है, लेकिन डॉक्टरों का मानना है कि आनुवांशिकी और पर्यावरण कारकों के संयोजन की वजह से ऐसा हो सकता है।
क्लब फुट का निदान
- इस बीमारी से ग्रस्त जब कोई बच्चा पैदा होता है, तो डॉक्टर बच्चे के पैर को देखकर ही बता सकते हैं कि क्लब फुट है। इसके अलावा गर्भावस्था के दौरान पैरों के पूरी तरह से विकसित होने पर भी डॉक्टर क्लब फुट की पहचान कर सकते हैं।
- कभी-कभी, डॉक्टर स्थिति की गंभीरता को समझने के लिए एक्स-रे की मदद लेते हैं, लेकिन आमतौर पर इसकी आवश्यकता नहीं पड़ती है।
क्लब फुट का इलाज
- स्ट्रेचिंग और कास्टिंग:
क्लब फुट के लिए सबसे सामान्य उपचार स्ट्रेचिंग और कास्टिंग है:- पैर को सामान्य स्थिति में ले जाना और फिर इसी तरह रखने के लिए मेडिकल उपकरण (जैसे प्लास्टर या किसी अन्य पदार्थ के सांचे) की मदद लेना
- कई महीनों तक सप्ताह में एक बार बच्चे के पैर का चेकअप करवाना
- सर्जरी
यदि स्थिति गंभीर है या स्ट्रेचिंग और कास्टिंग से फायदा नहीं होता है, तो ऐसे में सर्जरी की आवश्यकता होती है। सर्जरी से स्थिति बेहतर होने में मदद मिल सकती है। हालांकि सर्जरी के बाद भी बच्चे का पैर तब तक कास्ट (एक तरह का सांचा जैसे प्लास्टर) में रहेगा, जब तक स्थिति पूरी तरह से ठीक नहीं हो जाती है। अमूमन इसमें एक साल का समय लगता है।
यदि किसी का नवजात शिशु क्लब फुट की समस्या से ग्रसित है तो आमतौर पर इस बीमारी का इलाज जन्म के पहले या दूसरे सप्ताह में शुरू करवा देना चाहिए, क्योंकि जन्म के समय नवजात शिशु की हड्डियां, जोड़ और टेंडन बहुत लचीले होते हैं, इसलिए आसानी से उन्हें सही रूप दिया जा सकता है।