कुशिंग सिंड्रोम क्या होता है?
कुशिंग सिंड्रोम के मामले काफी दुर्लभ होते हैं, यह एक जटिल हार्मोनल स्थिति होती है। यह तब होता है, जब किसी व्यक्ति के कोर्टिसोल (cortisol/ एक प्रकार का हार्मोन) का स्तर बहुत अधिक बढ़ जाता है। इसका प्रभाव लगभग पूरे शरीर पर फैल जाता हैं। यह एक गंभीर विकार है, जो घातक हो सकता है।
इसके सबसे सामान्य लक्षण में शामिल हैं, त्वचा की मोटाई बढ़ना, वजन बढ़ना (मोटापा), त्वचा पर निशान या नील पड़ना, हाई बीपी, ऑस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis), शुगर, फूला हुआ चेहरा, कमजोरी और मासिक धर्म में रुकावट (महिलाओं में)।
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जिन लोगों में इसके होने का अधिक खतरा होता है उनमें शामिल है, जो किसी और बीमारी के लिए स्टेरॉयड दवाओं की खुराक लेते हैं जैसे कि अस्थमा या फिर जिनकी पिट्यूटरी ग्रंथि में ट्यूमर है। इन दोनों ही परिस्थितियों में कॉर्टिसोल नामक स्टेरॉयड बहुत अधिक मात्रा में मिलता है।
कुशिंग सिंड्रोम के उपचार के तहत शरीर में कोर्टिसोल निर्माण की मात्रा को सामान्य किया जाता है और लक्षणों को बेहतर किया जाता है। उपचार जितना जल्दी शुरू होता है, स्वस्थ होने की संभावना उतनी ही बढ़ जाती है।
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