परिचय
ज्यादातर स्वस्थ वयस्क 24 घंटे में कम से कम 500 मिली लीटर (mL) पेशाब निकालते हैं। यदि आप रोजाना सामान्य से कम मात्रा में पेशाब निकाल पा रहे हैं, तो इस स्थिति को पेशाब कम आना कहा जाता है। शरीर को सभी फंक्शन ठीक से करने के लिए पेशाब करना जरूरी होता है, क्योंकि इसकी मदद से शरीर के विषाक्त व अन्य अपशिष्ट पदार्थ शरीर से बाहर निकल जाते हैं। यदि ये सभी पदार्थ शरीर से बाहर ना निकल पाएं, तो इनसे कई गंभीर जटिलताएं विकसित हो जाती है।
सामान्य से कम पेशाब आने की कई वजह हो सकती हैं, जिसमें कम मात्रा में पानी पीना, हृदय संबंधी समस्याएं और पेशाब में रुकावट होना आदि शामिल हैं। यदि आपका पेशाब कम आ रहा है, तो जितना जल्दी हो सके उसकी जांच करवा लेनी चाहिए क्योंकि यह किडनी खराब होने का शुरुआती लक्षण हो सकता है, हालांकि ऐसा बहुत ही कम मामलों में देखा गया है। इसके लक्षणों में गहरे रंग का पेशाब आना, सुस्ती, ब्लड प्रेशर कम हो जाना हृदय की दर बढ़ जाना।
इस स्थिति का परीक्षण करने के लिए डॉक्टर कुछ प्रकार के टेस्ट भी कर सकते हैं, जैसे पेट का अल्ट्रासाउंड, इलेक्ट्रोलाइट्स का पता लगाने के लिए ब्लड टेस्ट, किडनी फंक्शन टेस्ट, ब्लड काउंट, पेट का सीटी स्कैन और गुर्दे की जांच आदि।
पेशाब कम आने की समस्या का इलाज इसका कारण बनने वाली स्थिति पर आधारित होता है। इलाज के दौरान आपको नसों द्वारा तरल पदार्थ के ड्रिप चढ़ाएं जाते हैं, जो आपके शरीर में पानी की कमी को पूरा करते हैं। यदि आपकी किडनी ठीक से काम नहीं कर पा रही है, तो आपको डायलिसिस दिया जाता है। डायलिसिस की मदद से शरीर के विषाक्त पदार्थों को शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है।
पेशाब कम आने की स्थिति से शरीर के कई अंग प्रभावित हो सकते हैं, जिनमें मस्तिष्क, हृदय, पेट व खून आदि शामिल हैं। सामान्य से कम मात्रा में पेशाब आने से शरीर में उलझन महसूस होना, मिर्गी, एनीमिया और हार्ट फेलियर जैसी कुछ जटिलताएं भी विकसित हो जाती हैं।
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