बोलने में दिक्कत होना क्या है?
बोलने में दिक्कत एक ऐसी समस्या है जिसमें किसी व्यक्ति को आवाज निकाल कर कोई शब्द बोलने में समस्या होने लगती है। अंग्रेजी में इस समस्या को स्पीच डिसऑर्डर (Speech disorder) कहा जाता है। आवाज या बोलने से संबंधित कुछ प्रकार के विकारों को भी स्पीच डिसऑर्डर माना जाता है।
(और पढ़ें - Speech therapy in hindi)
बोलने में दिक्कत का सबसे अधिक महसूस किया जाने वाला लक्षण “हकलाना” होता है। बोलने में परेशानी से संबंधित अन्य विकारों में एपरैक्सिया (Apraxia) और डिसार्थरिया (Dysarthria) आदि शामिल हैं:
- एपरैक्सिया - इस में मस्तिष्क का वह हिस्सा प्रभावित होता है जो स्वभाविक बोल-चाल की प्रक्रिया नियंत्रित करता है।
- डिसार्थरिया - यह एक ऐसा विकार है जिसमें मुंह, चेहरे या श्वसन प्रणाली की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं या उनको हिलाने में कठिनाई होने लगती है।
इस विकार से ग्रस्त लोग आम तौर पर जानते है कि वे क्या कहना चाहते हैं लेकिन वे अपने विचारों को शब्द देकर बाहर निकालने में असफल रहते है। इसके चलते कई बार वे आत्मविश्वास की कमी से भी दो चार होते हैं जो आगे चलकर डिप्रेशन में बदल सकती है।
बोलने में दिक्कत छोटे बच्चों से बड़ों तक किसी को भी हो सकती है। बिना देरी किए समय पर किया गया इलाज इस स्थिति को ठीक कर सकता है।
(और पढ़ें - मांसपेशियों की कमजोरी का इलाज)