डिस्टोनिया क्या है?
डिस्टोनिया मांसपेशियों के हिलने-डुलने संबंधी विकार है, जिसमें मांसपेशियों मे अनैच्छिक रूप से संकुचन होने लगता है। इस संकुचन के परिणामस्वरूप मांसपेशियों में मरोड़ आ जाती है या मांसपेशी एक ही दिशा में बार-बार हिलती है जिसे रिपिटेटिव मूवमेंट कहा जाता है। कभी-कभी यह स्थिति काफी दर्दनाक होती है।
डोस्टोनिया सिर्फ एक मांसपेशी, कई मांसपेशियो को या फिर शरीर की सभी मांसपेशियों को प्रभावित कर सकता है।
(और पढ़ें - मांसपेशियों में दर्द का इलाज)
डिस्टोनिया के लक्षण क्या हैं?
इस रोग में काफी हल्के से काफी गंभीर लक्षण हो सकते हैं। डिस्टोनिया शरीर के कई हिस्सों को प्रभावित कर सकता है और इसके लक्षण अक्सर रोग की स्टेज के अनुसार बढ़ते रहते हैं। डिस्टोनिया के कुछ शुरूआती लक्षण, जैसे:
- चलते हुऐ एक पैर जमीन पर रगड़ना (एक टांग घसीटते हुए चलना)
- पैर में ऐंठन आना (और पढ़ें - पैरों में दर्द का कारण)
- अनैच्छिक रूप से गर्दन हिलना
- अनैच्छिक रूप से पलकें झपकाना
- बोलने में दिक्कत होना
(और पढ़ें - बोलने में दिक्कत का इलाज)
यदि डिस्टोनिया बचपन में होता है, तो उसके लक्षण आमतौर पर सबसे पहले पैर या हाथ में दिखाई देते हैं। उसके बाद इसके लक्षण तेजी से पूरे शरीर में फैल जाते हैं। हालांकि किशोरावस्था के बाद डिस्टोनिया के लक्षण बढ़ने की गति धीरे-धीरे कम होने लग जाती है।
(और पढ़ें - टांगों के दर्द का इलाज)
डिस्टोनिया क्यों होता है?
डिस्टोनिया के सटीक कारण का अभी तक पता नहीं चल पाया है। लेकिन जब शरीर के कुछ हिस्सों में तंत्रिका कोशिकाएं ठीक से संकेत ना भेज पाएं या उनकी संकेत भेजने की क्षमता में किसी प्रकार की खराबी आ जाए तो इस स्थिति के परिणामस्वरूप भी डिस्टोनिया विकसित हो सकता है। डिस्टोनिया के कुछ प्रकार आनुवंशिक भी होते हैं।
डिस्टोनिया किसी अन्य मेडिकल समस्या या रोग के लक्षणों के रूप में भी विकसित हो सकता है, जैसे:
- पार्किंसन रोग
- हनटिंग्टन रोग
- विल्सन रोग
- मस्तिष्क में चोट लगना
- जन्म के दौरान शिशु को किसी प्रकार की चोट लगना
- स्ट्रोक
(और पढ़ें - स्ट्रोक होने पर क्या करना चाहिए)
डिस्टोनिया का इलाज कैसे किया जाता है?
इलाज की मदद से डिस्टोनिया के लक्षणों को शांत किया जा सकता है। डिस्टोनिया के इलाज का चुनाव उसके प्रकार के अनुसार किया जाता है।
इसके इलाज के मुख्य प्रकार कुछ इस प्रकार हैं:
- प्रभावित मांसपेशी में बोटुलिनम दवा का इंजेक्शन लगाया जाता है। हर तीन महीनों में एक बार इस इंजेक्शन को लगाया जाता है।
- शरीर की किसी मांसपेशी या किसी भाग को रिलेक्स (शिथिल) करने के लिए दवाई देना, इस दवा को टेबलेट या इंजेक्शन के रूप में दिया जा सकता है।
- डिस्टोनिया का इलाज करने के लिए एक ऑपरेशन भी किया जा सकता है, जिसे डीप ब्रेन स्टीमुलेशन कहा जाता है।
(और पढ़ें - मांसपेशियों में दर्द के घरेलू उपाय)