वातस्फीति क्या है?
वातस्फीति फेफड़ों से संबंधित एक स्थिति होती है जिसके कारण सांस फूलने लगती है। अंग्रेजी में इस रोग को एम्फसीमा (Emphysema) के नाम से जाना जाता है। जो लोग वातस्फीति से ग्रस्त होते हैं उनके फेफड़ों की हवा की थैलियां यानि कि एल्वियोली (Alveoli) क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। समय के साथ-साथ इन थैलियों की अंदरूनी दीवार क्षतिग्रस्त होने लगती हैं और फिर फट जाती है। जिससे कई छोटी-छोटी थैलियों की जगह हवा की एक बड़ी थैली बन जाती है। इस स्थिति में फेफड़ों की सतह का क्षेत्र कम हो जाता है जिस कारण से आपके खून में पहुंचने वाली ऑक्सीजन की मात्रा भी कम हो जाती है।
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वातस्फीति से ग्रस्त लोग जब सांस छोड़ते हैं तो उनके फेफड़ों की क्षतिग्रस्त थैलियों में पुरानी हवा फंसी रह जाती है जिससे नई और ऑक्सीजन युक्त हवा उनमें प्रवेश नहीं कर पाती।
वातस्फीति से ग्रस्त ज्यादातर लोगों को क्रोनिक ब्रोंकाइटिस भी होता है। क्रोनिक ब्रोंकाइटिस में फेफड़ों तक हवा पहुंचाने वाली नलियों (श्वसन नलियां) में सूजन, लालिमा व जलन हो जाती है, जिससे गंभीर खांसी पैदा हो जाती है।
एम्फसीमा और क्रोनिक ब्रोंकाइटिस ये दो रोग हैं जो मिलकर क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी रोग (COPD) पैदा करते हैं। धूम्रपान करना सीओपीडी पैदा करने वाले मुख्य कारणों में से एक है। इलाज की मदद से सीओपीडी के बढ़ने की गति को कम किया जा सकता है लेकिन इसके कारण हुई क्षति को कम नहीं किया जा सकता है।
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