एंटेरोवायरस डी68 एक वायरस है जिसमें पीड़ित को सामान्य सर्दी-जुकाम का अनुभव होता है। अगर व्यक्ति वायरस से गंभीर रूप से ग्रसित है तो उसे घरघराहट की समस्या हो सकती है और सांस लेने में परेशानी हो सकती है, खासकर तब अगर रोगी पहले से ही अस्थमा या श्वसन संबंधी अन्य बीमारियों से पीड़ित हो। वैसे तो एंटेरोवायरस डी68 से संबंधित अधिकांश मामले हल्के लक्षणों वाले ही होते हैं जो करीब एक सप्ताह तक बने रहते हैं। लेकिन गंभीर मामलों में मरीज को अस्पताल में भर्ती होना पड़ सकता है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मानें तो नवजात शिशु, बच्चे और किशोरों को इस वायरस का सबसे अधिक खतरा होता है। वहीं दूसरी ओर वे लोग जिनका इम्यून सिस्टम कमजोर है या फिर वे लोग जो पहले से किसी क्रॉनिक (लंबे समय तक रहने वाली) बीमारी से पीड़ित हैं उनमें भी एंटेरोवायरस डी68 से जुड़ी गंभीर जटिलताएं होने का खतरा अधिक होता है।
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हालांकि यह कोई नया वायरस नहीं है। वैज्ञानिकों ने पहली बार 1962 में एंटेरोवायरस डी68 की पहचान की थी। तब से लेकर इतने सालों में इस वायरस ने बहुत कम संख्या में लोगों को संक्रमित किया है। लेकिन साल 2014 में अमेरिकी एजेंसी सीडीसी ने अमेरिका में इस वायरस की वजह से नैशनल आउटब्रेक होने की जानकारी दी थी।