इसीनोफिलिया माएल्जिया सिंड्रोम (सफेद रक्त कोशिका का असामान्य रूप से बढ़ना) - Eosinophilia Myalgia Syndrome in Hindi

Dr. Nadheer K M (AIIMS)MBBS

December 02, 2019

March 06, 2020

इसीनोफिलिया माएल्जिया सिंड्रोम
इसीनोफिलिया माएल्जिया सिंड्रोम

इसीनोफिलिया माएल्जिया सिंड्रोम क्या है?

इसीनोफिलिया माएल्जिया सिंड्रोम एक दुर्लभ विकार है। इस बीमारी में ऊतकों में ब्लड इओसिनोफिल्स (एक प्रकार की सफेद रक्त कोशिका) तेजी से बढ़ने लगते हैं और यह स्थिति माएल्जिया (मांसपेशियों में दर्द) का रूप ले लेती है। इस स्थिति को इओसिनोफिलिया माएल्जिया सिंड्रोम (ईएमएस) कहा जाता है। इसके लक्षण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भिन्न हो सकते हैं। यदि सामान्य लक्षणों की बात की जाए, तो इसमें मांसपेशियों में दर्द, कमजोरी, ऐंठन, त्वचा पर चकत्ते, सांस लेने में दिक्कत और थकान शामिल हैं। इसीनोफिलिया माएल्जिया सिंड्रोम संभावित रूप से गंभीर स्थिति, विकलांगता व मृत्यु का कारण भी बन सकता है।
अक्टूबर 1989 में न्यू मैक्सिको में इस बीमारी का पहला मामला सामने आया था, डॉक्टरों ने तीन महिलाओं में इस बीमारी के लक्षणों को पहचाना और खास बात यह रही कि तीनों ने बीमारी की शुरुआत से पहले एल-ट्रिप्टोफैन की खुराक का सेवन किया था। एल-ट्रिप्टोफैन एक जरूरी एमिनो एसिड है, जो विभिन्न खाद्य पदार्थों में पाया जाता है। इसके अलावा एल-ट्रिप्टोफैन को सप्लीमेंट के रूप में भी लिया जा सकता है।
इन तीनों रोगियों के लक्षणों को स्थानीय समाचार मीडिया द्वारा प्रचारित किया गया था और इसके तुरंत बाद, संयुक्त राज्य अमेरिका और कई अन्य देशों में इस बीमारी के अन्य मामलों की भी पहचान की गई थी। 11 नवंबर, 1989 को, अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने देशभर में एक चेतावनी जारी करके बताया कि उपभोक्ताओं को ऐसे खाद्य उत्पादों के सेवन से बचना चाहिए, जिसमें अप्राकृतिक रूप से एल-ट्रिप्टोफैन मौजूद हो। 

इसीनोफिलिया माएल्जिया सिंड्रोम के लक्षण

इसीनोफिलिया माएल्जिया सिंड्रोम के कारण

मांसपेशियों, त्वचा व फेफड़ों सहित शरीर के विभिन्न हिस्सों में सूजन आना। प्रभावित व्यक्ति के शरीर में विभिन्न ऊतकों में इसीनोफिल नामक कुछ सफेद रक्त कोशिकाओं का स्तर बढ़ जाता है। इस स्थिति को इसीनोफिलिया भी कहते हैं। 

इसीनोफिलिया माएल्जिया सिंड्रोम का इलाज

ईएमएस एक ऐसी बीमारी है, जो लंबे समय तक प्रभावित करती है, लेकिन इसका कोई इलाज नहीं है। इसलिए इस बीमारी के लक्षणों को कम करने पर ध्यान दिया जाता है। ईएमएस से ग्रस्त लोगों में मांसपेशियों को राहत देने वाली और दर्द निवारक दवाएं दी जाती हैं। ऐसे में प्रेडनिसोन का सेवन कुछ मरीजों में फायदेमंद हो सकता है, लेकिन सभी पर इसका असर एक जैसा नहीं रहता है।

इस बीमारी के शुरुआती चरण के दौरान पाचन व हृदय संबंधी समस्याएं होने की संभावना अधिक होती है। ईएमएस को कभी-कभी गलती से फाइब्रोमायल्जिया ( मांसपेशियों और हड्डियों में दर्द होना), क्रोनिक फेटीग सिंड्रोम (बहुत ज्यादा थकान होना), ल्यूपस एरिथेमेटोसस (खून में असामान्य रूप से ऑटोएंटीबॉडीज का उत्पादन होना) या आर्थराइटिस (जोड़ों की सूजन) समझ लिया जाता है। ऐसे में लक्षणों को देखकर आसानी से तय नहीं किया जा सकता कि कोई व्यक्ति इसीनोफिलिया माएल्जिया सिंड्रोम से ग्रस्त है या नहीं।

प्रभावित व्यक्ति को समय पर लक्षणों को पहचान कर डॉक्टर के पास इलाज करवाने जाना चाहिए। इससे बीमारी को बढ़ने से रोका जा सकता और मरीज को कई तरह की समस्याओं से बचाया जा सकता है।



इसीनोफिलिया माएल्जिया सिंड्रोम (सफेद रक्त कोशिका का असामान्य रूप से बढ़ना) के डॉक्टर

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