एरिथ्रोपोएटिक प्रोटोपोरफाइरिया (ईपीपी) क्या है?
एरिथ्रोपोएटिक प्रोटोपोरफाइरिया (ईपीपी) बच्चों में होने वाला सबसे सामान्य पोरफाइरिया है (कई अनुवांशिक रक्त विकारों का समूह, जिसमें खून में हिमोग्लोबिन का तत्व हिमी नहीं बन पाता) है। पोरफाइरिया तब होता है जब शरीर में हिमी का निर्माण सही से नहीं हो पाता है। हिमी लाल रक्त कोशिकाओं में ऑक्सीजन ले जाने में मदद करने के साथ-साथ लिवर में रासायनिक यौगिकों को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ने के लिए जरूरी है। यह बीमारी अस्थि मज्जा, लाल रक्त कोशिकाओं, ब्लड प्लाज्मा, त्वचा और लिवर में प्रोटोपोरफिरन के निर्माण के कारण होती है।
एरिथ्रोपोएटिक प्रोटोपोरफाइरिया के लक्षण
एरिथ्रोपोएटिक प्रोटोपोरफाइरिया और एक्स-लिंक्ड प्रोटोपोरफाइरिया का सबसे सामान्य लक्षण सूर्य के प्रकाश के संपर्क में आने पर तेज दर्द होना है। हालांकि कुछ रोगियों में कुछ प्रकार के कृत्रिम प्रकाश (आर्टिफिशियल लाइट्स जैसे बल्ब, सीएफएल, स्ट्रीट लाइट्स इत्यादि) के संपर्क में आने पर भी दर्द हो सकता है। जब त्वचा धूप के संपर्क में आती है, तो रोगी को त्वचा पर झुनझुनी, खुजली और / या जलन का एहसास होता है। ये लक्षण चेतावनी संकेत की तरह होते हैं।
एरिथ्रोपोएटिक प्रोटोपोरफाइरिया के कारण
एरिथ्रोपोएटिक प्रोटोपोरफाइरिया एफईसीएच नामक जीन में गड़बड़ी के कारण होता है। कई मामलों में फेर्रोकेलिटिस (एफईसीएच) जीन में गड़बड़ी की वजह से ईपीपी होता है। प्रोटोपोरफाइरिया का अन्य प्रकार डेल्टा-अमीनोलेवुलिनिक एसिड सिंथेज -2 (ALAS2) जीन में गड़बड़ी के कारण होता है, जिसे एक्स-लिंक्ड प्रोटोपोरफाइरिया (एक्सएलपी) के रूप में भी जाना जाता है। पुरुषों में एक्सएलपी के अमूमन सभी लक्षण एरिथ्रोपोएटिक प्रोटोपोरफाइरिया के समान होते हैं, लेकिन ईपीपी की तुलना में इससे लिवर रोग होने का अधिक खतरा रहता है।
एरिथ्रोपोएटिक प्रोटोपोरफाइरिया का निदान
आनुवंशिक या दुर्लभ बीमारी का निदान करना काफी चुनौतीपूर्ण होता है। डॉक्टर आमतौर पर निदान के लिए व्यक्ति की मेडिकल हिस्ट्री, बीमारी के लक्षण, शारीरिक परीक्षण और लैब टेस्ट करवाते हैं।