फैब्री रोग क्या है?
फैब्री रोग एक अनुवांशिक बीमारी है। इसके कई अलग-अलग लक्षण हो सकते हैं, जिसमें हाथ और पैर में दर्द व विशेष प्रकार के चकत्ते शामिल हैं। जब यह बीमारी किसी व्यक्ति को होती है, तो शरीर में एक प्रकार का वसायुक्त पदार्थ शरीर में जमने लगता है, जिसे ग्लोबोट्रायोसेलेराइड कहा जाता है। यह रक्त वाहिकाओं को पतला (संकीर्ण) कर देता है, जिससे त्वचा, किडनी, हृदय, मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र को नुकसान पहुंच सकता है। फैब्री बीमारी को "स्टोरेज डिसऑर्डर" भी कहा जाता है। आमतौर पर इस बीमारी की शुरुआत बचपन में ही हो जाती है और महिलाओं की तुलना में यह बीमारी पुरुषों में ज्यादा होती है। हालांकि इस बीमारी का इलाज संभव है और इलाज के दौरान प्रभावित व्यक्ति दिन-ब-दिन बेहतर महसूस कर सकता है।
फैब्री बीमारी के लक्षण
इस बीमारी के निम्न लक्षण हैं:
- हाथ-पैर में दर्द और जलन, जो व्यायाम करने, बुखार और गर्म वातावरण या थकान की स्थिति में बदतर हो जाती है।
- घुटनों और नाभि के बीच छोटे, गहरे लाल धब्बे
- धुंधला दिखना
- बहरापन
- कान बजना (कान में घंटी बजने की आवाज आना)
- सामान्य से कम पसीना आना
- खाने के ठीक बाद पेट दर्द, मल त्याग करने की इच्छा होना
फैब्री बीमारी पुरुषों में अधिक गंभीर समस्याएं पैदा कर सकती है जैसे:
- हार्ट अटैक या स्ट्रोक की अधिक संभावना
- गुर्दे से जुड़ी गंभीर समस्याएं, जिसमें किडनी फेल होना भी शामिल है
फैब्री बीमारी के कारण
यह बीमारी माता-पिता से जीन के माध्यम से बच्चों में आती है। इस बीमारी में परेशान करने वाली बात यह है कि शरीर अल्फा-गैलेक्टोसिडेज ए नामक एंजाइम नहीं बना पाता है। यह एंजाइम शरीर के लिए बहुत जरूरी है क्योंकि यह शरीर में तेल, वैक्स और फैटी एसिड जैसे वसायुक्त पदार्थों को जमने नहीं देता है। जब कोई व्यक्ति इस बीमारी से ग्रसित होता है, तो इसके दो कारण हो सकते हैं - या तो जन्म से ही उस व्यक्ति में यह एंजाइम नहीं है या फिर उसके शरीर में वह एंजाइम सही तरीके से काम नहीं कर पा रहा है। ऐसा जीएलए नामक जीन में गड़बड़ी के कारण होता है।
फैब्री बीमारी का इलाज
इस बीमारी के इलाज के लिए दो विकल्प उपलब्ध हैं जिसमें से एक एंजाइम रिप्लेसमेंट थेरेपी (ईआरटी) है। इस थेरेपी से उस एंजाइम को बदल दिया जाता है जो शरीर में नहीं बन पा रहा है या सही ढंग से काम नहीं कर पा रहा है। यह शरीर को फैटी पदार्थों को तोड़ने में मदद करने के साथ-साथ उन्हें ठीक तरह से काम करने देता है। इसके अलावा यह दर्द और अन्य लक्षणों को कम करने में भी मददगार है। इसके लिए मरीज को डॉक्टर के पास जाकर हर हफ्ते एंजाइम का इंजेक्शन लगवाना होगा।
दूसरा और नया विकल्प माइगलास्टैट (गैलाफोल्ड) दवा है। यह ईआरटी से भिन्न है, यह उन एंजाइमों को संतुलित करने का काम करता है जो ठीक तरह से काम नहीं कर पा रहे हैं। यह शरीर के अंगों पर रोग के प्रभाव को कम करने में भी मदद कर सकता है। डॉक्टर आपको निम्न सुझाव दे सकते हैं:
- दर्द से राहत पाने के लिए दवाएं (डॉक्टर की सलाह या बिना सलाह के दोनों)
- पेट के रोग की दवा
- अनियमित दिल की धड़कन या हृदय से जुड़ी अन्य समस्याओं के लिए खून को पतला करने वाली दवा या अन्य दवाइयां
- बीपी की दवा, जो किडनी के लिए भी फायदेमंद है