पैर का पंजा न हिलना - Foot Drop in Hindi

Dr. Nadheer K M (AIIMS)MBBS

September 09, 2020

September 16, 2020

पैर का पंजा न हिलना
पैर का पंजा न हिलना

फुट ड्रॉप क्या है?

पैर के अगले हिस्से को उठा न पाने की स्थिति को मेडिकल भाषा में “फुट ड्रॉप” या “ड्रॉप फुट” कहा जाता है। यह समस्या होने पर व्यक्ति चलने के दौरान उसके पैर का अंगूठा व उंगलियां जमीन से घसीटते हुए चलता है।

फुट ड्रॉप कोई रोग नहीं है, बल्कि यह किसी नस, मांसपेशियां या शारीरिक संरचना से संबंधित समस्या से होने वाला एक लक्षण है। फुट ड्रॉप वैसे तो कुछ समय के लिए होता है, जबकि कुछ दुर्लभ मामलों में यह स्थायी रूप से भी हो सकता है।

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फुट ड्रॉप के लक्षण - Foot Drop Symptoms in Hindi

पैर के अगले हिस्से को बिल्कुल न उठा पाना या फिर सामान्य के मुकाबले बहुत कम उठा पाना ही फुट ड्रॉप का सबसे मुख्य लक्षण है। उदाहरण के लिए चलने के दौरान जब पैर को उठाकर आगे ले जाया जाता है, तो उस दौरान पैर का अगला हिस्सा पूरी तरह से ऊपर नहीं उठ पाता है। 

ड्रॉप फुट की समस्या में आमतौर पर देखे जाने वाले लक्षणों में निम्न शामिल हैं -

  • पैर में चप्पल न रख पाना -
    फुट ड्रॉप में पहनी हुई चप्पल ढीली महसूस होना और बार-बार निकलना।
     
  • पैर में झटका लगना -
    पैर की मांसपेशियां कमजोर होने के कारण बार-बार पैर में झटका लगना।
     
  • गिरना -
    फुट ड्रॉप में बार-बार गिरना, शरीर का संतुलन बिगड़ना या ठोकर लगना काफी आम हो जाता है। ऐसा आमतौर पर पैर का अगला हिस्सा पूरी तरह से न उठा पाने के कारण होता है।
     
  • चलते समय टांग को अधिक उठाना -
    पैर का अगला हिस्सा उठ न पाने के कारण चलते समय टांग को अधिक ऊपर उठाना पड़ता है, जैसा सीढ़ियां चढ़ने के दौरान होता है।
     
  • पैर घुमा कर रखना -
    ड्रॉप फुट से पीड़ित व्यक्ति चलते समय पंजे को जमीन से टकराने के बचाने के लिए पैर को घुमाकर रखने की कोशिश करता है। इस दौरान वह पंजे से पहले एड़ी रखने की कोशिश करता है।
     
  • सुन्न होना -
    फुट ड्रॉप में पैर का सिर्फ अगला हिस्सा ही सुन्न महसूस नहीं होता है, बल्कि पिंडली के कुछ हिस्से भी सुन्न हो जाते हैं।
     
  • एक तरफ झुकाव रहना -
    ड्रॉप फुट के कारण अधिकतर मामलों में सिर्फ एक तरफ का पैर ही प्रभावित होता है। ऐसा आमतौर पर नस पर नस चढ़ने से संबंधित मामलों में होता है।
     
  • मांसपेशी कमजोर पड़ना -
    यदि फुटड्रॉप मल्टीपल स्क्लेरोसिस या किसी अन्य ऑटोइम्यून समस्या के कारण हुआ है, तो प्रभावित पैर की मांसपेशियों में कमजोरी आ जाती है।
     
  • बिना सहारे के खड़े न रह पाना -
    फुट ड्रॉप के कुछ गंभीर मामलों में व्यक्ति कुछ देर तक खड़ा नहीं रह पाता है। ऐसा करने के लिए उसे किसी लकड़ी या अन्य किसी वस्तु के सहारे की जरूरत पड़ती है।

फुट ड्रॉप के लिए ऊपर बताए गए सभी लक्षण कुछ लोगों को लगातार जबकि कुछ लोगों को थोड़े-थोड़े समय के लिए महसूस होते रहते हैं। कई बार फुट ड्रॉप से पीड़ित व्यक्ति को बीच-बीच में लक्षण महसूस होने बंद हो जाते हैं।

डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?

यदि आपके पैर का पंजा कमजोर महसूस हो रहा है या आप उस पैर की उंगलियों को हिला नहीं पा रहे हैं, तो इस बारे में डॉक्टर से सलाह ले लेनी चाहिए। इसके अलावा ऊपरोक्त में से कोई भी लक्षण महसूस हो रहा है, तो भी डॉक्टर से इस बारे में बात कर लेनी चाहिए।

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फुट ड्रॉप के कारण व जोखिम कारक - Foot Drop Causes & Risk Factor in Hindi

व्यक्ति के स्वास्थ्य व शारीरिक संरचना के अनुसार फुट ड्रॉप के कई अलग-अलग लक्षण हो सकते हैं। हालांकि, पैर के पंजे को उठाने वाली मांसपेशियो में कमजोरी या लकवा होना फुट ड्रॉप का सबसे मुख्य कारण माना जाता है, जिनमें निम्न शामिल हैं -

  • नस पर चोट लगना -
    यदि टांग में मौजूद उस नस पर चोट लग गई है, जो पैर के अगले हिस्से को हिलाने-ढुलाने का काम करती है, तो फुट ड्रॉप हो सकता है। यह नस कूल्हे या घुटने की हड्डी की सर्जरी के दौरान भी क्षतिग्रस्त हो सकती है।
     
  • नस के सिरे क्षतिग्रस्त होना -
    यदि किसी व्यक्ति को रीढ़ की हड्डी से जुड़ा कोई विकार है, तो उनकी रीढ़ की हड्डी में उनकी नस दब जाती है और परिणामस्वरूप ड्रॉप फुट जैसी समस्याएं होने लग जाती है।
     
  • मांसपेशियों या नसों संबंधी विकार -
    मांसपेशियां नष्ट होने से संबंधी ऐसे कई विकार हैं, जिनमें फुट ड्रॉप की समस्या हो सकती है। इन विकारों को मस्कुलर डिस्ट्रोफी कहा जाता है, जिनमें मांसपेशियां धीरे-धीरे क्षतिग्रस्त होने लगती हैं जैसे पोलियो रोग।
     
  • रीढ़ व मस्तिष्क संबंधी विकार -
    रीढ़ की हड्डी या मस्तिष्क को प्रभावित करने वाले कुछ विकार जैसे एमियोट्रॉफिक लेटरल स्क्लेरोसिस, मल्टीपल स्क्लेरोसिस या स्ट्रोक आदि भी फुट ड्रॉप का कारण बन सकते हैं।

फुट ड्रॉप होने का खतरा कब बढ़ता है?

पैर के पंजे को उठाने में मदद करने वाली मुख्य नस को पेरोनियल नर्व कहा जाता है। यह नस त्वचा की ऊपरी सतह में ही होती है और घुटने के बाहरी तरफ से निकली होती है, जो हिस्सा हाथ के करीब होता है। कुछ ऐसी गतिविधियां, जिनके कारण नस पर दबाव पड़ता है, वे फुट ड्रॉप का कारण बन सकती हैं उदाहरण के लिए - 

  • टांगों के आर-पार करना -
    कुछ लोगों को टांगों को आर-पार करके (क्रॉसिंग लेग) बैठने की आदत होती है। लंबे समय से इस अवस्था में बैठने से पेरोनियल नस पर दबाव पड़ता है।
     
  • लंबे समय तक घुटनों के बल खड़े रहना -
    यदि आप लंबे समय से कोई ऐसा काम कर रहे हैं, जिनमें आपको लंबे समय तक घुटनों के बल खड़ा होना पड़ रहा है, तो भी पेरोनियल नस पर दबाव पड़ता है और फुट ड्रॉप हो जाता है।
  • टांग या घुटने पर प्लास्टर -
    लंबे समय तक घुटने या टखने पर प्लास्टर रहने के कारण भी पेरोनियल नस दब जाती है, जिस कारण से ड्रॉप फुट रोग हो सकता है।

(और पढ़ें - घुटनों में दर्द के लक्षण)

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फुट ड्रॉप से बचाव - Prevention of Foot Drop in Hindi

यदि फुट ड्रॉप पहले से हो गया है, तो फिर घरेलू तरीके से रोकथाम नहीं की जा सकती है। हालांकि, जीवनशैली में कुछ बदलाव करके यह समस्या होने से रोकथाम की जा सकती है।

गिरने या फिसलने पर फुट ड्रॉप होने का खतरा सबसे अधिक रहता है, इसलिए निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए -

  • फर्श को साफ रखने और किसी सामान को रास्ते के बीच में पड़ा न रहने दें
  • चटाई आदि का इस्तेमाल न करें
  • रास्ते से रस्सी या बिजली की तारों को हटा दें
  • सीढ़ियों या फिसलन आदि वाले स्थानों पर फ्लोरसेंट टेप लगाएं

(और पढ़ें - सुस्त जीवनशैली के नुकसान)

फुट ड्रॉप का परीक्षण - Diagnosis of Foot Drop in Hindi

फुट ड्रॉप का परीक्षण करने के लिए डॉक्टर मरीज का शारीरिक परीक्षण करते हैं और मरीज से उसके लक्षणों संबंधी कुछ सवाल पूछते हैं। डॉक्टर परीक्षण के दौरान यह भी जांच कर सकते हैं कि आप किस तरह से चल पा रहे हैं। साथ ही डॉक्टर आपकी टांग की मांसपेशियों को छूकर देख सकते हैं, ताकि किसी प्रकार की कमजोरी आदि का पता लगाया जा सके।

परीक्षण के दौरान कुछ इमेजिंग स्कैन किए जाते हैं, जिनमें मुख्य रूप से एक्स रे, अल्ट्रासाउंड, एमआरआई स्कैन और सीटी स्कैन शामिल हैं। इन परीक्षणों की मदद से टांग, रीढ़ की हड्डी और मस्तिष्क में किसी प्रकार की चोट आदि की जांच की जाती है। साथ ही कुछ प्रकार के ब्लड टेस्ट भी किए जाते हैं, जिनकी मदद से यह पता लगाया जाता है कि नस ठीक से काम कर रही है या नहीं। इलेक्ट्रोमायोग्राफी टेस्ट की मदद से नसों में विद्युत गतिविधियों का पता लगाया जाता है, जिनसे पता चलता है कि नसें कितने अच्छे से संदेशों का आदान-प्रदान कर रही हैं।

फुट ड्रॉप का इलाज - Foot Drop Treatment in Hindi

ड्रॉप फुट का इलाज मुख्य रूप से उसके अंदरूनी कारण पर निर्भर करता है। यदि इसका कारण बनने वाली स्थिति का सफलतापूर्वक इलाज हो जाए, तो यह स्थिति भी कुछ हद तक या पूरी तरह से ठीक हो जाती है। यदि ड्रॉप फुट के कारण का इलाज न हो पाए तो फुट ड्रॉप की समस्या स्थायी भी हो सकती है।

फुट ड्रॉप के इलाज में निम्न शामिल हो सकते हैं -

  • ब्रेसिस या स्प्लिंट -
    ब्रेसिस व स्प्लिंट दोनों ऐसे विशेष उपकरण होते हैं, जिनकी मदद से फुट ड्रॉप से प्रभावित पैर को पर्याप्त सहारा दिया जाता है। इनकी मदद से स्थिति को और बदतर होने से रोका जा सकता है साथ ही लक्षणों को धीरे-धीरे कंट्रोल कर लिया जाता है।
     
  • फीजिकल थेरेपी -
    इसे शारीरिक थेरेपी भी कहा जाता है, इसमें मरीज से उसकी समस्या के अनुसार कुछ विशेष, एक्सरसाइज करवाई जाती हैं, जिनसे पैर के हिलने-ढुलने व अन्य गतिविधियों में सुधार किया जाता है। शारीरिक थेरेपी की मदद से टखने और पैर के पंजे संबंधी समस्याएं ठीक होने लगती है और चाल में भी सुधार होता है। इसमें स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज भी करवाई जाती है, जिसकी मदद से एड़ी में अकड़न का भी इलाज हो जाता है।
     
  • नर्व स्टिमुलेशन -
    यह तंत्रिकाओं में उत्तेजना पैदा करने वाली एक प्रक्रिया होती है, जिनकी मदद से नसों के कार्य करने की प्रक्रिया में सुधार हो जाता है। नर्व स्टिमुलेशन प्रक्रिया से कई बार फुट ड्रॉप के लक्षणों में काफी हद तक सुधार हो जाता है।
     
  • सर्जरी -
    ड्रॉप फुट के कारण पर निर्भर करते हुए यदि आपको हाल ही में फुट ड्रॉप की समस्या हुई है, तो डॉक्टर सर्जरी करने पर विचार कर सकते हैं। यदि ड्रॉप फुट लंबे समय से हो रहा है, तो भी डॉक्टर टखने या पैर के पंजे की हड्डियों की सर्जरी कर सकते हैं। इस सर्जरी की मदद से प्रभावित हिस्से में एक स्वस्थ मांसपेशी और टेंडन को लगा दिया जाता है।

इसके अलावा फुट ड्रॉप में यदि कुछ अन्य लक्षण भी महसूस हो रहे हैं, तो उनके अनुसार दवाएं दी जाती हैं। उदाहरण के लिए दर्द के लिए दर्द निवारक दवाएं, सूजन व लालिमा को कम करने के लिए एंटी इन्फ्लामेटरी दवाएं आदि दी जाती हैं।

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फुट ड्रॉप की जटिलताएं - Foot Drop Complications in Hindi

पैर को ठीक से उठा न पाने के कारण कई समस्याएं हो सकती हैं। ऐसे में व्यक्ति रोजाना के कई सामान्य कार्य नहीं कर पाता है, जैसे घूमना, फिरना, ऑफिस या स्कूल जाना और चप्पल आदि पहन के रखने में कठिनाई। फुट ड्रॉप के कारण बार-बार गिरने या फिसलने आदि का खतरा भी अधिक रहता है।

(और पढ़ें - चलने में कठिनाई)



पैर का पंजा न हिलना की ओटीसी दवा - OTC Medicines for Foot Drop in Hindi

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