फ्राइन्स सिंड्रोम एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर के कई हिस्सों का विकास प्रभावित हो जाता है। इससे ग्रस्त व्यक्तियों में संकेत और लक्षण व्यापक रूप से अलग अलग हो सकते हैं। फ्राइन्स सिंड्रोम वाले कई लोगों में डायफ्राम से संबंधित समस्या हो सकती है जैसे कंजेनिटल डायफ्रामिक हर्निया, जो कि एक जन्मजात स्थिति है, जिसमें पैदा होने के समय से डायफ्राम में छेद होता है। बता दें, डायफ्राम एक ऐसी मांसपेशी है जो सीने और पेट के बीच होती है। जब इसमें छेद होता है तो ्पेट और आंत के ऊपर छाती तक आने का खतरा बना रहता है जिसकी वजह से फेफड़ों का रोग पल्मोनरी हाइपोप्लेसिया (फेफड़ों का सही से विकसित ना होना) होने का खतरा बना रहता है। ऐसे में नवजात को सांस लेने में कठिनाई होती है, जिस कारण इस दुर्लभ बीमारी से पीड़ित नवजात चार हफ्ते से ज्यादा जिंदा नहीं बच पाते हैं।
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