गैंग्रीन - Gangrene in Hindi

Dr. Ajay Mohan (AIIMS)MBBS

January 06, 2019

February 03, 2024

गैंग्रीन
गैंग्रीन

परिचय

गैंग्रीन एक स्थिति है, जिसमें शरीर के ऊतक नष्ट होने लग जाते हैं। यह मुख्य रूप से चोट, इन्फेक्शन या किसी अन्य समस्या के कारण शरीर के किसी भाग में खून ना जा पाने के कारण होता है। गैंग्रीन त्वचा के ऊपरी हिस्से या त्वचा के अंदर भी विकसित हो सकता है और इसके अलावा मांसपेशियों व शरीर के अंदरुनी अंगों में भी हो जाता है। इसके लक्षणों में त्वचा नीले रंग या काले रंग की हो जाना, दर्द होना, सुन्न हो जाना और त्वचा से बदबूदार द्रव बहना आदि शामिल है। 

गैंग्रीन का परीक्षण आमतौर पर स्थिति के लक्षणों के आधार पर किया जाता है। अक्सर कुछ अन्य टेस्ट भी किए जाते हैं, जिनकी मदद से गैंग्रीन के प्रकार और यह कितना फैल चुका है, आदि का पता लगाया जाता है। परीक्षण के दौरान आमतौर पर एक्स रे और एमआरआई टेस्ट करवाने की आवश्यकता पड़ती है। ऐसे काफी उपाय उपलब्ध हैं, जो गैंग्रीन विकसित होने का खतरा कम कर देते हैं।

खून के बहाव को कम कर देने वाली डायबिटीज जैसी स्थितियों से बचाव करना, धूम्रपानशराब छोड़ना आदि उपायों से खून का बहाव कम होने से बचाया जा सकता है। अच्छा व संतुलित आहार लेने और नियमित रूप से एक्सरसाइज करने से भी आपके खून का बहाव स्वस्थ रहता है।

गैंग्रीन के इलाज में प्रभावित व नष्ट हुऐ ऊतकों को निकालना, बढ़ते इन्फेक्शन को रोकना या एंटीबायोटिक से उनका इलाज करना और गैंग्रीन का कारण बनने वाली स्थितियों का इलाज करना शामिल है। कई बार गैंग्रीन बहुत अधिक बढ़ जाता है तो इसे अन्य भागों में बढ़ने से रोकने के लिए प्रभावित अंग को काटना पड़ता है।

(और पढ़ें - मोटापा कम करने के लिए एक्सरसाइज)

गैंग्रीन क्या है - What is Gangrene in Hindi

गैंग्रीन क्या होता है?

जब आपके शरीर के किसी हिस्से मे मौजूद ऊतक मरने लग जाते हैं, तो उस स्थिति को गैंग्रीन कहा जाता है। ऐसा अक्सर तब होता है, जब आपके शरीर के ऊतकों को पर्याप्त मात्रा में खून ना मिल पाए। यह स्थिति शरीर के कुछ विशेष भागों में ही विकसित होती है, जैसे टांग, हाथ या अंदरुनी अंग आदि। स्थिति का जल्द से जल्द पता लगाना और उसका इलाज कर लेने से इससे होने वाले परिणाम में सुधार किया जा सकता है। 

(और पढ़ें - त्वचा रोग का इलाज)

गैंग्रीन के प्रकार - Types of Gangrene in Hindi

गैंग्रीन के कितने प्रकार हैं?

गैंग्रीन मुख्य रूप से तीन प्रकार का होता है:

  • ड्राई गैंग्रीन (सूखा गैंग्रीन):
    ड्राई गैंग्रीन शरीर के बाहरी हिस्से में विकसित होता है। यह अंग तक पर्याप्त मात्रा में खून ना पहुंच पाने के कारण होता है। ड्राई गैंग्रीन आमतौर पर वृद्ध व्यक्तियों के पैरों व उनकी उंगलियों पर विकसित होता है, जिसका कारण आर्टरियोस्क्लेरॉसिस रोग (Arteriosclerosis) है। यह धीरे-धीरे बढ़ता है और उन ऊतकों पर आ कर रुक जाता है, जिनको पर्याप्त मात्रा में खून मिल रहा हो। ड्राई गैंग्रीन से प्रभावित त्वचा सूख कर सिकुड़ जाती है और उसका रंग गहरा लाल-काला हो जाता है।
     
  • वेट गैंग्रीन (नम गैंग्रीन):
    यह नम ऊतकों में होता है, जैसे मुंह, फेफड़े, आंत, सर्विक्स (गर्भाशय ग्रीवा) और वल्वा (Vulva) आदि। कूल्हे व एड़ियों आदि पर होने वाले बेड सोर्स भी वेट गैंग्रीन का एक प्रकार होता है। वेट गैंग्रीन को आमतौर पर कुछ बैक्टीरिया से संबंधित स्थिति माना जाता है। ड्राई गैंग्रीन के मुकाबले सेप्टिसीमिया के कारण इस रोग का निदान मुश्किल होता है। ड्राई गैंग्रीन से प्रभावित हिस्से में खून ठहर जाता है जिससे बैक्टीरिया तेजी से बढ़ने लग जाते हैं। (और पढ़ें - क्लेबसिएल्ला संक्रमण का इलाज)
  • गैस गैंग्रीन:
    यह एक प्रकार का बैक्टीरियल इन्फेक्शन होता है, जो ऊतकों में गैस पैदा कर देता है। यह गैंग्रीन का सबसे गंभीर प्रकार होता है। यह संक्रमण बहुत तेजी से फैलता है, क्योंकि बैक्टीरिया द्वारा पैदा की गई गैस आस-पास स्वस्थ ऊतकों में तेजी घुसने लगती है। इसके आस-पास के ऊतकों में बहुत तेजी से फैलने के कारण इस स्थिति को गंभीरता से लिया जाता है और एक मेडिकल इमर्जेंसी के रूप में इसका इलाज किया जाता है। 

(और पढ़ें - वायरल इन्फेक्शन का इलाज)

गैंग्रीन के लक्षण - Gangrene Symptoms in Hindi

गैंग्रीन के लक्षण क्या हैं?

वेट व ड्राई गैंग्रीन के कुछ मुख्य लक्षण निम्नलिखित हैं:

  • शरीर के प्रभावित हिस्से का रंग खराब हो जाता है और अंत में गहरा काले रंग का बन जाता है और पूरी तरह से सूख जाता है। वेट गैंग्रीन से प्रभावित ऊतकों में सूजन आ जाती है तथा त्वचा से बदबू आने लग जाती है। ड्राई गैंग्रीन में त्वचा पूरी तरह से सूख जाती है और रंग गहरा लाल या काला हो जाता है। गैस गैंग्रीन में काफी बदबू पैदा हो जाती है और ब्राउन रंग का मवाद बनने लगता है। (और पढ़ें - सूजन कम करने के उपाय)
  • त्वचा चमकदार दिखाई देना व पपड़ी उतरना
  • गैंग्रीन से प्रभावित त्वचा व स्वस्थ त्वचा में साफ-साफ अंतर दिखाई देना
  • प्रभावित हिस्से में दर्द होना और कुछ समय के बाद अंग को महसूस ना कर पाना व ना ही हिला पाना।
  • प्रभावित हिस्से की त्वचा ठंडी हो जाती है और उसमें मौजूद धमनियों में कंपन होना बंद हो जाती है।

(और पढ़ें - कोरोनरी आर्टरी डिजीज का इलाज)

डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?

यदि आपके शरीर के किसी हिस्से में लगातार दर्द हो रहा है और उसके कारण का पता नहीं है तो डॉक्टर को दिखा लेना चाहिए। इसके अलावा यदि आपको बुखार, घाव ठीक ना होना या फिर त्वचा के रंग में किसी प्रकार का बदलाव महसूस हो रहा है, तो जितना जल्दी हो सकते डॉक्टर के पास चले जाएं।

(और पढ़ें - घाव भरने के घरेलू उपाय)

गैंग्रीन के कारण व जोखिम कारक - Gangrene Causes & Risk Factors in Hindi

गैंग्रीन क्यों होता है?

खून आपके शरीर को स्वस्थ रखने में एक बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह पूरे शरीर में कोशिकाओं के लिए पोषक तत्व और ऑक्सीजन ही नहीं पहुंचाता बल्कि पूरे शरीर में एंटीबॉडीज पहुंचाता है जो इन्फेक्शन से लड़ते हैं। जब खून शरीर के किसी हिस्से तक ना जा पाए तो वहां की कोशिकाएं नष्ट होने लग जाती है व इन्फेक्शन हो जाता है जिसके परिणामस्वरूप गैंग्रीन से ऊतक नष्ट होने लग जाते हैं। कोई समस्या जो खून के बहाव को प्रभावित करती है, वह गैंग्रीन का जोखिम बढ़ा सकती है। 

गैंग्रीन होने का खतरा कब बढ़ता है?

कुछ शारीरिक स्थितियां व अन्य कारक हैं, जो गैंग्रीन होने का जोखिम बढ़ा देते हैं। कुछ स्थितियां हैं जिससे आपके गैंग्रीन होने के जोखिम बढ़ जाते हैं। इनमें शामिल हैं:

(और पढ़ें - जलने का उपचार)

गैंग्रीन से बचाव - Prevention of Gangrene in Hindi

गैंग्रीन से बचाव कैसे करें?

निम्नलिखित कुछ सुझाव हैं जिनकी मदद से गैंग्रीन विकसित होने का खतरा कम हो सकता है:

  • वजन घटाना:
    मोटापा सिर्फ डायबिटीज होने का ही खतरा नहीं बढ़ाता इसके साथ-साथ धमनियों पर दबाव पड़ना, खून का बहाव कम हो जाना, इन्फेक्शन होने का खतरा बढ़ जाना और घाव भर जाना। (और पढ़ें - वजन कम करने की डाइट)

    क्या आप भी मोटापे से परेशान है लाख कोशिशों के बाद भी वजन काम नहीं कर पा रहे है तो आज ही myUpchar आयुर्वेद मेदारोध वेट लॉस जूस को इस्तेमाल करना शुरू करे और अपने वजन को नियंत्रित करे।
  • धूम्रपान ना करना:
    लंबे समय से तंबाकू के उत्पादों का उपयोग करने से रक्त वाहिकाएं क्षतिग्रस्त होने लग जाती हैं। (और पढ़ें - तंबाकू छोड़ने के आसान उपाय)
     
  • डायबिटीज का ध्यान रखना:
    यदि आपको डायबिटीज है, तो नियमित रूप से अपने हाथों व पैरों की जांच करते रहें ताकि उनमें लगी किसी भी प्रकार की खरोंच, कट या फिर लालिमा, सूजन व द्रव आदि बहने का पता लगाया जा सके। साल में कम से कम एक बार डॉक्टर से अपने हाथों व पैरों की जांच करवाते रहे और अपने शुगर के स्तर को कंट्रोल रखने की कोशिश करें। (और पढ़ें - डायबिटीज के लिए योगासन)

    डायबिटीज का इलाज:निरंतर जाँच करे,myUpchar Ayurveda Madhurodh डायबिटीज टैबलेट का उपयोग करे,स्वस्थ आहार ले, नियमित व्यायाम करे और  स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं और सही दिशा में बढ़ें।
     
  • इन्फेक्शन की रोकथाम करने की कोशिश करें:
    यदि आपकी त्वचा पर किसी प्रकार का घाव बना हुआ है तो उसके किसी हल्की साबुन के साथ धो कर साफ रखना चाहिए। जब तक घाव ठीक नहीं हो जाते उनका ध्यान रखना चाहिए। (और पढ़ें - घाव भरने का उपाय)
     
  • शरीर के तापमान का ध्यान रखना चाहिए:
    शीतदंश से ग्रस्त त्वचा में गैंग्रीन संक्रमण हो सकता है, क्योंकि इससे प्रभावित क्षेत्र में खून का बहाव कम हो जाता है। यदि आपको लगता है कि शरीर का कोई भी हिस्सा कठोर, पीले रंग का व सुन्न हो गया है या फिर अधिक समय से अत्यधिक ठंड या बर्फ के संपर्क में आया हुआ है, तो जल्द से जल्द डॉक्टर की मदद ले लेनी चाहिए। 

(और पढ़ें - वायरल फीवर का उपचार)

गैंग्रीन का परीक्षण - Diagnosis of Gangrene in Hindi

गैंग्रीन का परीक्षण कैसे करें?

इस स्थिति के बारे में पता लगाने के लिए डॉक्टर आपका शारीरिक परीक्षण करेंगे और आपके स्वास्थ्य संबंधी पिछली स्थिति के बारे में पूछेंगे। ऐसा करने से आपकी स्थिति के लक्षणों का पता लगा लिया जाता है और इन्फेक्शन या चोट आदि जैसी स्थिति का भी पता लगया जाता है।

डॉक्टर इस दौरान शरीर में खून का बहाव कम होने पर होने वाले शॉक की जांच भी कर सकते हैं। (और पढ़ें - क्रिएटिनिन टेस्ट क्या है)

यदि डॉक्टर को गैंग्रीन का संदेह है, तो अन्य टेस्ट भी किए जाते हैं। इनकी मदद से गैंग्रीन के प्रकार और वह कितना फैल गया है, आदि की जांच की जाती है। 

गैंग्रीन का की जांच करने के लिए निम्नलिखित टेस्ट किए जा सकते हैं: 

  • एक्स रे:
    ऊतकों में गैस के बुलबुलों का पता लगाने के लिए एक्स रे टेस्ट किया जाता है। (और पढ़ें - एचबीए1सी टेस्ट क्या है)
     
  • इमेजिंग टेस्ट: 
    एमआरआई और सीटी स्कैन की मदद से मांसपेशियों संबंधी समस्याओं का पता लगा लिया जाता है। (और पढ़ें - एचएसजी टेस्ट क्या है)
     
  • बैक्टीरियल कल्चर:
    इसमें किसी भी प्रकार के बैक्टीरियल इन्फेक्शन का पता लगाने के लिए खून टेस्ट, ऊतकों व उनसे निकलने वाले मवाद पर कुछ टेस्ट किए जाते हैं। (और पढ़ें - एसजीपीटी टेस्ट क्या है)
     
  • कम्पलीट ब्लड काउंट:
    संक्रमण का पता लगाने के लिए यह टेस्ट भी किया जा सकता  है। (और पढ़ें - पैप स्मीयर टेस्ट क्या है)
     
  •  
  • बायोप्सी:
    प्रभावित ऊतकों का सेंपल लेने के लिए और त्वचा कहां तक गल चुकी है यह पता लगाने के लिए ऑपरेशन करना पड़ सकता है। इलाज के रूप में बायोप्सी का इस्तेमाल भी किया जा सकता है, जिसकी मदद से नष्ट हुऐ ऊतकों को निकाला जाता है। 

(और पढ़ें - लैब टेस्ट क्या है)

गैंग्रीन का इलाज - Gangrene Treatment in Hindi

गैंग्रीन का इलाज कैसे किया जाता है?

गैंग्रीन के कारण जो ऊतक नष्ट हो चुके हैं, उनको फिर से सामान्य नहीं किया जा सकता लेकिन कुछ उपाय करके बचे हुऐ स्वस्थ ऊतकों में गैंग्रीन होने से बचाव किया जा सकता है। गैंग्रीन की गंभीरता पर निर्भर करते हुऐ आपके डॉक्टर कई अलग-अलग उपचार तरीकों में से कोई एक चुन सकते हैं। 

यदि शरीर के किसी हिस्से में पर्याप्त मात्रा में खून ना पहुंच पाने के कारण गैंग्रीन हुआ है, तो रक्त वाहिकाओं को ठीक करने के लिए ऑपरेशन करना पड़ सकता है। यदि गैंग्रीन किसी प्रकार के संक्रमण के कारण हुआ है, तो उसका इलाज करने के लिए शक्तिशाली एंटीबायोटिक्स दी जाती है और ऑपरेशन का इस्तेमाल भी किया जा सकता है।

(और पढ़ें - सर्जरी से पहले की तैयारी)

ऑपरेशन:
नष्ट हुऐ ऊतकों को निकालने के लिए डॉक्टर सर्जरी कर सकते हैं, ऐसा करने से गैंग्रीन फैलने से रुक जाता है और क्षतिग्रस्त ऊतक ठीक होने लग जाते हैं। यदि संभव होता है तो सर्जरी के दौरान डॉक्टर क्षतिग्रस्त रक्त वाहिकाओं को ठीक कर देते हैं, जिससे प्रभावित क्षेत्र में रक्त का बहाव सुधर जाता है। सभी नष्ट हुऐ ऊतकों को निकालने के लिए कभी-कभी एक से अधिक बार सर्जरी करने की आवश्यकता पड़ सकती है। 

यदि रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी (फिर से जोड़ने की प्रक्रिया) की आवश्यकता पड़ती है, तो डॉक्टर गैंग्रीन के कारण क्षतिग्रस्त हुई त्वचा को ठीक करने के लिए स्किन ग्राफ्ट (Skin Graft) प्रक्रिया का इस्तेमाल करते हैं। स्किन ग्राफ्ट प्रक्रिया में डॉक्टर शरीर के किसी अन्य हिस्से से त्वचा को निकालते हैं और प्रभावित क्षेत्र में उसका प्रत्यारोपण कर देते हैं। त्वचा अक्सर ऐसी जगह से निकाल कर लगाई जाती है, जो कपड़ों के नीचे छिपी रहती है। इस त्वचा को पट्टी बांधकर या टांके आदि लगा कर प्रभावित त्वचा से चिपका दिया जाता है। स्किन ग्राफ्ट सिर्फ तब की जा सकती है जब प्रभावित क्षेत्र में पर्याप्त मात्रा में खून पहुंच रहा हो। 

कुछ गंभीर मामलों में गैंग्रीन जिसमें हाथों या पैरों की उंगली बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो जाती है और सर्जरी की मदद से उसे काटकर शरीर से  अलग करना पड़ता है। कुछ मामलों में क्षतिग्रस्त अंग को निकाल कर कृत्रिम अंग भी लगाया जा सकता है।

(और पढ़ें - एनेस्थीसिया क्या है)

एंटीबायोटिक दवाएं: 
यदि गैंग्रीन किसी प्रकार के संक्रमण के कारण हुआ है या गैंग्रीन से प्रभावित हिस्सा संक्रमित हो गया है, तो उसका इलाज करने के लिए एंटीबायोटिक दवाएं दी जा सकती हैं। एंटीबायोटिक दवाओं को नसों के द्वारा (इंट्रावेनस) या मुंह के द्वारा (ओरल) लिया जा सकता है।

यदि नष्ट हुऐ ऊतकों को निकालने के लिए सर्जरी करवानी पड़ रही है, तो डॉक्टर आपके लिए कुछ एंटीबायोटिक दवाएं लिख सकते हैं। जब तक संक्रमण ठीक नहीं हो जाता डॉक्टर एंटीबायोटिक दवाओं का कोर्स जारी रखने का सुझाव देते हैं। जब तक आप हाइपरबेरिक ऑक्सीजन थेरेपी को पूरा नहीं कर लेते डॉक्टर तब तक आपको एंटीबायोटिक दवाएं लेने को कह सकते हैं।

हाइपरबेरिक ऑक्सीजन थेरेपी:
सर्जरी और एंटीबायोटिक दवाओं के अलावा गैंग्रीन का इलाज करने के लिए हाइपरबेरिक ऑक्सीजन थेरेपी का इस्तेमाल भी किया जा सकता है। इस प्रक्रिया में ऑक्सीजन की मात्रा को बढ़ा दिया जाता है और ऑक्सीजन के स्तर को भी बढ़ा दिया जाता है, ऐसा करने से खून अधिक मात्रा में शरीर के सभी हिस्सों तक ऑक्सीजन पहुंचा पाता है। खून में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ने पर बैक्टीरिया तेजी से नहीं बढ़ पाते हैं, क्योंकि वे ऑक्सीजन की गैर मौजूदगी में ही तेजी से विकसित होते हैं। ऑक्सीजन घाव को जल्दी भरने में भी मदद करती है।

यह थेरेपी करने के लिए आपको एक विशेष मशीन में बैठा या लेटा दिया जाता है। इस मशीन में एक गद्देदार मेज होती है, जो एक ट्यूब में चली जाती है। इस ट्यूब के अंदर बाहरी वातावरण के मुकाबले अधिक मात्रा में प्राकृतिक ऑक्सीजन होती है और ट्यूब के अंदर का वायु दाब भी बाहरी वातावरण के मुकाबले थोड़ा अधिक होता है। गैस गैंग्रीन के लिए हाइपरबेरिक ऑक्सीजन थेरेपी का समय अक्सर 90 मिनट होता है, आपको यह प्रक्रिया एक दिन में कई बार करवानी पड़ सकती है।

(और पढ़ें - स्किन इन्फेक्शन का इलाज)

अन्य इलाज:
रक्त के बहाव को ठीक करने के लिए अक्सर वास्कुलर सर्जरी की जाती है, जिसमें बाईपास सर्जरी और एंजियोग्राफी आदि शामिल हैं। कुछ मामलों में खून के थक्के बनने से बचाव करने के लिए कुछ दवाएं भी लिखी जा सकती हैं। 

गैंग्रीन के अन्य उपचारों में तरल पदार्थ पीना, पोषक तत्वों का सेवन करना और दर्द व तकलीफ से राहत पाने के लिए दवाएं लेना आदि शामिल है।

(और पढ़ें - संतुलित आहार चार्ट)

गैंग्रीन की जटिलताएं - Gangrene Complications in Hindi

गैंग्रीन से क्या जटिलताएं हो सकती हैं?

कई बार बिना कोई गंभीर जटिलता पैदा हुऐ गैंग्रीन का इलाज हो जाता है। ऐसा खासकर तब संभव हो पाता है, जब इस स्थिति का समय रहते पता लग जाता है। हालांकि कुछ गंभीर मामलों में और खासकर जब इसका समय पर पता ना चल पाए तो प्रभावित अंग को कटवाना पड़ सकता है।

प्रभावित अंग को काटने की प्रक्रिया को 'एम्प्युटेशन' कहा जाता है। गंभीर मामलों में जब उंगली या फिर पूरा अंग क्षतिग्रस्त होकर पूरी तरह से नष्ट हो जाता है तथा जब इलाज करने का कोई भी विकल्प नहीं बचता तो ऐसी स्थिति में एम्प्युटेशन की प्रक्रिया अपनायी जाती है यानि उस अंग को काटकर अलग कर दिया जाता है।

एम्प्युटेशन से गैंग्रीन को अन्य अंगों तक फैलने से रोका जा सकता है या फिर पूरी तरह क्षतिग्रस्त अंग को हटा कर उसकी जगह कृत्रिम अंग लगाया जा सकता है।

(और पढ़ें - चर्म रोग के उपाय)



संदर्भ

  1. NHS [Internet]. National Health Services; Overview-- Gangrene
  2. R Paty, et al. Gangrene and Fournier's Gangrene Urol Clin North Am. 1992 Feb;19(1):149-62. PMID: 1736475
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  4. M H Gonzalez. Hand Clin . Necrotizing Fasciitis and Gangrene of the Upper Extremity 1998 Nov;14(4):635-45, ix. PMID: 9884900
  5. Yang, et al. Cochrane Database Syst Rev . 2015 Dec 3;(12):CD010577. PMID: 26631369

गैंग्रीन की ओटीसी दवा - OTC Medicines for Gangrene in Hindi

गैंग्रीन के लिए बहुत दवाइयां उपलब्ध हैं। नीचे यह सारी दवाइयां दी गयी हैं। लेकिन ध्यान रहे कि डॉक्टर से सलाह किये बिना आप कृपया कोई भी दवाई न लें। बिना डॉक्टर की सलाह से दवाई लेने से आपकी सेहत को गंभीर नुक्सान हो सकता है।