गैस्ट्रोपैरेसिस क्या है?
गैस्ट्रोपैरेसिस एक ऐसा विकार है जो तब होता है जब पेट में खाना सामान्य से ज्यादा समय के लिए बना रहता है। यह विकार कई प्रकार के लक्षणों को जन्म दे सकता है, जिसमें मतली, उल्टी, पेट भरा हुआ महसूस करना और पाचन धीरे होना शामिल हैं। इस स्थिति को गैस्ट्रिक गैस्ट्रोपैरेसिस नाम से जाना जाता है।
अगर किसी व्यक्ति को गैस्ट्रोपैरेसिस है, तो उसके पेट की मांसपेशियों की गतिविधियां धीमी हो जाएंगी या बिल्कुल भी काम नहीं करेंगी, जिससे पेट ठीक से खाली नहीं हो पाता है।
गैस्ट्रोपेरेसिस कई कारणों की वजह से हो सकता है। इसके लिए कोई ज्ञात इलाज नहीं है, लेकिन लक्षणों को प्रबंधित किया जा सकता है।
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गैस्ट्रोपैरेसिस के लक्षण क्या हैं?
गैस्ट्रोपैरेसिस के संकेतों में शामिल हैं :
- उल्टी
- जी मिचलाना
- पेट फूलना
- पेट में दर्द
- थोड़ा सा खाने के बाद भी पेट भरा महसूस होना
- कुछ घंटों पहले खाया हुआ खाना उल्टी के रूप में बाहर आ जाना
- सीने में जलन
- ब्लड शुगर के स्तर में बदलाव
- भूख में कमी (और पढ़ें - भूख न लगना)
- वजन में कमी और कुपोषण
गैस्ट्रोपैरेसिस से ग्रसित कई लोगों में संकेत और लक्षण आसानी से नहीं दिखते हैं।
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गैस्ट्रोपैरेसिस का कारण क्या है?
गैस्ट्रोपैरेसिस का कारण हमेशा स्पष्ट नहीं होता है, लेकिन कुछ मामलों में यह तब होता है जब पेट की मांसपेशियों को नियंत्रित करने वाली तंत्रिका को नुकसान पहुंचता है।
गैस्ट्रोपैरिसिस के अन्य कारणों में शामिल हैं :
- सर्जरी से वेगस नामक नस को चोट पहुंचना
- थायराइड हार्मोन की कमी (हाइपोथायरायडिज्म)
- दवाएं जैसे नारकोटिक्स और कुछ एंटीडिप्रेसेंट (अवसाद रोधी)
- पार्किंसंस डिजीज
- मल्टीपल स्क्लेरोसिस
- एमीलॉइडोसिस (ऊतकों और अंगों में प्रोटीन फाइबर का जमाव) और स्क्लेरोडर्मा (संयोजी ऊतक विकार जो त्वचा, रक्त वाहिकाओं, स्केलेटल मांसपेशियों और आंतरिक अंगों को प्रभावित करता है) जैसी दुर्लभ स्थितियां
गैस्ट्रोपैरिसिस का निदान कैसे होता है?
डॉक्टर मरीज के लक्षणों और मेडिकल हिस्ट्री को चेक कर सकते हैं। वे शारीरिक परीक्षण भी कर सकते हैं। इसके अलावा वे निम्नलिखित टेस्ट के लिए भी सुझाव दे सकते हैं :
- ब्लड टेस्ट : ये निर्जलीकरण, कुपोषण, संक्रमण या ब्लड शुगर की समस्याओं की पहचान कर सकता है।
- बेरियम एक्स-रे : बेरियम एक सफेद तरल होता है जो एक्स-रे पर स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। एक बार जब यह शरीर के अंदर जाता है, तो यह अन्नप्रणाली, पेट या आंत की कोटिंग करता है, जिसकी वजह से एक्स-रे पर अंगों को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।
- रेडियोआइसोटोप गैस्ट्रिक-इम्पीटीईंग स्कैन : डॉक्टर आपको भोजन देंगे, जिसमें बहुत कम मात्रा में रेडियोएक्टिव होगा। फिर, आपको एक स्कैनिंग मशीन के नीचे लेटना होगा। यदि खाना खाने के 4 घंटे बाद भी 10% से अधिक भोजन आपके पेट में रहता है, तो आपको गैस्ट्रोपैरिस है।
- गैस्ट्रिक मैनोमेट्री : डॉक्टर मांसपेशियों की गतिविधि की जांच करने के लिए मुंह और पेट में एक पतली ट्यूब डालते हैं और यह पता करते हैं कि आपका पाचन तंत्र कितने स्वस्थ तरीके से काम कर रहा है या नहीं।
- इलेक्ट्रोगैस्ट्रोग्राफी : इसमें त्वचा पर इलेक्ट्रोड का उपयोग करके पेट में विद्युत गतिविधियों को मापा जाता है।
- अल्ट्रासाउंड : यह इमेजिंग टेस्ट अंगों के चित्र बनाने के लिए ध्वनि तरंगों का उपयोग करता है। डॉक्टर इसका इस्तेमाल अन्य बीमारियों की पहचान के लिए भी कर सकते हैं।
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गैस्ट्रोपैरिसिस का इलाज कैसे किया जाता है?
यदि गैस्ट्रोपैरिसिस की समस्या डायबिटीज की वजह से होती है, तो सबसे पहले उस अंतर्निहित स्थिति को नियंत्रित करना होता है। उसके बाद, डॉक्टर कुछ मामलों में दवाओं, आहार में बदलाव और यहां तक कि सर्जरी का सुझाव दे सकते हैं :
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दवाई
गैस्ट्रोपैरिसिस के कारण मतली और उल्टी को नियंत्रित करने के लिए दवाओं में शामिल हैं :
- प्रोक्लोरपर्जिन (कॉम्प्रो)
- आडेंसेट्रॉन (जोफरान)
- प्रोमेथेजीन (फेनर्गन)
अन्य दवाएं पेट की मांसपेशियों को उत्तेजित करती हैं और पाचन में मदद करती हैं। इसमें शामिल है :
- मेटोक्लोप्रमाइड (रीगलन)
- एरिथ्रोमाइसिन (ईईएस)
- डोमपरिडोन (मोटिलिन)
हालांकि, इन दवाओं से साइड इफेक्ट्स भी हो सकता है, ऐसे में डॉक्टर से बिना पूछे इनमें से किसी दवाई का सेवन न करें।
सर्जरी
यदि दवाओं का असर नहीं हो रहा है, तो डॉक्टर पेट की सर्जरी के बारे में विचार कर सकते हैं। गैस्ट्रोपैरिसिस के लिए सर्जरी का लक्ष्य पेट को प्रभावी ढंग से खाली करने में मदद करना है।
आहार में बदलाव
किसी डाईटीशियन यानी आहार विशेषज्ञ से मिलें। वे गैस्ट्रोपैरिसिस में ऐसे खाद्य पदार्थों का सुझाव दे सकते हैं, जिनसे आपका शरीर अधिक पोषक तत्वों को अवशोषित कर सकता है और अधिक आसानी से पचा सकता है। आहार विशेषज्ञ निम्नलिखित सुझाव दे सकते हैं जैसे :
- प्रतिदिन चार से छह बार भोजन करें
- उच्च कैलोरी वाले तरह पदार्थ पिएं
- शराब और कार्बोनेटेड पेय को सीमित करें
- दैनिक रूप से मल्टीविटामिन लें
- मीट और डेयरी उत्पाद को सीमित करें
- अच्छी तरह से पकी हुई सब्जियां और धुले फल खाएं, जिनमें फाइबर की मात्रा कम हो
- ज्यादातर कम वसा वाले खाद्य पदार्थ खाएं
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