हिर्सुटिज्म होने के कई कारण हैं, जिनमें से एक है एंड्रोजन नामक हार्मोन का अधिक मात्रा में होना. इसके अलावा, इंसुलिन का ज्यादा स्तर भी इसका कारण है. आइए, हिर्सुटिज्म के कारणों के बारे में विस्तार से जानते हैं -
एंड्रोजेन हार्मोन
इस हार्मोन के बढ़े हुए स्तर या एंड्रोजन के प्रति हेयर फॉलिकल के ओवर सेंसिटिव होने के कारण हिर्सुटिज्म होने की आशंका रहती है.
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टेस्टोस्टेरोन
यह पुरुषों में पाया जाने वाल सेक्स हार्मोन होता है. जब महिलाओं में टेस्टोस्टेरोन हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है, तो अनचाही जगह पर बालों का विकास तेज गति से होता है.
इंसुलिन का उच्च स्तर
हिर्सुटिज्म का शिकार होने का एक अन्य कारण इंसुलिन का स्तर ज्यादा होना भी है. इंसुलिन का बढ़ा हुआ स्तर ओवेरियन सेल्स को स्टिमूलेट करके एंड्रोजन हार्मोन का निर्माण करता है. यह उन महिलाओं में हो सकता है, जिन्हें मुख्य रूप से टाइप 2 डायबिटीज की समस्या होती है.
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दवाइयां
कुछ दवाएं महिलाओं के शरीर में हार्मोन के स्तर को प्रभावित कर सकती हैं, जिससे उनके चेहरे या शरीर पर अनचाहे बाल उग आते हैं. ऐसा एनाबॉलिक स्टेरॉयड नामक हार्मोन वाली दवा के कारण होता है. इसके अलावा, मिनोक्सिडिल (रोगाइन) नामक दवा के कारण भी हो सकता है.
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पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस)
यह स्थिति अक्सर यौवन अवस्था में शुरू होती है और इसमें महिलाओं में सेक्स हार्मोन का संतुलन बिगड़ जाता है. कुछ वर्षों में पीसीओएस की वजह से शरीर पर धीरे-धीरे अधिक बाल आने लगते हैं, अनियमित मासिक धर्म, मोटापा, बांझपन और कभी-कभी अंडाशय पर कई अल्सर बनने की समस्या भी हो सकती है.
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कुशिंग सिंड्रोम
यह तब होता है, जब किसी व्यक्ति के शरीर में कोर्टिसोल (एक प्रकार का हार्मोन) का स्तर बहुत अधिक बढ़ जाता है. यह प्रेडनिसोन जैसी दवाइयों का लंबे समय तक सेवन करने या एड्रेनल ग्रंथियों द्वारा अत्यधिक कोर्टिसोल बनने के कारण हो सकता है.
कंजेनाइटल एड्रेनल हाइपरप्लासिया
यह एक अनुवांशिक स्थिति है जिसमें एड्रेनल ग्रंथियों द्वारा कोर्टिसोल और एंड्रोजन सहित स्टेरॉयड हार्मोन का असामान्य रूप से उत्पादन होने लगता है.
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ट्यूमर
अंडाशय या एड्रेनल ग्रंथियों में ट्यूमर भी कई बार हिर्सुटिज्म का कारण बन सकता है.
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