परिचय
मस्तिष्क में द्रव जमा होने की स्थिति को “दिमाग में पानी भर जाना” या “जलशीर्ष” (Hydrocephalus) कहा जाता है। मस्तिष्क में अधिक द्रव जमा होने से दबाव बढ़ जाता है, जिससे मस्तिष्क क्षतिग्रस्त हो सकती है। ऐसा आमतौर पर तब होता है, जब मस्तिष्क में द्रव अवशोषित ना हो पाए, द्रव अटक जाए या अत्यधिक मात्रा में बनने लग जाए। इसके अलावा सिर में चोट लगने, ब्रेन हेमरेज या इन्फेक्शन के कारण मस्तिष्क के ऊतक क्षतिग्रस्त होने के कारण भी दिमाग में पानी भरने लग जाता है। इसके लक्षणों में सिरदर्द, धुंधला दिखना, चलने में कठिनाई, मिर्गी के दौरे पड़ना, बुखार, चिड़चिड़ापन और अत्यधिक नींद आना आदि शामिल हैं।
इस स्थिति का परीक्षण करने के लिए डॉक्टर कुछ प्रकार के इमेजिंग टेस्ट कर सकते हैं, जिनमें सीटी स्कैन, एमआरआई या अल्ट्रासाउंड स्कैन आदि शामिल हैं। इन इमेजिंग टेस्ट की मदद से मस्तिष्क की काफी स्पष्ट तस्वीरें मिल जाती हैं, जिससे जलशीर्ष का अच्छे से परीक्षण किया जा सकता है। दिमाग में पानी के कुछ ऐसे कारण भी हैं, जिनकी रोकथाम करना संभव नहीं है। हालांकि सिर में चोट लगने जैसे कारणों की रोकथाम की जा सकती है, जैसे हेलमेट पहनना और सीट बेल्ट लगाना आदि।
दिमाग में पानी भर जाने का इलाज कई अलग-अलग तरीकों से किया जा सकता है। ज्यादातर मामलों में इसका इलाज ऑपरेशन करके ही किया जाता है। ऑपरेशन के दौरान मस्तिष्क में एक उपकरण लगाया जाता है, जिसे शंट (Shunt) कहा जाता है।
यदि दिमाग में पानी भरने का इलाज ना किया जाए, तो यह स्थिति जीवन के लिए घातक हो सकती है। जिन बच्चों को जन्म से ही दिमाग में पानी भरने की समस्या होती है, उनको सीखने में कठिनाई, याददाश्त संबंधी समस्याएं, देखने और बोलने संबंधी समस्याएं होने लग जाती हैं।
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