हाइपरपैराथायरायडिज्म क्या है?
हाइपरपैराथायरायडिज्म तब होता है जब पैराथाइरॉइड ग्रंथि काफी अधिक पैराथाइरॉइड हॉर्मोन (Parathyroid hormone) बनाने लगती है। पैराथाइरॉइड ग्रंथियां आपकी गर्दन में स्थित चार मटर के आकार वाली एंडोक्राइन ग्रंथियां हैं, जो गर्दन में होती हैं और थायरॉइड ग्रंथि के साथ या उसके पीछे स्थित होती है। एंडोक्राइन ग्रंथियां वे हॉर्मोन को रिलीज करती हैं जो कि शरीर के सामान्य कार्य के लिए जरूरी होती हैं। पैराथाइरॉइड ग्रंथि और थायरॉइड दोनों ही अलग-अलग अंग होते हैं और पैराथाइरॉइड हॉर्मोन हड्डी और खून में कैल्शियम, विटामिन डी और फास्फोरस को नियंत्रित करता है।
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हाइपरपैराथायरायडिज्म के लक्षण क्या हैं?
1. प्रायमरी हाइपरपैराथायरायडिज्म - कुछ लोगों को इससे जुड़े लक्षण अनुभव नहीं होते हैं। अगर आपको लक्षण होते हैं, तो वो हल्के से गंभीर हो सकते हैं। इसके हल्के लक्षण होते हैं थकान, कमजोरी, डिप्रेशन, बदन दर्द आदि और गंभीर लक्षण होते हैं भूख न लगना, कब्ज, मतली और उल्टी, अत्यधिक प्यास लगना, बार-बार पेशाब आना, भ्रम रोग, पथरी आदि।
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2. सेकेंडरी हाइपरपैराथायरायडिज्म - इसमें आपको हड्डियों से संबंधित समस्या हो सकती है जैसे - हड्डी टूटना, जोड़ों में सूजन और हड्डियों की आकृति बदलना। इसके कुछ लक्षण अंदरूनी कारक पर निर्भर करते हैं, जैसे किडनी फेलियर या गंभीर रूप से विटामिन डी की कमी।
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हाइपरपैराथायरायडिज्म क्यों होता है?
हाइपरपैराथायरायडिज्म में एक या उससे ज्यादा पैराथाइरॉइड ग्रंथियां अति सक्रिय हो जाती हैं और अतिरिक्त पैराथाइरॉइड हार्मोन (पीटीएच) बनाती हैं। यह ट्यूमर, पैराथाइरॉइड ग्रंथि का विकृत होना या ग्रंथि के बड़े होने के कारण हो सकता है। जब आपके शरीर में कैल्शियम का स्तर बहुत कम हो जाता है, तो पैराथाइरॉइड ग्रंथियां पीटीएच के उत्पादन में वृद्धि करके प्रतिक्रिया करती हैं। इसके कारण आपकी किडनी और आंत बड़ी मात्रा में कैल्शियम को अवशोषित करने लगती हैं। यह हड्डियों से भी अधिक मात्रा में कैल्शियम को कम कर देती है। जब कैल्शियम का स्तर बढ़ जाता है, तो पैराथाइरॉइड हॉर्मोन भी सामान्य स्तर पर आ जाता है।
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हाइपरपैराथायरायडिज्म का इलाज कैसे होता है?
1. प्रायमरी हाइपरपैराथायरायडिज्म - अगर आपकी दोनों किडनी एकदम सही तरह से कार्य कर रही हैं, शरीर में कैल्शियम का स्तर ज्यादा नहीं है या बोन डेंसिटी सामान्य है, तो आपको इलाज की जरूरत नहीं है। इस मामले में, आपके डॉक्टर साल में एक बार आपकी स्थिति की जांच करेंगे और साल में दो बार रक्त व कैल्शियम की जांच करेंगे। डॉक्टर आपको यह भी सलाह देंगे कि इस बात का ध्यान रखें कि आप अपनी डाइट में कितना कैल्शियम और विटामिन ले रहे हैं। किडनी स्टोन होने से रोकने के लिए ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं। हड्डियों को मजबूत करने के लिए आपको रोजाना व्यायाम भी करना चाहिए।
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2. सेकेंडरी हाइपरपैराथायरायडिज्म - अंदरूनी कारणों का इलाज करके पैराथाइरॉइड हॉर्मोन के स्तर को सामान्य किया जाता है। गंभीर रूप से शरीर में विटामिन डी की कमी को पूरा करने के लिए दवाइयां दी जाती हैं। किडनी फेलियर की समस्या को ठीक करने के लिए आपको दवा और डायलिसिस की जरूरत पड़ सकती है।
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