जापानी एनसेफेलिटिस - Japanese Encephalitis in Hindi

Dr. Ajay Mohan (AIIMS)MBBS

November 21, 2017

February 01, 2024

जापानी एनसेफेलिटिस
जापानी एनसेफेलिटिस

जापानी एनसेफेलिटिस एक वायरल संक्रमण है जो मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी को प्रभावित करता है और फ्लेविवायरस से संक्रमित मच्छर के काटने से फैलता है। इसके कारण बुखार, सिरदर्द, भ्रम, दौरे, और कुछ मामलों में मौत भी हो सकती है। यह संक्रमण सबसे अधिक बच्चों को प्रभावित करता है और गर्मी के दौरान अधिक सक्रिय रूप से फैलता है। जापानी एनसेफेलिटिस वायरस (जेईवी) डेंगू, पीला बुखार और वेस्ट नाइल वायरस से संबंधित एक फ्लेविवायरस है। 

जापानी एनसेफेलिटिस वायरस एक व्यक्ति से दूसरे में प्रसारित नहीं होता।

भारत में जापानी एनसेफेलिटिस

भारत में 1955 में जापानी एनसेफेलिटिस का पहला मामला सामने आया था। देश के विभिन्न हिस्सों में इसका प्रकोप है परन्तु असम, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखण्ड में इसका प्रभाव ज़्यादा है।

2006 के दौरान जेई (JE: जापानी एनसेफेलिटिस) टीकाकरण अभियान शुरू किया गया था जिसमें असम, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश के 11 सबसे संवेदनशील जिलों को कवर किया गया था। असम, आंध्र प्रदेश, बिहार, हरियाणा, गोवा, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के राज्यों में कुल मिलाकर 86 जिलों को कवर किया गया था।

2016 में भारत में जापानी एनसेफेलिटिस के कुल 1,676 मामले सामने आए हैं जिनमें से 283 लोगों की मौत हुई है।

जापानी एनसेफेलिटिस के चरण - Stages of Japanese Encephalitis in Hindi

जापानी एनसेफेलिटिस के मुख्य तीन निम्नलिखित चरण होते हैं-

  1. प्रोड्रोमल चरण 
    यह चरण मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के प्रभावित होने से पहले शुरू होता है और 2-3 दिनों तक रहता है। इस दौर में 90% लोगों को बेचैनी तथा सिरदर्द के साथ ठण्ड लगना और दृढ़ता महसूस होती है। यह चरण 1–6 दिनों तक रहता है। अक्सर यह देखा गया है कि इस बीमारी के बढ़ने के साथ कष्ट और बढ़ता जाता है। इसलिए मरीज़ को सही उपचार देना ज़रूरी होता है।
     
  2. तीव्र एन्सेफेलिटिक चरण
    इस चरण में मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी पर प्रभाव पड़ता है और यह 3-4 दिनों तक रहता है। इस चरण में पहले से हुआ बुखार बढ़ जाता है, ठीक से सोचने व ध्यान लगाने की क्षमता में कमी, आक्षेप, गर्दन में कठोरता, मांसपेशियों की ऐंठन, चेहरे का भावहीन होना, असामान्य गतिविधियां, निर्जलीकरण और वजन घटना होते हैं। कई मामलों में, रोगी कोमा में भी जा सकता है। कभी-कभी मरीज़ के व्यवहार में एकदम से बदलाव आने के लक्षण भी हो सकते हैं जैसे भ्रम, बेहोशी में बोलना, व्यग्रता, भटकाव अदि। इस चरण में बोलने में परेशानियां या बोली बंद होना और आँखों की स्वैच्छिक गतिविधियों में परेशानियाँ भी हो सकती हैं। तीव्र चरण में मरीज़ को इंट्राक्रेनियल दबाव भी हो सकता है जिससे साँस लेने में तकलीफ, सिरदर्द, उलटी और असममित पक्षाघात हो सकते हैं।
     
  3. रिकवरी चरण
    यह चरण 4-7 सप्ताह तक रहता है और इसमें मरीज़ स्वस्थ होना शुरू हो जाता है। यह चरण तब शुरू होता है जब सक्रिय सूजन घटने लगती है, तापमान और ईएसआर सामान्य और तंत्रिका संबंधी लक्षण  स्थिर होने लगते हैं या उनमें सुधार होने लगता है।

जापानी एनसेफेलिटिस के लक्षण - Japanese Encephalitis Symptoms in Hindi

अधिकांश जापानी एनसेफेलिटिस वायरस से संक्रमित लोगों को या तो कोई लक्षण नहीं, होते या हल्के लक्षण होते हैं जो अक्सर फ्लू के लक्षण समझ लिए जाते हैं। हालांकि जापानी एनसेफेलिटिस से प्रभावित हर 250 लोगों में से 1 व्यक्ति को अधिक गंभीर लक्षण होते हैं जो मस्तिष्क में संक्रमण फैलने के कारण होते हैं। आमतौर पर यह संक्रमण होने के 5-15 दिनों के बाद होते हैं।

यह लक्षण हैं -

  1. उच्च तापमान (बुखार)
  2. दौरे
  3. गर्दन का अकड़ना
  4. भ्रम
  5. बात करने में असमर्थता
  6. शरीर के अंगों के बेकाबू झटके (कंपन)
  7. मांसपेशियों में कमजोरी या पक्षाघात

हर तीन लोग जिन्हें गंभीर लक्षण होते हैं, उनमें से एक व्यक्ति की मौत हो जाती है और जो जीवित रहते हैं उनके लक्षण धीरे-धीरे सुधर जाते हैं। हालांकि, पूरी तरह ठीक होने में महीने लग जाते हैं और जो लोग जीवित रहते हैं उन्हें स्थायी मस्तिष्क क्षति हो जाती है।

जापानी एनसेफेलिटिस के कारण - Japanese Encephalitis Causes in Hindi

  1. जापानी एनसेफेलिटिस एक फ्लेविवाइरस से होता है जो दोनों मनुष्यों और पशुओं को प्रभावित करता है। यह वायरस एक संक्रमित मच्छर के काटने के माध्यम से पशुओं से मनुष्यों में पारित हो जाता है।
  2. सुअर और पक्षी जापानी एनसेफेलिटिस वायरस के मुख्य वाहक हैं। अगर एक मच्छर इन्हें काटने के बाद आपको काट ले तो संक्रमण आपको पारित हो जाता है।

मुख्यतः मच्छर कृषि और ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं और रात के समय काटते हैं। उनका लार्वा पानी से भरी हुई जगहों में पनपता है, जैसे बाढ़ के पानी से भरे हुए चावलों के खेत।

जापानी एनसेफेलिटिस से बचाव - Prevention of Japanese Encephalitis in Hindi

जापानी एनसेफेलिटिस से बचाव के लिए-

  1. मच्छर के काटने से बचें। 
  2. कीट निवारक क्रीम का प्रयोग करें। 
  3. मच्छर काटने को कम करने के लिए उचित और ढके हुए वस्त्र पहनें। 
  4. सबसे ज़्यादा मच्छर के काटने की सम्भावना वाले समय में बाहर जाने से बचें।
  5. जापानी एनसेफेलिटिस के लिए वैक्सीन लें।

केन्द्रीय अनुसंधान संस्थान, कसौली ने स्वदेशी तौर पर जापानी एन्सेफलाइटिस वैक्सीन विकसित की है। यह एक माउस ब्रेन किल्ड वैक्सीन (Mouse brain killed Vaccine) है और प्राथमिक रोग प्रतिरक्षण के लिए इसकी 3 खुराक आवश्यक हैं। दो खुराकों को 7-14 दिनों के अंतराल के भीतर दिया जाता है, इसके बाद तीसरी खुराक एक महीने के बाद और दूसरी खुराक के एक वर्ष से पहले दी जाती है। 3 साल बाद इसके लिए एक बूस्टर की आवश्यकता होती है।

जापानी एनसेफेलिटिस का परीक्षण - Diagnosis of Japanese Encephalitis in Hindi

जापानी एनसेफेलिटिस का निदान करने के लिए -

  1. डॉक्टर मरीज के लक्षणों पर ध्यान देते हैं जैसे - वे कहाँ रहते हैं और वह कहाँ यात्रा करते हैं। यह रोग होने की संभावना निर्धारित करने में मदद कर सकता है।
  2. यदि किसी डॉक्टर को आपके जापानी एनसेफेलिटिस से संक्रमित होने पर संदेह होता है, तो मरीज का परीक्षण होता जैसे कि सीटी स्कैन या मस्तिष्क का एमआरआई।
  3. रीढ़ की हड्डी से द्रव को जाँच के लिए निकालने हेतु लम्बर पंक्चर या स्पाइनल टैप (Lumbar Puncture या Spinal Tap: रीढ़ की हड्डी के निचले हिस्से में सुई चुभने का एक परीक्षण) का उपयोग किया जा सकता है।
  4. इम्मुनोफ्लुओरेसेन्स परीक्षण (Immunofluorescence tests) मानव एंटीबॉडी का पता लगा सकते हैं।

जापानी एनसेफेलिटिस का इलाज - Japanese Encephalitis Treatment in Hindi

जापानी एनसेफेलिटिस का कोई इलाज नहीं है। एक बार किसी व्यक्ति यह हो जाता है तो उपचार केवल लक्षणों को सुधार सकता है। एंटीबायोटिक दवाएं वायरस के खिलाफ प्रभावी नहीं होती हैं और कोई एंटी वायरल दवा की खोज अभी तक नहीं हुई है।

जापानी एनसेफेलिटिस के जोखिम और जटिलताएं - Japanese Encephalitis Risks & Complications in Hindi

जापानी एनसेफेलिटिस होने के जोखिम कारक

  1. जापानी एनसेफेलिटिस से संक्रमित होने का खतरा बारिश के दौरान और उसके बाद सबसे अधिक होता है।
  2. हालांकि, कुछ ऐसी गतिविधियां हैं जो संक्रमित होने के आपके जोखिम को बढ़ा सकती हैं, जैसे: लंबे समय तक जापानी एनसेफेलिटिस के उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में रहना या यात्रा करना, ग्रामीण इलाकों का दौरा, विशेषकर बरसात के मौसम में।

इन गतिविधियों का मतलब है कि आपकी संक्रमित मच्छरों के संपर्क में आने की संभावना अधिक है।

जापानी एनसेफेलिटिस की जटिलताएं

जापानी एनसेफेलिटिस से होने वाली जटिलताएँ हैं-

  1. तीव्र मस्तिष्कशोथ (एनसेफेलिटिस)
  2. पक्षाघात (पैरालिसिस)
  3. दौरे
  4. कोमा में जाना
  5. मौत


संदर्भ

  1. Science Direct (Elsevier) [Internet]; Japanese encephalitis: a review of the Indian perspective.
  2. National Health Portal [Internet] India; Japanese-Encephalitis .
  3. World Health Organization [Internet]. Geneva (SUI): World Health Organization; A review of Japanese encephalitis in Uttar Pradesh, India.
  4. Office of Infectious Disease and HIV/AIDS Policy. [Internet]. U.S. Department of Health and Human Services. Japanese Encephalitis (JE).
  5. Center for Disease Control and Prevention [internet], Atlanta (GA): US Department of Health and Human Services; Japanese Encephalitis.