कुरु, तंत्रिका तंत्र से संबंधित एक दुर्लभ बीमारी है। यह समस्या मस्तिष्क के ऊतकों में पाए जाने वाले एक संक्रामक प्रोटीन (प्रायन) के कारण होती है। इस समस्या के कारण मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र क्रुत्ज़फेल्ट-जैकब रोग की तरह ही कार्य करने लगता है। क्रुत्ज़फेल्ट-जैकब, मस्तिष्क विकार से जुड़ी एक घातक बीमारी है। कुरु बीमारी का सबसे मुख्य जोखिम कारक मानव मस्तिष्क को खाना होता है, जिसमें कई संक्रामक कणोंं की मौजूदगी हो सकती हैं। दुनिया के कुछ देशों में इस तरह की परंपराएं मौजूद थीं, जिसमें मृत व्यक्ति का मस्तिष्क खाया जाता था। चूंकि इसका दायरा सीमित था, ऐसे में कुरु को दुर्लभ बीमारियों की श्रेणी में रखा गया है।
कुरु रोग के मामले न्यू गिनी में देखने को मिलते हैं, जहां पर परंपराओं के नाम पर लोग अंतिम संस्कार के दौरान मृत लोगों का मस्तिष्क खाते थे। वैसे तो साल 1960 में यह प्रथा बंद हो गई, लेकिन कुरु के मामले कई वर्षों बाद तक भी देखने को मिलते रहे। ऐसा इसलिए भी हो सकता है क्योंकि विशेषज्ञों का मानना है कि कुरु रोग का ऊष्मायन अवधि (इंक्यूबेशन पीरियड) काफी लंबा होता था। ऊष्मायन अवधि,संक्रमण की चपेट में आने और लक्षणों के पहली बार नजर आने के बीच के समय को कहा जाता है। रिपोर्ट से पता चलता है कि कुरु के शुरुआती लक्षण सामान्य रूप से सिरदर्द और जोड़ों में दर्द के साथ दिखाई देते थे, इस कारण से इस रोग पर बहुत ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता था, जो बाद में कई सारी गंभीर समस्याओं का कारण बन जाता है।
इस लेख में हम कुरु रोग के लक्षण, कारण और इलाज के तरीकों के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे।