मानसिक मंदता (बौद्धिक अक्षमता) - Mental Retardation in Hindi

Dr. Ayush PandeyMBBS,PG Diploma

March 22, 2018

December 19, 2023

मानसिक मंदता
मानसिक मंदता

मानसिक मंदता क्या है?

मानसिक मंदता एक ऐसी समस्या है जो किसी के भी विकास को प्रभावित करती है। यह समस्या बच्चें के विकास वर्षों यानी 0 से 18 साल के दौरान प्रकट होती है। इस समस्या से जूझ रहे बच्चे की सीखने की क्षमता और बुद्धिमत्ता अपनी उम्र के अन्य बच्चों के मुकाबलें बहुत कम होती है। अपनी इसी असक्षमता के चलते पीड़ित सामान्य रूप से कार्य करने में भी असमर्थ रहते हैं।  

यह समस्या जन्म से अथवा बचपन से ही पीड़ित में मौजूद रहती है। इस समस्या के कई कारण होते हैं और इसका असर बेहद कम से बहुत अधिक तक होता है। जो लोग मानसिक रूप से मंद होते हैं, उनको कई कार्यों में समस्याएं हो सकती है, जैसे -

  • किसी के साथ बात करना
  • खुद की देखभाल करना
  • दैनिक जीवन
  • सामाजिक कौशल
  • सामुदायिक संपर्क
  • खुद का संचालन करना
  • स्वास्थ्य और सुरक्षा
  • स्कूल संबंधित गतिविधियां
  • खाली समय की गतिविधियां
  • अन्य काम करना आदि।

एक बच्चे में मानसिक मंदता का परीक्षण मनोविज्ञानिक या बच्चों के डॉक्टर द्वारा किया जाता है। मानसिक मंदता का कोई इलाज नहीं है। मानसिक मंदता के रोगियों को विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है और डॉक्टर उन्हीं जरूरतों को पूरा करते हुए यह सुनिश्चित करते हैं कि रोगी अधिक से अधिक सीख सके और अपने में मौजूद सक्षमताओं का पूर्ण सदुपयोग कर सकें। 

(और पढ़ें - मानसिक रोग के घरेलू उपाय)

मानसिक मंदता के वर्गीकरण और प्रकार - Types of Mental Retardation in Hindi

मानसिक मंदता के प्रकार क्या हैं?

मानसिक मंदता के चार मुख्य वर्ग हैं। पीड़ित को इन सभी में से एक स्तर उनके द्वारा मानकीकृत आईक्यू टेस्ट (बुद्धि परीक्षण) में किए गए प्रदर्शन के आधार पर दिया जाता है। इसके साथ ही इस बात का भी परीक्षण किया जाता है कि पीड़ित कितनी जल्दी बातचीत करना या सामाजिक तौर पर घुलने-मिलने जैसी चीजें सीख पाते हैं।  

(और पढ़ें - मानसिक रोग की दवा)

1. सौम्य या बेहद कम मानसिक मंदता - 

मानसिक मंदता वाले जिन लोगों के आईक्यू स्तर की अधिकतम संख्या 55 से 69 होती है, उन्हें सौम्य मानसिक मंदता वाला माना जाता है। सौम्य मानसिक मंदता से ग्रस्त बच्चों की समस्या का पता अक्सर तब तक नहीं चल पाता, जब तक वे अच्छे से अपने स्कूल के वर्षों में ना आ जाएं। वे ज्यादातर अन्य बच्चों की तुलना में चलने, बात करने और खुद खाना खाने में धीमे होते हैं। चौथी से छठी कक्षा के स्तर तक वे पढ़ना व गणित सहित कई व्यवहारिक कौशल सीख लेते हैं। सौम्य मानसिक मंदता से ग्रस्त लोग आमतौर पर सामाजिक व नौकरी संबंधी कार्यों के कौशल सीख लेते हैं और बिना किसी की मदद के अपने आप रह सकते हैं।

(और पढ़ें - तनाव का इलाज)

2. मध्यम मानसिक मंदता –

मानसिंक मंदता से पीड़ित लोग वे  होते हैं, जिनकी आईक्यू 40 से 54 तक होती है। बच्चे जो मध्यम मानसिक मंदता से ग्रस्त होते हैं, वे अपनी शारीरिक मांसपेशियों के कार्य या बोलने आदि जैसे कार्य काफी देरी से शुरू कर पाते हैं। हालांकि इन पीड़ितों में उपयोगी अकादमिक कौशल प्राप्त करने की संभावना तो नहीं होती, लेकिन वे कुछ स्वास्थ्य और सुरक्षा की आदतें, बुनियादी बात-चीत और अन्य सामान्य कौशल सीख सकते हैं। वे गणित को पढ़ना व हल करना नहीं सीख सकते। मध्यम मानसिक मंदता से ग्रस्त लोग आमतौर पर अकेले नहीं रह पाते, लेकिन वे कुछ सरल कार्य कर सकते हैं और परिचित स्थानों में अकेले यात्रा कर सकते हैं।

(और पढ़ें - तनाव से बचने के उपाय)

3. गंभीर मानसिक मंदता –

मानसिक मंदता से ग्रस्त जिन लोगों में न्यूनतम आईक्यू 20 से लेकर 39 तक होता है, उनकी समस्या को गंभीर मानसिक मंदता माना जाता है। उनकी इस स्थिति की जांच जन्म के समय या उसके बाद कुछ ही समय के भीतर कर ली जाती है। स्कूल जाने की उम्र से पहले ही उनमें मासपेशियों के कार्यों में देरी और बात करने की क्षमता बहुत ही कम या न के बराबर दिखाई देने लग जाती है। प्रशिक्षण की मदद से वे कुछ स्वयं-सहायता कौशल सीख सकते हैं, जैसे कि खुद खाना खाने और स्नान करने के तरीके। आमतौर पर वे बड़े होकर चलने और कुछ बातों को बुनियादी तरीके से समझना सीख लेते हैं। वयस्क होने तक इस गंभीर मानसिक मंदता से ग्रस्त लोग दैनिक दिनचर्या के नियमों का पालन करने और कुछ सरल कार्य करने में सक्षम हो सकते हैं। लेकिन इन वयस्कों को निर्देशित करने की और एक सुरक्षित वातावरण में रहने की आवश्यकता होती है।

(और पढ़ें - तनाव के लिए योग)

4. गहन मानसिक मंदता –

मानसिक मंदता से ग्रस्त लोगों में कुछ ही ऐसे लोग होते हैं, जिनके आईक्यू का स्तर 0 से 24 तक होता है, जिसे गहन मानसिक समस्या माना जाता है। इनकी इस समस्या का पता आमतौर पर इनके जन्म के समय ही चल जाता है और इन बच्चों को नर्सिंग देखभाल में रखने की आवश्यकता होती है। जो बच्चे गहन रूप से मानसिक मंदता का शिकार होते हैं, उनको निरंतर देखरेख में रखने की आवश्यकता होती है। ये बच्चे अपने विकास के सभी पहलुओं में देरी दिखाते हैं। प्रशिक्षण की मदद से ये बच्चे अपनी टांगे, हाथ और जबड़े आदि का इस्तेमाल करना सीख लेते हैं। गहन मानसिक मंदता से ग्रस्त वयस्क थोड़ा बहुत बात-चीत करना सीख लेते हैं और हो सकता है थोड़ा बहुत चलना भी सीख लें। इस विकार से ग्रस्त लोग खुद का ख्याल रखने में असमर्थ होते हैं और उनको अपने दैनिक जीवन में पूर्ण रूप से सहारे की आवश्यकता होती है।

(और पढ़ें - याददाश्त कमजोर होने के कारण)

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मानसिक मंदता के चरण - Stages of Mental Retardation in Hindi

मानसिक मंदता के चरण क्या हो सकते हैं?

मानसिक मंदता के चार मुख्य चरण होते हैं: 

  • सौम्य
  • मध्यम
  • गंभीर
  • गहन (अत्यधिक गंभीर)

पीड़ित को इन सभी में से एक स्तर उनके द्वारा मानकीकृत आईक्यू टेस्ट (बुद्धि परीक्षण) में किए गए प्रदर्शन के आधार पर दिया जाता है। इसके साथ ही इस बात का भी परीक्षण किया जाता है कि पीड़ित कितनी जल्दी बातचीत करना या सामाजिक तौर पर घुलने -मिलने जैसी चीजें सीख पाते हैं।  

(और पढ़ें - मानसिक रोग की दवा)

सौम्य या बेहद कम मानसिक मंदता - 

मानसिक मंदता वाले जिन लोगों के आईक्यू स्तर की अधिकतम संख्या 55 से 69 होती है, उन्हें सौम्य मानसिक मंदता वाला माना जाता है। सौम्य मानसिक मंदता से ग्रस्त बच्चों की समस्या का पता अक्सर तब तक नहीं चल पाता, जब तक वे अच्छे से अपने स्कूल के वर्षों में ना आ जाएं। वे ज्यादातर अन्य बच्चों की तुलना में चलने, बात करने और खुद खाना खाने में धीमे होते हैं। चौथी से छठी कक्षा के स्तर तक वे पढ़ना व गणित सहित कई व्यवहारिक कौशल सीख लेते हैं। सौम्य मानसिक मंदता से ग्रस्त लोग आमतौर पर सामाजिक व नौकरी संबंधी कार्यों के कौशल सीख लेते हैं और बिना किसी की मदद के अपने आप रह सकते हैं।

(और पढ़ें - तनाव का इलाज)

मध्यम मानसिक मंदता –

मानसिंक मंदता से पीड़ित लोग वे  होते हैं, जिनकी आईक्यू 40 से 54 तक होती है। बच्चे जो मध्यम मानसिक मंदता से ग्रस्त होते हैं, वे अपनी शारीरिक मांसपेशियों के कार्य या बोलने आदि जैसे कार्य काफी देरी से शुरू कर पाते हैं। हालांकि इन पीड़ितों में उपयोगी अकादमिक कौशल प्राप्त करने की संभावना तो नहीं होती, लेकिन वे कुछ स्वास्थ्य और सुरक्षा की आदतें, बुनियादी बात-चीत और अन्य सामान्य कौशल सीख सकते हैं। वे गणित को पढ़ना व हल करना नहीं सीख सकते। मध्यम मानसिक मंदता से ग्रस्त लोग आमतौर पर अकेले नहीं रह पाते, लेकिन वे कुछ सरल कार्य कर सकते हैं और परिचित स्थानों में अकेले यात्रा कर सकते हैं।

(और पढ़ें - तनाव से बचने के उपाय)

गंभीर मानसिक मंदता –

मानसिक मंदता से ग्रस्त जिन लोगों में न्यूनतम आईक्यू 20 से लेकर 39 तक होता है, उनकी समस्या को गंभीर मानसिक मंदता माना जाता है। उनकी इस स्थिति की जांच जन्म के समय या उसके बाद कुछ ही समय के भीतर कर ली जाती है। स्कूल जाने की उम्र से पहले ही उनमें मासपेशियों के कार्यों में देरी और बात करने की क्षमता बहुत ही कम या न के बराबर दिखाई देने लग जाती है। प्रशिक्षण की मदद से वे कुछ स्वयं-सहायता कौशल सीख सकते हैं, जैसे कि खुद खाना खाने और स्नान करने के तरीके। आमतौर पर वे बड़े होकर चलने और कुछ बातों को बुनियादी तरीके से समझना सीख लेते हैं। वयस्क होने तक इस गंभीर मानसिक मंदता से ग्रस्त लोग दैनिक दिनचर्या के नियमों का पालन करने और कुछ सरल कार्य करने में सक्षम हो सकते हैं। लेकिन इन वयस्कों को निर्देशित करने की और एक सुरक्षित वातावरण में रहने की आवश्यकता होती है।

(और पढ़ें - तनाव के लिए योग)

गहन मानसिक मंदता –

मानसिक मंदता से ग्रस्त लोगों में कुछ ही ऐसे लोग होते हैं, जिनके आईक्यू का स्तर 0 से 24 तक होता है, जिसे गहन मानसिक समस्या माना जाता है। इनकी इस समस्या का पता आमतौर पर इनके जन्म के समय ही चल जाता है और इन बच्चों को नर्सिंग देखभाल में रखने की आवश्यकता होती है। जो बच्चे गहन रूप से मानसिक मंदता का शिकार होते हैं, उनको निरंतर देखरेख में रखने की आवश्यकता होती है। ये बच्चे अपने विकास के सभी पहलुओं में देरी दिखाते हैं। प्रशिक्षण की मदद से ये बच्चे अपनी टांगे, हाथ और जबड़े आदि का इस्तेमाल करना सीख लेते हैं। गहन मानसिक मंदता से ग्रस्त वयस्क थोड़ा बहुत बात-चीत करना सीख लेते हैं और हो सकता है थोड़ा बहुत चलना भी सीख लें। इस विकार से ग्रस्त लोग खुद का ख्याल रखने में असमर्थ होते हैं और उनको अपने दैनिक जीवन में पूर्ण रूप से सहारे की आवश्यकता होती है।

(और पढ़ें - याददाश्त कमजोर होने के कारण)

मानसिक मंदता के लक्षण - Mental Retardation Symptoms in Hindi

मानसिक मंदता के लक्षण क्या हो सकते हैं?

  • बौद्धिक विकास को प्राप्त करने में विफलता।
  • अपनी उम्र के मुताबिक विकास के लक्षण दिखाने में विफलता जैसे, रेंगना, चलना, बैठना और बात करना आदि।
  • जिज्ञासा में कमी और समस्याओं को हल करने में कठिनाई महसूस होना।
  • चीजें याद रखने में कठिनाई होना।
  • स्कूल द्वारा आवश्यक शिक्षा संबंधी मांगों को पूरा करने में असमर्थता।
  • बच्चे जैसा व्यवहार रहना, आम तौर पर यह व्यवहार रोगी के उसके बोलने के तरीके से प्रदर्शित होता है। साथ ही, सामाजिक नियमों को ना समझ पाना भी इसका एक लक्षण होता है।

(और पढ़ें - याददाश्त बढ़ाने के उपाय)

डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?

अगर आपको लगता है कि आपका बच्चा चलने, बोलने व अन्य मांसपेशियों संबंधी गतिविधियां करने या उन्हें सीखने में देरी कर रहा है, तो डॉक्टर को दिखाएं।

(और पढ़ें - दिमाग तेज करने के उपाय)

बौद्धिक अक्षमता (मानसिक मंदता) के कारण - Mental Retardation Causes in Hindi

मानसिक मंदता क्यों होती है?

जन्म के पूर्व कारण (जन्म के पहले का कारण)

अगर किसी बच्चे के माता-पिता में से कोई या दोनों ही मानसिक मंदता का शिकार हैं, तो बच्चे में यह स्थिति विकसित होने की संभावनाएं अत्याधिक बढ़ जाती हैं। 

(और पढ़ें - डिप्रेशन का इलाज)

कभी-कभी मानसिक मंदता व्यक्तिगत जीन के बजाय गुणसूत्रों में किसी प्रकार की असामान्यता के कारण भी हो जाती है। गुणसूत्र, कोशिकाओं के भीतर न्यूक्लियस में एक धागे जैसी संरचना होती है, जिसमें जीन स्थित होती है। डाउन सिंड्रोम मानसिक मंदता के सबसे सामान्य कारणों में से एक होता है, जो कोशिकाओं में अतिरिक्त गुणसूत्र होने के कारण होता है।

(और पढ़ें - आटिज्म का इलाज)

मानसिक मंदता से बचाव - Prevention of Mental Retardation in Hindi

मानसिक मंदता की रोकथाम कैसे की जा सकती है?

  • कुछ रोगों के खिलाफ टीकाकरण करना, जैसे खसरा और हेपेटाइटिस बी आदि। यह टीकाकरण ऐसी कई बीमारीयों की रोकथाम करता है जो मानसिक मंदता को विकसित कर सकती हैं। (और पढ़ें - हेपेटाइटिस बी टेस्ट)
  • इसके अलावा सभी बच्चों की बाल चिकित्सा देखभाल के के तहत नियमित रूप से शारीरिक और मानसिक विकास संबंधी जांच होनी चाहिए। जांच विशेष रूप से उन बच्चों के लिए महत्वपूर्ण है, जिनको नजर अंदाज कर दिया गया है या जो कुपोषित हैं। या फिर उन बच्चों के लिए जो ऐसी स्थितियों में रहते हैं, जहां रोग फैलने की संभावनाएं हैं।
  • फेनाइलकाटोनूरिया (PKU) और हाइपोथायरॉइडिज़्म (Hyperthyroidism) के लिए नवजात शिशु की जांच और अगर ये समस्याएं मिल जाती हैं तो उनका तत्काल उपचार बहुत जरूरी है। ये बीमारियां मानसिक मंदता जैसे विकारों को जल्दी ही ग्रहण कर लेती हैं, इसलिए इन समस्याओं का इलाज करना मानसिक मंदता की रोकथाम करने का सबसे पहला कदम हो सकता है। (और पढ़ें - ओसीडी का उपचार)
  • जन्म के समय की अच्छी देखभाल भी मानसिक मंदता की रोकथाम करने में मदद कर सकती है। गर्भवती महिलाओं को शराब आदि पीने के जोखिमों और गर्भावस्था के दौरान अच्छा पोषण लेते रहने की आवश्यकता के बारे में शिक्षित किया जाना चाहिए। (और पढ़ें - गर्भवती महिला के लिए भोजन)
  • कुछ प्रकार के टेस्ट जैसे अमनिओसेंटेसिस और अल्ट्रासोनोग्राफी आदि यह निर्धारित कर सकते हैं कि गर्भ में भ्रूण सामान्य रूप से विकसित हो रहा है या नहीं।

(और पढ़ें - गर्भ में भ्रूण का विकास)

बौद्धिक अक्षमता का निदान - Diagnosis of Mental Retardation in Hindi

मानसिक मंदता का परीक्षण कैसे किया जाता है?

अगर मानसिक मंदता की समस्या का संदेह होता है तो इसके लक्षणों के जैविक कारणों का पता करने के लिए एक व्यापक शारीरिक परीक्षण किया जाता है और मरीज की पिछली मेडिकल जानकारी प्राप्त की जाती है। जैविक कारण हाइपरथायरॉइडिज़्म पीकेयू (PKU) आदि इनका इलाज किया जा सकता है।

(और पढ़ें - डिप्रेशन से बचने के उपाय)

ये चयापचय संबंधी विकार और मस्तिष्क से जुड़ी अन्य जैविक समस्याओं का निम्न टेस्टों की मदद से परीक्षण किया जाता है:

  • मस्तिष्क में संचरना संबंधी समस्याएं देखने के लिए इमेजिंग टेस्ट
  • दौरे आदि के सबूत या संकेत देखने के लिए ईईजी (EEG)
  • खून टेस्ट
  • यूरिन टेस्ट

अगर इस स्थिति का पता शुरूआत में ही लगा लिया जाए, तो विकसित हो रही मानसिक मंदता की स्थिति को रोका जा सकता है। कुछ मामलों में इसे आंशिक रूप से उल्टा भी कर दिया जा सकता है। अगर किसी न्यूरोलॉजिकल (स्नायविक) कारण का संदेह किया जाता है, तो टेस्टिंग के लिए बच्चे को न्यूरोलॉजिस्ट या न्यूरोसाइकोलॉजिस्ट के पास रेफर कर दिया जाता है।

(और पढ़ें - मनोवैज्ञानिक परीक्षण​)

रोगी की पिछली मेडिकल, पारिवारिक, सामाजिक और शिक्षा संबंधी पूर्ण जानकारीयों को मौजूदा रिकॉर्ड से और माता-पिता से बातचीत द्वारा इकट्ठा किया जाता है।

बच्चों के सीखने की क्षमताओं और उनके बौद्धिक कार्यों को मापने के लिए उनके कुछ बौद्धिक परीक्षण भी किए जा सकते हैं। 

(और पढ़ें - सीटी स्कैन कैसे होता है)

शिशुओं के लिए, शिशु विकास के लिए किए जाने वाले बेले स्केल (Bayley Scales) का इस्तेमाल शिशुओं की मांसपेशियों के कार्य, भाषा और समस्याओं को हल करने के कौशल की जांच करने के लिए किया जाता है।

माता-पिता या अन्य की देखभाल करने वालों के साथ बात करने से बच्चे के दैनिक जीवन, मांसपेशियों के नियंत्रण, बात-चीत करने और अन्य सामाजिक कौशल आदि का पता लगाने में मदद मिलती है।

मानसिक मंदता का इलाज - Mental Retardation Treatment in Hindi

बौद्धिक अक्षमता​ का उपचार कैसे किया जा सकता है?

मानसिक विकार का उपचार इस बीमारी को ठीक करने के लिए नहीं होता है, क्योंकि इसका कोई इलाज है ही नहीं। इस थेरेपी का मुख्य लक्ष्य सुरक्षा संबंधी जोखिमों को कम करना (किसी व्यक्ति के लिए घर व स्कूल आदि में सुरक्षा बनाए रखने में मदद करना) और उचित व योग्य जीवन कौशल सिखाना होता है। ऐसे में रोगी से जुड़े समाधान उनकी जरूरतों और उनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि पर आधारित होते हैं। इस बीमारी में उपचार का पूर्ण लक्ष्य रोगी की क्षमता को पूरी तरह विकसित करना है। 

(और पढ़ें - अल्जाइमर का इलाज)

बौद्धिक रूप से अक्षम बच्चे की मदद करने के लिए निम्न स्टेप्स फॉलो किए जा सकते हैं -

  • मानसिक मंदता (बौद्धिक विकलांगता) के बारे में जितना हो सके उतना जानने की कोशिश करें। इसके बारे में आप जितनी जानकारी प्राप्त करेंगे आप अपने बच्चे की उतनी ही अच्छे से सहायता कर पाएंगे।
  • अपने बच्चे को ग्रुप की गतिविधियों में शामिल करें। उसको आर्ट क्लास में भेजें या खेल-कूद में भाग लेने दें, क्योंकि ऐसी गतिविधियों से बच्चे में सामाजिक कौशल विकसित होता है। (और पढ़ें - बाहर जाकर खेलने के फायदे)
  • अपने बच्चे की स्वतंत्र बनाने के लिए प्रोत्साहित करें। कोशिश करें की आपका बच्चा नई-नई चीजें सीखे और उन्हें खुद करने की कोशिश करे। आवश्यकता पड़ने पर ही बच्चे को मार्गदर्शन दें और अगर वह कुछ अच्छा करता है या कोई नई चीज सीखता है तो उस पर अच्छी सकारात्मक प्रतिक्रिया दें।
  • किसी अन्य मानसिक मंदता के ग्रस्त बच्चे के मां-बाप को मिलें और उनसे बातचीत करें, वे आपके लिए सलाह और भावनात्मक समर्थन का एक बड़ा स्रोत हो सकते हैं।
  • आपके बच्चे के टीचर से संपर्क बनाएं रखें और बच्चे की गतिविधियों में शामिल रहें। ऐसा करने से आप बच्चे की मानसिक स्थिति की प्रगति की जानकारी रख सकेंगे। जो भी बच्चा स्कूल में सीखता है उसका घर पर अभ्यास करवाएं ताकि बच्चा अच्छे से सीख सकें।

(और पढ़ें - बाइपोलर डिसऑर्डर के लक्षण)

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मानसिक मंदता (बौद्धिक अक्षमता) की ओटीसी दवा - OTC Medicines for Mental Retardation in Hindi

मानसिक मंदता (बौद्धिक अक्षमता) के लिए बहुत दवाइयां उपलब्ध हैं। नीचे यह सारी दवाइयां दी गयी हैं। लेकिन ध्यान रहे कि डॉक्टर से सलाह किये बिना आप कृपया कोई भी दवाई न लें। बिना डॉक्टर की सलाह से दवाई लेने से आपकी सेहत को गंभीर नुक्सान हो सकता है।