मानसिक मंदता के चरण क्या हो सकते हैं?
मानसिक मंदता के चार मुख्य चरण होते हैं:
- सौम्य
- मध्यम
- गंभीर
- गहन (अत्यधिक गंभीर)
पीड़ित को इन सभी में से एक स्तर उनके द्वारा मानकीकृत आईक्यू टेस्ट (बुद्धि परीक्षण) में किए गए प्रदर्शन के आधार पर दिया जाता है। इसके साथ ही इस बात का भी परीक्षण किया जाता है कि पीड़ित कितनी जल्दी बातचीत करना या सामाजिक तौर पर घुलने -मिलने जैसी चीजें सीख पाते हैं।
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सौम्य या बेहद कम मानसिक मंदता -
मानसिक मंदता वाले जिन लोगों के आईक्यू स्तर की अधिकतम संख्या 55 से 69 होती है, उन्हें सौम्य मानसिक मंदता वाला माना जाता है। सौम्य मानसिक मंदता से ग्रस्त बच्चों की समस्या का पता अक्सर तब तक नहीं चल पाता, जब तक वे अच्छे से अपने स्कूल के वर्षों में ना आ जाएं। वे ज्यादातर अन्य बच्चों की तुलना में चलने, बात करने और खुद खाना खाने में धीमे होते हैं। चौथी से छठी कक्षा के स्तर तक वे पढ़ना व गणित सहित कई व्यवहारिक कौशल सीख लेते हैं। सौम्य मानसिक मंदता से ग्रस्त लोग आमतौर पर सामाजिक व नौकरी संबंधी कार्यों के कौशल सीख लेते हैं और बिना किसी की मदद के अपने आप रह सकते हैं।
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मध्यम मानसिक मंदता –
मानसिंक मंदता से पीड़ित लोग वे होते हैं, जिनकी आईक्यू 40 से 54 तक होती है। बच्चे जो मध्यम मानसिक मंदता से ग्रस्त होते हैं, वे अपनी शारीरिक मांसपेशियों के कार्य या बोलने आदि जैसे कार्य काफी देरी से शुरू कर पाते हैं। हालांकि इन पीड़ितों में उपयोगी अकादमिक कौशल प्राप्त करने की संभावना तो नहीं होती, लेकिन वे कुछ स्वास्थ्य और सुरक्षा की आदतें, बुनियादी बात-चीत और अन्य सामान्य कौशल सीख सकते हैं। वे गणित को पढ़ना व हल करना नहीं सीख सकते। मध्यम मानसिक मंदता से ग्रस्त लोग आमतौर पर अकेले नहीं रह पाते, लेकिन वे कुछ सरल कार्य कर सकते हैं और परिचित स्थानों में अकेले यात्रा कर सकते हैं।
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गंभीर मानसिक मंदता –
मानसिक मंदता से ग्रस्त जिन लोगों में न्यूनतम आईक्यू 20 से लेकर 39 तक होता है, उनकी समस्या को गंभीर मानसिक मंदता माना जाता है। उनकी इस स्थिति की जांच जन्म के समय या उसके बाद कुछ ही समय के भीतर कर ली जाती है। स्कूल जाने की उम्र से पहले ही उनमें मासपेशियों के कार्यों में देरी और बात करने की क्षमता बहुत ही कम या न के बराबर दिखाई देने लग जाती है। प्रशिक्षण की मदद से वे कुछ स्वयं-सहायता कौशल सीख सकते हैं, जैसे कि खुद खाना खाने और स्नान करने के तरीके। आमतौर पर वे बड़े होकर चलने और कुछ बातों को बुनियादी तरीके से समझना सीख लेते हैं। वयस्क होने तक इस गंभीर मानसिक मंदता से ग्रस्त लोग दैनिक दिनचर्या के नियमों का पालन करने और कुछ सरल कार्य करने में सक्षम हो सकते हैं। लेकिन इन वयस्कों को निर्देशित करने की और एक सुरक्षित वातावरण में रहने की आवश्यकता होती है।
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गहन मानसिक मंदता –
मानसिक मंदता से ग्रस्त लोगों में कुछ ही ऐसे लोग होते हैं, जिनके आईक्यू का स्तर 0 से 24 तक होता है, जिसे गहन मानसिक समस्या माना जाता है। इनकी इस समस्या का पता आमतौर पर इनके जन्म के समय ही चल जाता है और इन बच्चों को नर्सिंग देखभाल में रखने की आवश्यकता होती है। जो बच्चे गहन रूप से मानसिक मंदता का शिकार होते हैं, उनको निरंतर देखरेख में रखने की आवश्यकता होती है। ये बच्चे अपने विकास के सभी पहलुओं में देरी दिखाते हैं। प्रशिक्षण की मदद से ये बच्चे अपनी टांगे, हाथ और जबड़े आदि का इस्तेमाल करना सीख लेते हैं। गहन मानसिक मंदता से ग्रस्त वयस्क थोड़ा बहुत बात-चीत करना सीख लेते हैं और हो सकता है थोड़ा बहुत चलना भी सीख लें। इस विकार से ग्रस्त लोग खुद का ख्याल रखने में असमर्थ होते हैं और उनको अपने दैनिक जीवन में पूर्ण रूप से सहारे की आवश्यकता होती है।
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