मंकी फीवर के लक्षण क्या हैं?
वायरस से संक्रमित होने के 3 ले 8 दिन बाद रोगी में क्यासानूर फोरेस्ट डिजीज के लक्षण विकसित होने लग जाते हैं। इसके शुरुआती लक्षणों में तेज बुखार और ठंड लगने के साथ-साथ मांसपेशियों में दर्द और सिरदर्द जैसे लक्षण भी होने लग जाते हैं। मंकी फीवर में होने वाला बुखार 104℉ तक भी जा सकता है और लगातार 2 हफ्तों तक रह सकता है।
कुछ अन्य लक्षण भी हैं जो मंकी फीवर से जुड़े हो सकते हैं, जैसे:
बुखार चढ़ने के 3 से 4 दिनों के बाद हेमोरेज के लक्षण भी दिखाई देने लग जाते हैं, जिसमें आमतौर पर नकसीर आना और मसूड़ों से खून आना आदि जैसे लक्षण शामिल हैं। शरीर के अंदरुनी अंगों में भी खून बह सकता है, जो आमतौर पर मल के साथ दिखाई देता है।
इस स्थिति में नरम तालु पर एक विशेष प्रकार का घाव (Papulovesicular lesions) बन जाता है, जो मुंह के ऊपरी हिस्से में द्रव से भरी थैली के रूप में विकसित हो जाता है, जिसे पुटिका (Vesicle) कहा जाता है।
कुछ लोगों को श्वसन तंत्र से जुड़ी समस्याओं के लक्षण भी होने लग जाते हैं, जैसे खांसी व बलगम में खून आना आदि। हालांकि यह थोड़े समय बाद अपने आप ही ठीक हो जाती है।
गर्दन, कंधें के जोड़ व कोहनी के अंदरुनी जोड़ में स्थित लिम्फ नोड्स मे सूजन आना भी मंकी फीवर का एक अन्य लक्षण हो सकता है। ज्यादातर मामलों में मरीज स्वस्थ हो जाता है और लक्षण आमतौर पर एक या दो हफ्तों के भीतर ठीक हो जाते हैं।
हालांकि मरीज को रिकवरी (ठीक होने का समय) के दौरान सामान्य रूप से कमजोरी होना, मांसपेशियों में खिंचाव होना और हाथों में कंपकपी होना आदि समस्याएं होने लग जाती हैं। इसके अलावा प्रभावित लोगों को खुजली, त्वचा सुन्न होना और ठंड लगना आदि जैसी समस्याएं भी होने लग जाती हैं।
लगभग 10 से 20 प्रतिशत मरीजों में यह रोग ठीक होने के बाद फिर से हो जाता है। इस मामले का ज्वर संबंधी चरण कुछ न्यूरोलॉजिकल लक्षणों से जुड़ा हो सकता है, जैसे उनींदापन, मानसिक समस्या, उलझन और चेतना (होश) की कमी होना आदि। इसके अलावा कुछ विरले मामलों में मेनिंगोइन्सेफेलाइटिस जैसी स्थिति भी विकसित हो सकती है।
यदि इस रोग का इलाज ना किया जाए या फिर शरीर के अंदर अत्यधिक खून बह रहा है, तो फिर यह रोग गंभीर रूप धारण कर सकता है। इस रोग में मृत्यु दर 2 से 10 प्रतिशत तक है और यह मुख्य रूप से उन क्षेत्रों में ज्यादा है जहां पर उचित स्वास्थ्य सुविधाओं या जागरूकता की कमी है। मंकी फीवर से ग्रस्त वृद्ध व्यक्ति या जिनकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर है, उनमें भी मृत्यु दर अधिक पाई गई है। (5)
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