पोस्ट-पोलियो सिंड्रोम - Post-Polio Syndrome (PPS) in Hindi

Dr. Nadheer K M (AIIMS)MBBS

February 08, 2020

March 06, 2020

पोस्ट-पोलियो सिंड्रोम
पोस्ट-पोलियो सिंड्रोम

पोस्ट-पोलियो सिंड्रोम ऐसे लोगों को प्रभावित करता है, जिन्हें कभी पोलियो (पोलियोमाइलाइटिस) रहा हो और उसने पूरी तरह से रिकवरी कर ली हो। ऐसा देखा गया है कि कुछ मामलों में पोलियो के संक्रमण से उबरने के कई वर्षों (आमतौर पर 10 से 40 वर्ष) बाद लोगों में पोस्ट-पोलियो सिंड्रोम का खतरा हो सकता है। इसमें शरीर को विकलांग या अक्षम बनाने वाले संकेतों और लक्षणों के समूह शामिल होते हैं।

पोलियो एक खतरनाक बीमारी है, जिसकी वजह से लकवा और मौत भी हो सकती है। हालांकि, पोलियो को रोकने के लिए दवा और देश व दुनियाभर में चलाए गए अभियान की वजह से इस बीमारी का प्रसार बहुत कम हो गया है।

भले ही भारत 2014 में पोलियो मुक्त घोषित कर दिया गया हो, लेकिन वर्तमान में कुछ ऐसे देश भी हैं, जहां पोलियो के मरीज देखे जा सकते हैं। वैसे पोलियो के लिए वैक्सीन की खोज 1955 में कर ली गई थी।

पोस्ट-पोलियो सिंड्रोम के लक्षण

पोलियो सिंड्रोम के सामान्य संकेतों और लक्षणों में शामिल हैं :

  • मांसपेशियों और जोड़ों में लगातार कमजोरीदर्द
  • कम गतिविधि करने पर सामान्य से अधिक थकान होना 
  • सांस लेने या निगलने की समस्या
  • नींद से जुड़ा सांस लेने वाला एक विकार, जैसे कि स्लीप एपनिया
  • मसल्स एट्रोफी (जब किसी बीमारी या चोट की वजह से हाथ-पैर को हिलाना मुश्किल या असंभव हो जाता है, तो मूवमेंट न हो पाने से मांसपेशियों खराब होना)

ज्यादातर लोगों में, पोस्ट-पोलियो सिंड्रोम के लक्षण धीरे-धीरे और खराब होते जाते हैं।

पोस्ट पोलियो सिंड्रोम का कारण

पोलियो सिंड्रोम के कई कारण हो सकते हैं, लेकिन डॉक्टरों को इसके सटीक कारण के बारे में जानकारी नहीं है।

जब पोलियो का वायरस किसी व्यक्ति के शरीर को संक्रमित करता है, तो यह मोटर न्यूरॉन्स नामक तंत्रिका कोशिकाओं विशेष रूप से रीढ़ की हड्डी में मौजूद तंत्रिका कोशिकाओं को प्रभावित करता है। यह कोशिकाएं मस्तिष्क और मांसपेशियों के बीच संदेश भेजने का कार्य करती हैं। बता दें कि प्रत्येक न्यूरॉन में तीन मूल घटक होते हैं :

  • सेल बॉडी
  • मेजर ब्रांचिग फाइबर
  • न्यूमेरस स्मॉलर ब्रांचिग फाइबर (डेंड्राइट)

पोलियो संक्रमण कुछ मोटर न्यूरॉन्स को नुकसान पहुंचाते हैं या उन्हें नष्ट कर देते हैं। इसकी वजह से न्यूरॉन की कमी हो जाती है और इस कमी को पूरी करने के लिए शेष न्यूरॉन्स नए तंतुओं को अंकुरित करते हैं।

पोस्ट-पोलियो सिंड्रोम का इलाज

वर्तमान में इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है, इसलिए उपचार में लक्षणों को कम करने पर ध्यान दिया जाता है। इससे बेहतर जीवन जीने में मदद मिल सकती है।

इस बीमारी से ग्रस्त लोगों का इलाज विभिन्न स्वास्थ्य पेशेवरों की एक टीम द्वारा किया जाता है। इस टीम को मल्टीडिसप्लनेरी टीम (एमडीटी) के रूप में जाना जाता है। एमडीटी टीम के सदस्यों में शामिल हो सकते हैं :

  • न्यूरोलॉजिस्ट - तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करने वाली समस्याओं के विशेषज्ञ
  • रेस्पिरेटरी कंसल्टेंट - सांस लेने से संबंधित समस्याओं के विशेषज्ञ
  • रिहैब्लिटेशन मेडिसिन कंसल्टेंट - जटिल विकलांगता से जुड़ी समस्याओं के विशेषज्ञ
  • फिजियोथेरेपिस्ट - शारीरिक गतिविधियों और तालमेल को बेहतर बनाने में मदद करते हैं।

पोस्ट पोलियो सिंड्रोम एक दुर्लभ और जानलेवा विकार है। इसमें मांसपेशियों में कमजोरी होने से गिरने, पोषण की कमी, पानी की कमी और निमोनिया हो सकता है। ऐसे में लक्षणों को नजरअंदाज न करें और तुरंत डॉक्टर को इस बारे में बताएं।



पोस्ट-पोलियो सिंड्रोम के डॉक्टर

Dr. Vikas Patel Dr. Vikas Patel ओर्थोपेडिक्स
6 वर्षों का अनुभव
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